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लापरवाही: इस स्कूल में खराब पड़े हैं दोनों हैंडपंप, पानी पीने घर जाते हैं बच्चे

स्कूल के बच्चों का कहना है कि पानी की कमी के कारण स्कूल में मिलने वाले मिड-डे-मील का भोजन भी नहीं खा पाते. यहां शुद्ध पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है.

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Published : Sep 19, 2019, 1:22 PM IST

खराब पड़े हैंडपंप

नवादाः सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद आज भी सरकारी स्कूलों की हालत बद से बदतर है. वैसे तो जिले के कई स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. लेकिन नवादा सदर प्रखंड के गोनवां उत्क्रमित मध्य विद्यालय की बात ही जुदा है. स्वच्छता के मामले में तो यह विद्यालय अभी कोसों दूर है. हर तरफ गंदगी ही गंदगी फैली हुई है. स्कूल के बच्चों को अगर प्यास लगी तो वह पानी पीने अपने घर जाते हैं.

स्कूल में बुनियादी सुविधाओं का अभाव और जानकारी देते बच्चे व प्रिंसिपल

खराब पड़ा है स्कूल का हैंडपंप
दरअसल, इस विद्यालय में दो ही हैंडपंप हैं और दोनों ही सफेद हाथी साबित हो रहे हैं. बच्चे पानी के लिए तरस रहे हैं. पानी की कमी के कारण बच्चे स्कूल में मिलने वाला भोजन भी नहीं खा पाते. हालांकि साथ निश्चय योजना का एक नल यहां लगा हुआ है, लेकिन समय पर पानी स्टोर नहीं होने की स्थिति में बच्चों को अपने घर जाना पड़ता है.

nawada
स्कूल का शौचालय

स्कूल में हर तरफ फैली रहती है गंदगी
इस स्कूल में साफ-सफाई भी नहीं रहती. हर तरफ गंदगी ही गंदगी फैली हुई है. दो अलग-अलग जगहों पर शौचालय बने हुए हैं. लेकिन गंदगी इतनी की बच्चे दूर से ही निकल जाते हैं. एक शौचालय में तो ताला जड़ा हुआ है. आस-पास गंदगी फैली हुई है. ऐसी स्थिति में बच्चियां कैसे शौच जाती होगीं, यह अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं.

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खराब पड़े हैंडपंप

नहीं खा पाते स्कूल में खाना
विद्यालय में करीब 250 बच्चे नामांकित हैं. जिसमें तकरीबन 150 बच्चे रोजाना उपस्थित होते हैं. छठी क्लास की प्रियंका कुमारी का कहना है कि यहां पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है. शौचालय भी गंदा पड़ा है. उसका कहना है कि हर स्कूल में पानी टंकी बैठी हुई है, लेकिन यहां पर वो भी नहीं है. वहीं, शुभम कुमार का कहना है कि स्कूल में बिजली की व्यवस्था भी नहीं है. यहां शुद्ध पीने के पानी का व्यवस्था नहीं है. पानी पीने के लिए हमें घर जाना पड़ता है. जिसकी वजह से हम खाना नहीं खा पाते हैं.

nawada
जानकारी देती छात्रा

स्कूल में नहीं है चहारदीवारी
विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक श्रीनाथ कुमार का कहना है कि चापाकल खराब है, इसके लिए विभाग को लिखा है. एसडीओ साहब को भी बोला गया है. उन्होंने जांच करवाने की बात कही है. यहां साफ-सफाई की सबसे बड़ी समस्या है. स्कूल में चहारदीवारी नहीं है. अगर यह बन जाती तो इतनी समस्या नहीं होती. रही बात बिजली की तो इसके लिए बिजली मिस्त्री को कहा गया है.

डीपीओ ने जांच का दिया भरोसा
समग्र शिक्षा अभियान के प्रभारी डीपीओ मो. मुस्तफा हुसैन का कहना है कि आपके माध्यम से ही जानकारी मिल रही है. इसकी जांच करवाएंगे. खासकर शौचालय, चापाकल और चहारदीवारी की बात है तो उसे देख लेते हैं, जैसा भी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी.

नवादाः सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद आज भी सरकारी स्कूलों की हालत बद से बदतर है. वैसे तो जिले के कई स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. लेकिन नवादा सदर प्रखंड के गोनवां उत्क्रमित मध्य विद्यालय की बात ही जुदा है. स्वच्छता के मामले में तो यह विद्यालय अभी कोसों दूर है. हर तरफ गंदगी ही गंदगी फैली हुई है. स्कूल के बच्चों को अगर प्यास लगी तो वह पानी पीने अपने घर जाते हैं.

स्कूल में बुनियादी सुविधाओं का अभाव और जानकारी देते बच्चे व प्रिंसिपल

खराब पड़ा है स्कूल का हैंडपंप
दरअसल, इस विद्यालय में दो ही हैंडपंप हैं और दोनों ही सफेद हाथी साबित हो रहे हैं. बच्चे पानी के लिए तरस रहे हैं. पानी की कमी के कारण बच्चे स्कूल में मिलने वाला भोजन भी नहीं खा पाते. हालांकि साथ निश्चय योजना का एक नल यहां लगा हुआ है, लेकिन समय पर पानी स्टोर नहीं होने की स्थिति में बच्चों को अपने घर जाना पड़ता है.

nawada
स्कूल का शौचालय

स्कूल में हर तरफ फैली रहती है गंदगी
इस स्कूल में साफ-सफाई भी नहीं रहती. हर तरफ गंदगी ही गंदगी फैली हुई है. दो अलग-अलग जगहों पर शौचालय बने हुए हैं. लेकिन गंदगी इतनी की बच्चे दूर से ही निकल जाते हैं. एक शौचालय में तो ताला जड़ा हुआ है. आस-पास गंदगी फैली हुई है. ऐसी स्थिति में बच्चियां कैसे शौच जाती होगीं, यह अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं.

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खराब पड़े हैंडपंप

नहीं खा पाते स्कूल में खाना
विद्यालय में करीब 250 बच्चे नामांकित हैं. जिसमें तकरीबन 150 बच्चे रोजाना उपस्थित होते हैं. छठी क्लास की प्रियंका कुमारी का कहना है कि यहां पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है. शौचालय भी गंदा पड़ा है. उसका कहना है कि हर स्कूल में पानी टंकी बैठी हुई है, लेकिन यहां पर वो भी नहीं है. वहीं, शुभम कुमार का कहना है कि स्कूल में बिजली की व्यवस्था भी नहीं है. यहां शुद्ध पीने के पानी का व्यवस्था नहीं है. पानी पीने के लिए हमें घर जाना पड़ता है. जिसकी वजह से हम खाना नहीं खा पाते हैं.

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जानकारी देती छात्रा

स्कूल में नहीं है चहारदीवारी
विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक श्रीनाथ कुमार का कहना है कि चापाकल खराब है, इसके लिए विभाग को लिखा है. एसडीओ साहब को भी बोला गया है. उन्होंने जांच करवाने की बात कही है. यहां साफ-सफाई की सबसे बड़ी समस्या है. स्कूल में चहारदीवारी नहीं है. अगर यह बन जाती तो इतनी समस्या नहीं होती. रही बात बिजली की तो इसके लिए बिजली मिस्त्री को कहा गया है.

डीपीओ ने जांच का दिया भरोसा
समग्र शिक्षा अभियान के प्रभारी डीपीओ मो. मुस्तफा हुसैन का कहना है कि आपके माध्यम से ही जानकारी मिल रही है. इसकी जांच करवाएंगे. खासकर शौचालय, चापाकल और चहारदीवारी की बात है तो उसे देख लेते हैं, जैसा भी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी.

Intro:नवादा। वैसे तो जिले के कई विद्यालय में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव हैं लेकिन नवादा सदर प्रखंड स्थित गोनवां उत्क्रमित मध्य विद्यालय का बात ही जुदा है। विद्यालय में दो चापाकल है दोनों के दोनों सफ़ेद हाथी साबित हो रहे हैं। दोनों खराब पड़े हैं और बच्चे पानी के लिए तरस रहे हैं। स्वच्छता के मामले में तो यह विद्यालय अभी भी कोसो दूर है। हर तरफ गंदगी ही गंदगी फैली हुई है दो अलग-अलग जगहों पर शौचालय बने हुए हैं लेकिन गंदगी इतनी की बच्चे दूर से ही नमस्ते कर निकल पड़ते हैं।




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पानी के कमी के कारण नहीं खा पता है मीड-डे मील

विद्यालय में करीब 250 बच्चे नामांकित हैं जिसमें से 150 सौ के करीब बच्चे प्रत्येक दिन उपस्थित होते हैं। लेकिन इन बच्चों को पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है। हालांकि साथ निश्चय से एक नल लगी हुई हैं लेकिन बिजली चले जाने और समय पर पानी स्टोर नहीं होने की स्थिति में बच्चों को अपने घर जाकर पानी पीना होता है।


दो शौचालय, दोनों गंदे

विद्यालय में दो शौचालय बने हुए हैं लेकिन दोनों इतने गंदे हैं कि उसमें बच्चे शौच करने जाने से कतराते हैं। एक में तो ताला जड़ा हुआ है। आसपास गंदगी फैसले हुए हैं। ऐसी स्थिति में बच्चियां कैसे शौच जाती होगी यह सोचने वाली बात है।

क्या कहते हैं बच्चे

छठी क्लास की प्रियंका कुमारी का कहना है, यहां पीने के पानी तक व्यवस्था नहीं है। शौचालय भी गंदा पड़ा है। यहां दो-दो चापाकल है वो भी खराब पड़ा है वहीं, हर स्कूल में टंकी बैठा हुआ है लेकिन यहाँ पर वो भी नहीं है। वहीं, शुभम कुमार का कहना है कि, यहां पर बिजली की व्यवस्था नहीं है। यहां शुद्ध पीने के पानी का व्यवस्था नहीं है हमलोग को घर जाना पड़ता है। इस वजह से हमलोग खाना नहीं खा पाते हैं।


क्या कहते हैं प्रभारी प्रधानाचार्य

विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक श्रीनाथ कुमार का कहना है , चापाकल खराब है इसके लिए विभाग को लिखे हैं और एसडीओ साहब को भी बोले हैं तो उन्होंने जांच करवाने की बात कही है। यहां साफ़-सफाई की सबसे बड़ी समस्या है चारदीवारी का न होना अगर यह बन जाती तो इतनी समस्या नहीं होती। रही बात बिजली की तो इसके लिए मिस्त्री को बोले हुए हैं लेकिन अब मिस्त्री पर निर्भर हैं कि कब ठीक करता है।


क्या कहते हैं पदाधिकारी

डीपीओ, प्रभारी समग्र शिक्षा मो. मुस्तफ़ा हुसैन का कहना है कि आपके माध्यम से जानकारी मिल रही है। इसका जांच करवा लेते हैं। खासकर शौचालय, चापाकल और चारदीवारी की बात है तो उसे देख लेते हैं जैसा भी होगा उसपे कार्रवाई की जाएगी।



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