नवादा: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कर उसके सौंदर्यीकरण की बात की थी. लेकिन, जिले के कई तालाब या तो अतिक्रमण का शिकार हैं या दबंगों के कब्जे में हैं. विभाग की ओर से न तालाब को अतिक्रमण मुक्त किया जा रहा है और न ही उनका जीर्णोद्धार हो रहा है. जबकि, पटना हाईकोर्ट ने भी इसको लेकर आदेश दिए हैं.
अधिकांश जलकर की नहीं हुई बंदोबस्ती
मत्स्य विभाग की मानें तो जिलेभर में कुल 496 जलकर हैं, जिसमें अबतक मात्र 215 जलकर की ही बंदोबस्ती हो सकी है. यानी 50 प्रतिशत से अधिक जलकर आज भी वैसे ही पड़े हैं. उनमें आधा दर्जन तालाब ऐसे हैं, जिसपर दबंगों ने कब्जा कर रखा है. उनमें नवादा अंचल के सोनू बिगहा, बेरमी गांव आदि जगहों के तालाब शामिल हैं. इसके कारण समिति के लोगों को मछली पालन करने में कठिनाई होती है.
स्थानीय लोगों या सूखे के कारण नहीं हुआ बंदोबस्त
इस मामले को लेकर जिला मत्स्य पदाधिकारी सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी इकबाल हुसैन ने कहा कि कई तालाब ऐसे हैं, जिनका जीर्णोद्धार नहीं किया जा सका है. कुछ स्थानीय लोगों के कारण भी बंदोबस्ती नहीं हो पा रही है. साथ ही 50 प्रतिशत तालाब सूखे की चपेट में रहने के कारण बंदोबस्त नहीं हो सके हैं. लेकिन, उन्होंने आने वाले समय में बंदोबस्ती कराने को लेकर कुछ नहीं कहा.
जहां है समिति वहां 100 फीसदी बंदोबस्त
जिले में कुल 14 प्रखंड हैं, जिसमें सिर्फ 3 प्रखंड रोह, काशीचक और हिसुआ में समिति बन पाई है. जहां समिति काम कर रही है, वहां सौ फीसदी बंदोबस्ती हुई है. लेकिन, जहां ऐसा नहीं है वहां के कुछ जगहों पर बंदोबस्ती शुन्य फीसदी हुई है.
क्या है मत्स्यजीवी सहयोग समिति बनाने के फायदे
जिन तालाबों की बंदोबस्ती में समस्या आती है, वहां एक सहकारी समिति बनाकर आसानी से और कम खर्च कर बंदोबस्ती की जा सकती है. इसी प्रकार मिलजुलकर मछली के बीज का उत्पादन और बिक्री भी किये जा सकते हैं. बता दें कि राजस्व तालाबों की बंदोबस्ती में समिति को प्रथम वरीयता दी जाती है. इससे समितियां जलक्रय वितरण केंद्र और हेचड़ी निर्माण इत्यादि के लिए ऋण प्राप्त कर सकते हैं.
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