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नवादा: 50 फीसदी जलकर की नहीं हुई बंदोबस्ती, कई तालाबों पर दबंगों का कब्जा

नवादा में कुल 496 जलकर हैं, जिसमें अबतक मात्र 215 जलकर की ही बंदोबस्ती हो सकी है. यानी 50 प्रतिशत से अधिक जलकर आज भी वैसे ही पड़े हैं. उनमें आधा दर्जन तालाब ऐसे हैं, जिसपर दबंगों ने कब्जा कर रखा है.

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Published : Jan 21, 2020, 2:57 PM IST

नवादा: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कर उसके सौंदर्यीकरण की बात की थी. लेकिन, जिले के कई तालाब या तो अतिक्रमण का शिकार हैं या दबंगों के कब्जे में हैं. विभाग की ओर से न तालाब को अतिक्रमण मुक्त किया जा रहा है और न ही उनका जीर्णोद्धार हो रहा है. जबकि, पटना हाईकोर्ट ने भी इसको लेकर आदेश दिए हैं.

अधिकांश जलकर की नहीं हुई बंदोबस्ती
मत्स्य विभाग की मानें तो जिलेभर में कुल 496 जलकर हैं, जिसमें अबतक मात्र 215 जलकर की ही बंदोबस्ती हो सकी है. यानी 50 प्रतिशत से अधिक जलकर आज भी वैसे ही पड़े हैं. उनमें आधा दर्जन तालाब ऐसे हैं, जिसपर दबंगों ने कब्जा कर रखा है. उनमें नवादा अंचल के सोनू बिगहा, बेरमी गांव आदि जगहों के तालाब शामिल हैं. इसके कारण समिति के लोगों को मछली पालन करने में कठिनाई होती है.

पेश है रिपोर्ट

स्थानीय लोगों या सूखे के कारण नहीं हुआ बंदोबस्त
इस मामले को लेकर जिला मत्स्य पदाधिकारी सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी इकबाल हुसैन ने कहा कि कई तालाब ऐसे हैं, जिनका जीर्णोद्धार नहीं किया जा सका है. कुछ स्थानीय लोगों के कारण भी बंदोबस्ती नहीं हो पा रही है. साथ ही 50 प्रतिशत तालाब सूखे की चपेट में रहने के कारण बंदोबस्त नहीं हो सके हैं. लेकिन, उन्होंने आने वाले समय में बंदोबस्ती कराने को लेकर कुछ नहीं कहा.

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इकबाल हुसैन,जिला मत्स्य पदाधिकारी

जहां है समिति वहां 100 फीसदी बंदोबस्त
जिले में कुल 14 प्रखंड हैं, जिसमें सिर्फ 3 प्रखंड रोह, काशीचक और हिसुआ में समिति बन पाई है. जहां समिति काम कर रही है, वहां सौ फीसदी बंदोबस्ती हुई है. लेकिन, जहां ऐसा नहीं है वहां के कुछ जगहों पर बंदोबस्ती शुन्य फीसदी हुई है.

nawada
सुनील केवट, अध्यक्ष, मत्स्यजीवी सहयोग समिति, रोह

क्या है मत्स्यजीवी सहयोग समिति बनाने के फायदे
जिन तालाबों की बंदोबस्ती में समस्या आती है, वहां एक सहकारी समिति बनाकर आसानी से और कम खर्च कर बंदोबस्ती की जा सकती है. इसी प्रकार मिलजुलकर मछली के बीज का उत्पादन और बिक्री भी किये जा सकते हैं. बता दें कि राजस्व तालाबों की बंदोबस्ती में समिति को प्रथम वरीयता दी जाती है. इससे समितियां जलक्रय वितरण केंद्र और हेचड़ी निर्माण इत्यादि के लिए ऋण प्राप्त कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें- बेमौसम बरसात और ठंड से आलू की फसल हुई बर्बाद, किसान लगा रहे सरकार से गुहार

नवादा: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कर उसके सौंदर्यीकरण की बात की थी. लेकिन, जिले के कई तालाब या तो अतिक्रमण का शिकार हैं या दबंगों के कब्जे में हैं. विभाग की ओर से न तालाब को अतिक्रमण मुक्त किया जा रहा है और न ही उनका जीर्णोद्धार हो रहा है. जबकि, पटना हाईकोर्ट ने भी इसको लेकर आदेश दिए हैं.

अधिकांश जलकर की नहीं हुई बंदोबस्ती
मत्स्य विभाग की मानें तो जिलेभर में कुल 496 जलकर हैं, जिसमें अबतक मात्र 215 जलकर की ही बंदोबस्ती हो सकी है. यानी 50 प्रतिशत से अधिक जलकर आज भी वैसे ही पड़े हैं. उनमें आधा दर्जन तालाब ऐसे हैं, जिसपर दबंगों ने कब्जा कर रखा है. उनमें नवादा अंचल के सोनू बिगहा, बेरमी गांव आदि जगहों के तालाब शामिल हैं. इसके कारण समिति के लोगों को मछली पालन करने में कठिनाई होती है.

पेश है रिपोर्ट

स्थानीय लोगों या सूखे के कारण नहीं हुआ बंदोबस्त
इस मामले को लेकर जिला मत्स्य पदाधिकारी सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी इकबाल हुसैन ने कहा कि कई तालाब ऐसे हैं, जिनका जीर्णोद्धार नहीं किया जा सका है. कुछ स्थानीय लोगों के कारण भी बंदोबस्ती नहीं हो पा रही है. साथ ही 50 प्रतिशत तालाब सूखे की चपेट में रहने के कारण बंदोबस्त नहीं हो सके हैं. लेकिन, उन्होंने आने वाले समय में बंदोबस्ती कराने को लेकर कुछ नहीं कहा.

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इकबाल हुसैन,जिला मत्स्य पदाधिकारी

जहां है समिति वहां 100 फीसदी बंदोबस्त
जिले में कुल 14 प्रखंड हैं, जिसमें सिर्फ 3 प्रखंड रोह, काशीचक और हिसुआ में समिति बन पाई है. जहां समिति काम कर रही है, वहां सौ फीसदी बंदोबस्ती हुई है. लेकिन, जहां ऐसा नहीं है वहां के कुछ जगहों पर बंदोबस्ती शुन्य फीसदी हुई है.

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सुनील केवट, अध्यक्ष, मत्स्यजीवी सहयोग समिति, रोह

क्या है मत्स्यजीवी सहयोग समिति बनाने के फायदे
जिन तालाबों की बंदोबस्ती में समस्या आती है, वहां एक सहकारी समिति बनाकर आसानी से और कम खर्च कर बंदोबस्ती की जा सकती है. इसी प्रकार मिलजुलकर मछली के बीज का उत्पादन और बिक्री भी किये जा सकते हैं. बता दें कि राजस्व तालाबों की बंदोबस्ती में समिति को प्रथम वरीयता दी जाती है. इससे समितियां जलक्रय वितरण केंद्र और हेचड़ी निर्माण इत्यादि के लिए ऋण प्राप्त कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें- बेमौसम बरसात और ठंड से आलू की फसल हुई बर्बाद, किसान लगा रहे सरकार से गुहार

Intro:नवादा। करीब 496 जलकर हैं लेकिन उसमें से अभी तक महज 215 जलकर की ही बंदोबस्त हो सकी है यानी 50 प्रतिशत से अधिक जलकर आज भी वैसे के वैसे पड़े हैं। जिसमें आधा दर्जन तालाब ऐसे हैं जिसपे दबंगों ने कब्ज़ा जमा रखा है।

नवादा। सूबे के मुखिया नीतीश कुमार तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कर उसे सौंदर्यीकरण की बात तो कर रहे हैं लेकिन नवादा जिले में कई ऐसे तालाब हैं जो या तो इन दिनों अतिक्रमण का शिकार हो चुके हैं या फिर दबंगों के कब्ज़े में है। विभाग की ओर से ना ही तालाब को अतिक्रमण मुक्त किया जा रहा है और ना ही तालाबों का जीर्णोद्धार जबकि पटना हाईकोर्ट ने भी इसको लेकर आदेश दिए हैं।

मत्स्य विभाग की माने तो जिलेभर में करीब 496 जलकर हैं लेकिन उसमें से अभी तक महज 215 जलकर की ही बंदोबस्त हो सकी है यानी 50 प्रतिशत से अधिक जलकर आज भी वैसे के वैसे पड़े हैं। जिसमें आधा दर्जन तालाब ऐसे हैं जिसपे दबंगों ने कब्ज़ा जमा रखा है। जिसके कारण समिति के लोगों को मछली पालन करने में कठिनाई होती है

बाइट- सुनील केवट, अध्यक्ष,मत्स्यजीवी सहयोग समिति, रोह

जब इस बाबत सवाल जिला मत्स्य पदाधिकारी सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी इकबाल हुसैन का कहना था कि कई तालाब ऐसे हैं जिसका जीर्णोद्धार नहीं किए जा सके हैं। कुछ स्थानीय लोगों के कारण भी बंदोबस्त नहीं हो पा रही है। साथ ही 50 प्रतिशत तालाब सूखे की चपेट में रहने के कारण बंदोबस्त नहीं हो सके हैं।


बाइट- इक़बाल हुसैन,जिला मत्स्य पदाधिकारी

लेकिन उन्होंने यह नहीं कहा कि जिसका जीर्णोद्धार होना है उसे जल्द किया जाएगा और जिस तालाबों पर दबंगों का कब्ज़ा और अतिक्रमण है उससे मुक्ति दिलाया जाएगा। ऐसी स्थिति में आख़िर मछली पालनकर्ता करे तो करे क्या?




Body:496 में से सिर्फ 215 जलकर का हुआ बंदोबस्त

जिले के 496 जलकरो में से महज 215 जलकर का बंदोबस्त हो सका है यानी 50 प्रतिशत से भी अधिक तालाबों का बंदोबस्त नहीं हो सका है। इससे रेवेन्यू में भी कमी आ सकती है।

आधा दर्जन तालाबों पर दबंगों का कब्ज़ा

जहां एक ओर जिले के कई तालाब सूखे की चपेट में के कारण उपयोग में नहीं आ रहा है तो कई ऐसे तालाब हैं जिसपे दबंगों ने कब्जा जमा रखा है। जिसमें, नवादा अंचल के सोनू बिगहा,बेरमी गांव के तालाब शामिल है।


जहां है समिति वहां 100 फीसदी बंदोबस्त

जिले के अंदर 14 प्रखंड है जिसमें सिर्फ 3 प्रखंड रोह, काशीचक और हिसुआ में समिति बन पाई है। जहां समिति काम कर रही है वहां सौ फ़ीसदी बंदोबस्त हुई है लेकिन जहां ऐसा नहीं है वहां के कुछ जगहों पर जीरो फीसदी बंदोबस्त हुई है।

क्या है मत्स्यजीवी सहयोग समिति बनाने के फायदे

जिन तालाबों की बंदोबस्ती वे अकेले नहीं ले सकते एक सहकारी समिति बनाकर आसानी से और कम खर्च करके प्राप्त कर सकते हैं इसी प्रकार मिलजुलकर मछली के बीज का उत्पादन एवं बिक्री भी किया जा सकता है। बता दें कि राजस्व तालाबों की बंदोबस्ती में समिति को प्रथम वरीयता दी जाती है इससे समितियां जल क्रय वितरण केंद्र और हेचड़ी निर्माण इत्यादि के लिए ऋण प्राप्त कर सकते हैं।


Conclusion:जहां कई तालाबों पर दबंगों का अतिक्रमण और कब्जा है अब देखनेवाली बात यह होगी कि जिला प्रशासन सीएम नीतीश कुमार के तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराने के दावे को इस तरह अमल में लाती है या नहीं?

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