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विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस: दिव्यांगों को दी गयी योजनाओ की जानकारी

ऑटिज्म के कारण बच्चों में संज्ञा, भावनात्मक, सामाजिक, व्यक्तिगत और संप्रेषण विकास प्रभावित होता है. बच्चा अपने आप में खोया-खोया सा रहता है. ऐसे बच्चों की शीघ्र पहचान कर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है.

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दिव्यांगों को दी गयी योजनाओ की जानकारी
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Published : Apr 3, 2021, 7:53 PM IST

नालंदा: विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस के मौके पर जिले में पंचायतस्तरीय दिव्यांगजन समूह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में राज्य आयुक्त नि:शक्तता डॉ० शिवाजी कुमार ने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत किया.

ये भी पढ़ें...ररिया: विश्व ऑटिज्म दिवस के अवसर पर निकाली गई जागरूकता रैली

50 से ज़्यादा दिव्यांगजनों की समस्याओं का निष्पादन
इस अवसर पर डॉ० शिवाजी कुमार ने 50 से ज्यादा दिव्यांगजनों की समस्याओं का निष्पादन किया. जिसमें राज्य आयुक्त नि:शक्तता ने दिव्यांगों को त्वरित दिव्यांग प्रमाण-पत्र, राशन कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड एवं जीविका से संबंधित योजनाओं का लाभ दिलाया. साथ ही अन्य समस्याओं का निष्पादन करते हुए प्रखंड पदाधिकारी, अंचलाधिकारी एवं सम्बन्धित पदाधिकारियों को निष्पादन करने का आदेश दिया.

ये भी पढ़ें...विश्व ऑटिज्म दिवस पर छपरा में निकाली गई जागरुकता रैली, प्रतियोगिता का भी आयोजन

24 घंटों के अंदर स्पष्टीकरण की मांग
विश्व ऑटिज्म पखवारा के अंतर्गत डॉ कुमार ने ऑटिज्म दिव्यांगता के विषय पर अपनी बातों को रखते हुए कहा कि पहले की अपेक्षा में यह बीमारी बढ़ रही है. जिसमें भारत भी शामिल है. राज्य आयुक्त निशक्तता ने बिना पूर्व सूचना के बेलछी पंचायत के पंचायत सचिव, किसान सलाहकार, महिला पर्येवेक्षक, ग्रामीण आवास सहायक अनुपस्थिति रहने के कारण आयुक्त ने सभी कर्मियों से 24 घंटों के अंदर स्पष्टीकरण मांगा.

1 से तीन साल के बच्चों में ऑटिज्म
दरअसल, ऑटिज्म एक मानसिक रोग है. जिसमें बच्चों का दिमाग पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता है. शुरुआती लक्षण 1 से 3 साल के बच्चों में नजर आते हैं. विशेषज्ञों की मानें तो इस रोग से लड़के ज्यादा प्रभावित होते हैं. इसकी चपेट में आने से बच्चे का मानसिक संतुलन संकुचित हो जाता है. इस कारण बच्चा परिवार और समाज से दूर रहने लगता है.

क्या है ऑटिज्म?
वैसे बच्चे जिसका दिमाग ठीक तरह से विकसित नहीं हो पाता है उसे ऑटिज्म कहा जाता है. ऐसे में उन बच्चों के जीवन बेहतर करने के लिए उनमें सुधार लाने के लिए सरकार द्वारा कई कदम भी उठाए जा रहे हैं. हर साल इसी दिन विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है और बच्चों में जागरूकता लाने को लेकर कई तरह के कार्यक्रम किए जाते हैं. मसौढ़ी स्थित बुनियाद केंद्र में उन सभी दिव्यांग बच्चों के बीच कई तरह के कार्यक्रम किए गए और कार्यक्रम के अंत में उन्हें पुरस्कृत भी किया गया.

मौके पर कई लोग मौजूद
इस मौके पर स्थापना उपसमाहर्ता, प्रखंड विकास पदाधिकारी चंडी एवं हरनौत, अंचलाधिकारी चंडी, चिकित्सा पदाधिकारी, थानाध्यक्ष, चंडी प्रखंड कर्मी, अनिल सिंह, जिला दिव्यांग समूह अध्यक्ष ह्रदय यादव, जिला परिषद सदस्य निरंजन कुमार, मुखिया मृत्युंजय सिंह, रंजीत यादव, प्रवीण कुमार, राष्ट्रीय पैरा खिलाड़ी कुंदन कुमार पांडे, दिव्यांग जागरूकता मंच के संचालक धीरज कुमार, संजय कुमार, राजवल्लभ यादव, मीडिया कर्मी, ग्रामीण जनता के साथ सैंकड़ों दिव्यांगजन मौजूद थे.

नालंदा: विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस के मौके पर जिले में पंचायतस्तरीय दिव्यांगजन समूह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में राज्य आयुक्त नि:शक्तता डॉ० शिवाजी कुमार ने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत किया.

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50 से ज़्यादा दिव्यांगजनों की समस्याओं का निष्पादन
इस अवसर पर डॉ० शिवाजी कुमार ने 50 से ज्यादा दिव्यांगजनों की समस्याओं का निष्पादन किया. जिसमें राज्य आयुक्त नि:शक्तता ने दिव्यांगों को त्वरित दिव्यांग प्रमाण-पत्र, राशन कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड एवं जीविका से संबंधित योजनाओं का लाभ दिलाया. साथ ही अन्य समस्याओं का निष्पादन करते हुए प्रखंड पदाधिकारी, अंचलाधिकारी एवं सम्बन्धित पदाधिकारियों को निष्पादन करने का आदेश दिया.

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24 घंटों के अंदर स्पष्टीकरण की मांग
विश्व ऑटिज्म पखवारा के अंतर्गत डॉ कुमार ने ऑटिज्म दिव्यांगता के विषय पर अपनी बातों को रखते हुए कहा कि पहले की अपेक्षा में यह बीमारी बढ़ रही है. जिसमें भारत भी शामिल है. राज्य आयुक्त निशक्तता ने बिना पूर्व सूचना के बेलछी पंचायत के पंचायत सचिव, किसान सलाहकार, महिला पर्येवेक्षक, ग्रामीण आवास सहायक अनुपस्थिति रहने के कारण आयुक्त ने सभी कर्मियों से 24 घंटों के अंदर स्पष्टीकरण मांगा.

1 से तीन साल के बच्चों में ऑटिज्म
दरअसल, ऑटिज्म एक मानसिक रोग है. जिसमें बच्चों का दिमाग पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता है. शुरुआती लक्षण 1 से 3 साल के बच्चों में नजर आते हैं. विशेषज्ञों की मानें तो इस रोग से लड़के ज्यादा प्रभावित होते हैं. इसकी चपेट में आने से बच्चे का मानसिक संतुलन संकुचित हो जाता है. इस कारण बच्चा परिवार और समाज से दूर रहने लगता है.

क्या है ऑटिज्म?
वैसे बच्चे जिसका दिमाग ठीक तरह से विकसित नहीं हो पाता है उसे ऑटिज्म कहा जाता है. ऐसे में उन बच्चों के जीवन बेहतर करने के लिए उनमें सुधार लाने के लिए सरकार द्वारा कई कदम भी उठाए जा रहे हैं. हर साल इसी दिन विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है और बच्चों में जागरूकता लाने को लेकर कई तरह के कार्यक्रम किए जाते हैं. मसौढ़ी स्थित बुनियाद केंद्र में उन सभी दिव्यांग बच्चों के बीच कई तरह के कार्यक्रम किए गए और कार्यक्रम के अंत में उन्हें पुरस्कृत भी किया गया.

मौके पर कई लोग मौजूद
इस मौके पर स्थापना उपसमाहर्ता, प्रखंड विकास पदाधिकारी चंडी एवं हरनौत, अंचलाधिकारी चंडी, चिकित्सा पदाधिकारी, थानाध्यक्ष, चंडी प्रखंड कर्मी, अनिल सिंह, जिला दिव्यांग समूह अध्यक्ष ह्रदय यादव, जिला परिषद सदस्य निरंजन कुमार, मुखिया मृत्युंजय सिंह, रंजीत यादव, प्रवीण कुमार, राष्ट्रीय पैरा खिलाड़ी कुंदन कुमार पांडे, दिव्यांग जागरूकता मंच के संचालक धीरज कुमार, संजय कुमार, राजवल्लभ यादव, मीडिया कर्मी, ग्रामीण जनता के साथ सैंकड़ों दिव्यांगजन मौजूद थे.

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