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नालंदा: बसवन बीघा के बुनकर कपिलदेव प्रसाद को मिलेगा राष्ट्रीय पुरस्कार - जर्मनी-आस्ट्रेलिया

साल 2017 में आयोजित हैंडलूम प्रतियोगिता में 3 मीटर चौड़ा और सवा 2 मीटर लंबा भगवान बुद्ध, पीपल का पत्ता और विश्व शांति स्तूप की कलाकृति वाला पर्दा बनाने के लिए उन्हें ये पुरस्कार दिया जा रहा है.

बसवन बीघा के बुनकर कपिलदेव प्रसाद का राष्ट्रीय पुरस्कार के लिये हुया चयन
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Published : Nov 6, 2019, 3:09 PM IST

नालंदा: भारत सरकार के केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय ने देश के 31 बुनकरों को सम्मानित करने की घोषणा की है. बिहार से नालंदा के बसवन बीघा के बुनकर कपिलदेव प्रसाद का भी इसके लिए चयन किया गया है, जिन्होंने इस क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है.

2017 के हैंडलूम प्रतियोगिता के लिए दिया जा रहा पुरस्कार
कपिल देव प्रसाद ने बताया कि ये उनका पुश्तैनी काम है. महज 15 साल की उम्र से ही उन्होंने इस काम को शुरू कर दिया था. साल 2017 में आयोजित हैंडलूम प्रतियोगिता में 3 मीटर चौड़ा और सवा 2 मीटर लंबा भगवान बुद्ध, पीपल का पत्ता और विश्व शांति स्तूप की कलाकृति वाला पर्दा बनाने के लिए उन्हें ये पुरस्कार दिया जा रहा है. ये काम करते हुए उन्हें आज करीब 50 साल हो गए हैं. इसके लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं.

nalanda
राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित कलाकृति

पुरस्कार के लिए चयनित राज्य के अकेले बुनकर
इस घोषणा से बसवन बीघा में काफी खुशी का माहौल देखा जा रहा है. कपिल देव राज्य के अकेले बुनकर हैं जिनका इस पुरस्कार के लिए चयन किया गया है. पुरस्कार मिलने की तिथि की घोषणा अभी नहीं हुई है. इसमें प्रशस्ति पत्र, शॉल के अलावा 75 हजार नगद दिया जाएगा.

बसवन बीघा के बुनकर कपिलदेव प्रसाद का राष्ट्रीय पुरस्कार के लिये हुआ चयन

राष्ट्रपति भवन की शोभा बढ़ाते थे यहां के बुनकरों के पर्दे
मालूम हो कि बसवन बीघा में हस्तकरघा उद्योग लंबे समय से चल रहा है. बुनकरों के बनाए पर्दे कभी राष्ट्रपति भवन की शोभा बढ़ाते थे. साल 2000 तक बिहार राज निर्यात निगम की ओर से यहां के पर्दे और चादर जर्मनी-आस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों में भेजे जाते थे, जिसके बाद निगम पर संकट आने से निर्यात भी बंद हो गया.

नालंदा: भारत सरकार के केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय ने देश के 31 बुनकरों को सम्मानित करने की घोषणा की है. बिहार से नालंदा के बसवन बीघा के बुनकर कपिलदेव प्रसाद का भी इसके लिए चयन किया गया है, जिन्होंने इस क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है.

2017 के हैंडलूम प्रतियोगिता के लिए दिया जा रहा पुरस्कार
कपिल देव प्रसाद ने बताया कि ये उनका पुश्तैनी काम है. महज 15 साल की उम्र से ही उन्होंने इस काम को शुरू कर दिया था. साल 2017 में आयोजित हैंडलूम प्रतियोगिता में 3 मीटर चौड़ा और सवा 2 मीटर लंबा भगवान बुद्ध, पीपल का पत्ता और विश्व शांति स्तूप की कलाकृति वाला पर्दा बनाने के लिए उन्हें ये पुरस्कार दिया जा रहा है. ये काम करते हुए उन्हें आज करीब 50 साल हो गए हैं. इसके लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं.

nalanda
राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित कलाकृति

पुरस्कार के लिए चयनित राज्य के अकेले बुनकर
इस घोषणा से बसवन बीघा में काफी खुशी का माहौल देखा जा रहा है. कपिल देव राज्य के अकेले बुनकर हैं जिनका इस पुरस्कार के लिए चयन किया गया है. पुरस्कार मिलने की तिथि की घोषणा अभी नहीं हुई है. इसमें प्रशस्ति पत्र, शॉल के अलावा 75 हजार नगद दिया जाएगा.

बसवन बीघा के बुनकर कपिलदेव प्रसाद का राष्ट्रीय पुरस्कार के लिये हुआ चयन

राष्ट्रपति भवन की शोभा बढ़ाते थे यहां के बुनकरों के पर्दे
मालूम हो कि बसवन बीघा में हस्तकरघा उद्योग लंबे समय से चल रहा है. बुनकरों के बनाए पर्दे कभी राष्ट्रपति भवन की शोभा बढ़ाते थे. साल 2000 तक बिहार राज निर्यात निगम की ओर से यहां के पर्दे और चादर जर्मनी-आस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों में भेजे जाते थे, जिसके बाद निगम पर संकट आने से निर्यात भी बंद हो गया.

Intro:नालंदा। बुनकर के क्षेत्र में पहचान बनाने वाला नालंदा का बसवन बीघा के बुनकर कपिलदेव प्रसाद को सम्मान मिलने की घोषणा काफी खुशी का माहौल देखा जा रहा है । भारत सरकार के केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय द्वारा देश के 31 बुनकरों को सम्मानित करने की घोषणा की गई है जिसमें पूरे बिहार में कपिल देव अकेले बुनकर है जिनका इस पुरस्कार के लिए चयन किया गया है। वर्ष 2017 में आयोजित हैंडलूम प्रतियोगिता में खूबसूरत कलाकृति बनाने के लिए यह राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयन किया गया है जिसमें कपिलदेव प्रसाद को शामिल किया गया है। घोषणा के बाद कपिल देव प्रसाद भी काफी खुश है। हाल के दिनों में हुई घोषणा के बाद मंत्रालय के बुलावे का इंतज़ार है। फिलहाल पुरस्कार मिलने की तिथि की घोषणा नही हुई है। इस पुरस्कार में प्रशस्ति पत्र, शाल के अलावा 75 हज़ार नगद पुरस्कार दिया जाएगा।


Body:बिहारशरीफ प्रखंड के बसवन बीघा गांव में बुनकरी का कार्य पुश्तैनी रूप से चलता आ रहा है । कपिल देव प्रसाद भी इस कारोबार से जुड़े रहे । महज 15 वर्ष की आयु में ही उन्होंने बुनकर के कार्य से अपने लगाव को आगे बढ़ाते हुए काम को शुरू कर दिया था। करीब 50 वर्ष हो गया है और वे लगातार बुनकर के कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए काम करते रहें । बिहार सरकार द्वारा वर्ष 2001- 02 में हस्तकरघा एवं रेशम निदेशालय द्वारा प्रशस्ति पत्र एवं पुरस्कृत करने का काम किया गया था। इसके अलावा बसवन बीघा प्राथमिक बुनकर सहकारी समिति लिमिटेड को वर्ष 1993-94 में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था लेकिन यह पहला मौका है कि कपिल देव प्रसाद को राष्ट्रीय पुरस्कार देने का घोषणा किया गया है।
मालूम हो कि बसवन बीघा में हस्तकरघा उद्योग लंबे समय से चल रहा है । बुनकरों के बनाए पर्दे कभी राष्ट्रपति भवन की शोभा बढ़ाते थे। राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के कार्यकाल के बाद चादर का आर्डर बंद हो गया। वर्ष 2000 तक बिहार राज निर्यात निगम की ओर से यहां के पर्दे एवं चादर विदेश में यानी जर्मनी आस्ट्रेलिया अमेरिका जैसे देशों में भेजे जाते थे । जिसके बाद निगम पर संकट आया तो निर्यात भी बंद हो गया। यहां की बनी बावन बूटी साड़ी की मार्केटिंग हैंडलूम कारपोरेशन द्वारा किया जाता था जिसकी अच्छी मांग थी लेकिन वह भी अब बंद के कगार पर आ गया।


Conclusion:वर्ष 2017 में आयोजित हैंडलूम प्रतियोगिता में बेहतर कलाकृति बनाने पर कपिल देव प्रसाद का चयन किया गया है । उनके द्वारा 3 मीटर चौड़ा एवं सवा 2 मीटर लंबा पर्दा बनाकर प्रदर्शनी में पेश किया गया था। इस पर्दे में भगवान बुद्ध, पीपल का पत्ता एवं विश्व शांति स्तूप की कलाकृति बनाई गई थी । सूबे के एकमात्र बुनकर है जिनका चयन इस सम्मान के लिए हुआ है।
बाइट। कपिलदेव प्रसाद, बुनकर
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