नालंदाः बिहारशरीफ सदर अस्पताल की सूरत भले ही बदल गई हो लेकिन व्यवस्था द्वारा लापरवाही बरतने में कोई कमी नहीं है. अस्पताल में नए इमरजेंसी वार्ड (Ventilator without operator In Sadar Hospital) का निर्माण कराया गया है. अस्पताल प्रबंधन ने दावा किया था कि मिशन 60 में सारी व्यवस्था चुस्त दुरुस्त कर दी जाएगा. व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए कई उपकरण मांगा कर हॉस्पिटल में लगवाया गया, लेकिन उनको ऑपरेट करने वाला ही कोई नहीं है.
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"इमरजेंसी की कोई भी व्यवस्था सही नहीं है, सिर्फ मुआयना करके लोग चले जाते हैं. ओटी में एक भी स्टूमेंट सही नहीं है. अगर यही हालत रही तो 24 घंटे के अंदर हमलोग काम का बहिष्कार कर देंगे"- डॉ. राजीव रंजन, एमओ, सदर अस्पताल
वेंटीलेटर चलाने वाला कोई प्रशिक्षित चिकित्सक नहीं ः दरअसल मरीजों को बेहतर सुविधा देने के लिए इमरजेंसी वार्ड में ही वेंटीलेटर की सुविधा उपलब्ध कराई गई. मगर इसकी हकीकत सफेद हाथी के दांत जैसी है. वेंटीलेटर तो लगा दिया गया है, लेकिन इस वेंटीलेटर में मॉनिटर नहीं है इतना ही नहीं इसे ऑपरेट करने वाला भी कोई प्रशिक्षित चिकित्सक नहीं है. तो क्या सिर्फ अस्पताल की सूरत बदलने से मरीज को लाभ मिल जाएगा, वेंटीलेटर लगने के बावजूद मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है.
अस्पताल के एमओ हैं परेशानः मिशन 60 के तहत सदर अस्पताल को डिजिटल बनाया गया है. लेकिन इस दृश्य को देखकर आप खुद अंदाज़ा लगा सकते हैं कि यह मरीजों के लिए कितना लाभकारी है या आने वाले वक्त में होगा. सदर अस्पताल के एमओ डॉ. राजीव रंजन ने कहा कि इमरजेंसी की कोई भी व्यवस्था सही नहीं है, सिर्फ मुआयना करके लोग चले जाते हैं. ओटी में एक भी स्टूमेंट सही नहीं है. उनका कहना है कि अगर यही हालत रही तो 24 घंटे के अंदर वो लोग काम का बहिष्कार कर देंगे.