नालंदा: पावापुरी स्थित जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के 2548 वें निर्वाण दिवस के अवसर पर रविवार से नालंदा में दो दिवसीय पावापुरी महोत्सव (Pawapuri Festival in Nalanda) प्रारंभ किया गया. इस अवसर पर पावापुरी महोत्सव का उद्घाटन बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने किया. इस अवसर पर वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि भगवान महावीर के आदर्शों को आत्मसात करने की जरूरत है. भगवान महावीर ने जो त्याग तपस्या कर अंहिसा परमोधर्म का जो संदेश दिया है वो आज भी विश्व में प्रासंगिक है.
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निर्वाण दिवस के अवसर पर पावापुरी के जल मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया है. नालंदा जिला मुख्यालय से लगभग 11 किलोमीटर दूर स्थित जैनों का पवित्र जल मंदिर (Jal Mandir Pawapuri) है. इसके दर्शन के लिए श्रद्धालु दूर- दूर से आते हैं. इसका महत्व हर साल दीपावली के मौके पर और भी बढ़ जाता है. इस दिन भगवान महावीर का 2548वां निर्वाण दिवस है. इस मौके पर मंदिर में विशेष पूजा की जाती है. खास तरह का आयोजन होता है जिसमें शामिल होने के लिए कई देशों से श्वेतांबर और दिगंबर जैन अनुयायी यहां पहुंचते हैं. इस उपलक्ष्य में पावापुरी में एक बड़ा मेला भी लगता है. यहां जैन श्रद्धालुओं के अलावा विभिन्न धर्म के श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा रही है.
दीपावली की सुबह लगती है लड्डू की बोली: जिस दिन दीपावली होती है यानी कार्तिक मास की अमावस्या की मध्य रात को भगवान महावीर का परिनिर्वाण हुआ था. इसी के उपलक्ष्य में हर साल जल मंदिर में दीपोत्सव होता है. इस दौरान इसे देखने के लिए जैन धर्मावलंबी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. इस जल मंदिर में लड्डू चढ़ाने की भी परंपरा है. मंदिर में लड्डू चढ़ाने के लिए दोनों श्वेतांबर और दिगंबर श्रद्धालुओं के बीच बोली लगती है . जो भी श्रद्धालु सबसे ज्यादा बोली लगाता है उसे मंदिर में लड्डू चढ़ाने का मौका दिया जाता है.
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लगता है दीपावली मेला: पावापुरी में निर्वाण महोत्सव को लेकर दीपावली मेला भी लगता है. दिवाली के दिन बड़ी संख्या में जैन श्रद्धालु रथ यात्रा में शामिल होते हैं. इसमें चांदी के रथ पर भगवान महावीर को लेकर पावापुरी के ही अलग-अलग जैन मंदिरों में भ्रमण कराया जाता है. अंत में पावापुरी निर्वाण स्थान जल मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती है. मंदिर की भव्यता ऐसी है कि हर कोई यहां पहुंचकर शांति का अनुभव करता है. चारों तरफ जल से घिरा हिस्सा और बीच में पावापुरी का जल मंदिर.
"भगवान महावीर के आदर्शों को आत्मसात करने की जरूरत है. भगवान महावीर ने जो त्याग तपस्या कर अंहिसा परमोधर्म का जो संदेश दिया है वो आज भी विश्व में प्रासंगिक है"-विजय कुमार चौधरी, मंत्री