नालंदा: क्या आपने कभी हाथी को जूते पहने हुए देखा या सुना है? आप इस पर विश्वास नहीं करेंगे. सवाल पूछने वाले पर शायद आप भड़क जाएंगे. बात कल्पना से परे है, लेकिन यह सच है. सड़कों पर घूमने वाले गजराज के पैरों में जल्द ही जूते दिखेंगे (Shoes Are Made For Elephants). इसे पहनकर जब धरती का सबसे बड़ा जानवर चलेगा तो उसके पांवों में न तो कंकड़-पत्थर चुभेगा और न ही भीषण गर्मी में पक्की सड़कों पर पांव जलेंगे.
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हाथियों के लिए जूते: हाथियों के लिए जूते बनवाने का ख्याल बिहार के गया जिले के अख्तर इमाम के जेहन में आई. वो चार हाथियों के मालिक हैं. भीषण गर्मी में नंगे पांव चलने पर हाथी को होने वाली पीड़ा को उन्होंने महसूस किया और तय किया कि वो हाथियों के लिए ऐसा उपाय करेंगे, जिससे गजराज के पैरों को आराम मिले.
हाथियों को चलने में नहीं होगी परेशानी: अख्तर इमाम एरावत ट्रस्ट के अध्यक्ष भी हैं और हाथी विशेषज्ञ भी हैं. उन्होंने बताया कि पक्की सड़कों पर हाथियों को चलने में परेशानी होती है. इसके लिए जूता बनवाने की दिशा में उन्होंने पहल किया. वैसे तो अख्तर इमाम की देखरेख में कई हाथी है, लेकिन मोती, रागिनी और बेटी तीनों उनके काफी करीब हैं.
10 किलो है एक जोड़े जूते का वजन: बेटी नामक हाथी अभी बोधगया में है. यह कम उम्र की हथिनी है. उन्होंने कहा कि मोती और रागिनी के पैर के नाप का जूता बनकर तैयार है. जबकि बेटी के पैरों का माप ले लिया गया है. उसके लिए भी जूता बनाया जा रहा है. चमड़े से बने एक जोड़े जूते का वजन लगभग 10 किलोग्राम है.
मोरातलाब में हाती के लिए जूतों का निर्माण: अख्तर इमाम ने नालंदा के बिहारशरीफ के प्रसिद्ध चमड़ा मंडी मोरातलाब के मोची अनिरूद्ध को हाथियों के लिए जूते बनाने का जिम्मा सौंपा हैं. कारीगरों ने सबसे पहले हाथी के पैरों का नाप लिया, फिर उसके लिए जूता बनाने का काम शुरू किया. मोची अनिरूद्ध डेढ़ साल से झारखंड में बैंकर के तौर पर कार्यरत हैं. बिहारशरीफ में उनके बुज़ुर्ग पिता और छोटा भाई दुकान पर इस पेशे से जुड़े हैं.
"हाथी के लिए जूते बनाने का प्रस्ताव मिलने पर पहले पहल तो मैं चौंक गया था, लेकिन अंततः इस प्लान पर काम करने का निर्णय किया. हाथी के लिए जूते का सोल मजबूत होना चाहिए. यह भांपकर टायर काट कर सोल बनाया गया है. हाथी के लिए जूते का आकार ऐसा है कि उसके पैर खुले-खुले भी रहें. इसलिए, सैंडल की तरह इसमें फीते लगाए गए हैं, ताकि एक बार पहनाने के बाद हाथी को असहजता नहीं हो. वर्ना, परेशानी होने पर हाथी इसे तोड़ कर फेंक सकता है. हाथी के एक सेट जूते बनाने में कम से कम 12 हजार रुपए का खर्च आया है."- अनिरुद्ध, दुकान संचालक
"हाथी का जूता बनाया था. पहले गया हाथी के पैर का मापा, उसके बाद लेदर का कटिंग कर सिलाई किया. उसके बाद उसको टायर का सोल बनाकर फिटिंग किया. उसके बाद वो आये और बाइक पर बैठाकर ले गये. वहां हाथी के पैर में फिट किया और उसे चलाकर देखा तो हाथी चलने लगा. उसमें आठ हजार का खर्च लगा था और चार हजार रुपये मजदूरी मिली थी. अभी पेशा में दिक्कत आ गई है. जूता यहां से बनकर हाजीपुर, पटना, शेखपुरा समेत कई जगहों पर जाता है."- सुरेश दास, अनिरुद्ध के पिता