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नालंदा: जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर हैं छात्र, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

विद्यालय में मात्र 2 ही कमरा है.  कुल 54 छात्र नामांकित है.  जर्जर भवन के कारण बच्चे स्कूल आने से डरते है.

जर्जर विद्यालय
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Published : Apr 2, 2019, 10:12 AM IST

नालंदा: सरकार द्वारा शिक्षा में सुधार की बात तो कही जाती है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल में संसाधनों की कमी है. जिसके कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नही मिल पाती है. नालंदा के चंडी प्रखंड के टांडापर गांव के प्राथमिक विद्यालय संसाधन विहीन है और साथ ही विद्यालय का भवन जर्जर है. जिस कारण कभी भी हादसा हो सकता है.

जर्जर विद्यालय भवन और जानकारी देते शिक्षक

इस गांव के बच्चे शुरुआती शिक्षा इसी स्कूल में प्राप्त करते है. लेकिन सुविधा नही होने के कारण बच्चो को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है.विद्यालय में मात्र 2 ही कमरा है. कुल 54 छात्र नामांकित है. जर्जर भवन के कारण बच्चे स्कूल आने से डरते है.

विभाग नही कर रहा कोई कार्रवाई

विद्यालय के शिक्षक के अनुसार भवन के जर्जर होने की शिकायत विभागीय अधिकारी को दी गयी है. लेकिन अब तक इस दिशा में कोई करवाई नही की गई. जिसके कारण बच्चो को कभी भी अनहोनी की आशंका बना रहता है. इतना ही नही पानी के लिये लगाया गया हैंडपप भी खराब है. साथ हीं विद्यालय में बच्चे जमीन पर बैठ कर पढ़ते हैं.

नालंदा: सरकार द्वारा शिक्षा में सुधार की बात तो कही जाती है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल में संसाधनों की कमी है. जिसके कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नही मिल पाती है. नालंदा के चंडी प्रखंड के टांडापर गांव के प्राथमिक विद्यालय संसाधन विहीन है और साथ ही विद्यालय का भवन जर्जर है. जिस कारण कभी भी हादसा हो सकता है.

जर्जर विद्यालय भवन और जानकारी देते शिक्षक

इस गांव के बच्चे शुरुआती शिक्षा इसी स्कूल में प्राप्त करते है. लेकिन सुविधा नही होने के कारण बच्चो को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है.विद्यालय में मात्र 2 ही कमरा है. कुल 54 छात्र नामांकित है. जर्जर भवन के कारण बच्चे स्कूल आने से डरते है.

विभाग नही कर रहा कोई कार्रवाई

विद्यालय के शिक्षक के अनुसार भवन के जर्जर होने की शिकायत विभागीय अधिकारी को दी गयी है. लेकिन अब तक इस दिशा में कोई करवाई नही की गई. जिसके कारण बच्चो को कभी भी अनहोनी की आशंका बना रहता है. इतना ही नही पानी के लिये लगाया गया हैंडपप भी खराब है. साथ हीं विद्यालय में बच्चे जमीन पर बैठ कर पढ़ते हैं.

Intro:नालंदा। सरकार द्वारा शिक्षा में सुधार की बात तो कही जा रही है लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल में संसाधनों की कमी है जिसके कारण गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई की बात कहना बेमानी है। चंडी प्रखंड के टांडा पर गांव के प्राथमिक विद्यालय संसाधन विहीन तो है ही विद्यालय का भवन जर्जर होने के कारण कभी भी हादसा हो सकता है। इस विद्यालय में मात्र 2 ही कमरा हैं। कुल 54 छात्र नामांकित है। जर्जर भवन के कारण बच्चे स्कूल आने में डरते है।


Body:मालूम हो कि इस गांव के बच्चे की शुरुआती शिक्षा इसी स्कूल में होती है लेकिन सुविधा नही होने के कारण बच्चो को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता है। यह स्कूल का भवन दो कमरे का है और दोनों ही कमरा काफी जर्जर हो चुका है। विद्यालय के शिक्षक के अनुसार भवन के जर्जर होने की शिकायत विभागीय अधिकारी को दी गयी लेकिन अब तक इस दिशा में कोई करवाई नही की गई जिसके कारण बच्चो को कभी भी अनहोनी की आशंका बना रहता है। ग्रामीण भी भवन जर्जर होने के कारण बच्चो को स्कूल भेजने से डरते है। इतना ही नही पानी के लिये लगाया गया हैंडपप भी खराब है। विद्यालय में बच्चो को जमीन पर बैठा कर पढ़ाया जाता है।


Conclusion:भले ही सरकार स्कूल में सुविधा पहुचाने का दावा करती हो लेकिन आज भी सरकारी विद्यालय में सुविधा नदारद है।
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