नालंदा: राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत आयुष चिकित्सकों के वेतन को दोगुना किए जाने के बाद टीम में शामिल फार्मासिस्ट और एएनएम ने विरोध दर्ज कराना शुरू कर दिया है. इसको लेकर फार्मासिस्ट और एएनएम कार्यस्थल पर काली पट्टी लगाकर काम कर रहे हैं. इनका कहना है कि एक ही जगह पर काम करने के बावजूद सरकार दोहरा मापदंड अपना रही है.
आयुष चिकित्सकों का बढ़ा वेतन
बता दें कि 2015 में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत टीम का गठन किया गया था. इस टीम में दो आयुष चिकित्सक, एक फार्मासिस्ट और एक नर्स की नियुक्ति की गई थी. लिखित परीक्षा के आधार पर यह नियुक्ति की गई थी. सरकार के द्वारा 9 फरवरी 2020 को आयुष चिकित्सक का वेतन दोगुना कर दिया गया है. इसके साथ ही उनके लिए एरियर का भुगतान किया गया, जबकि फार्मासिस्ट और एएनएम को तय राशि का ही भुगतान की गई, जिसके बाद विरोध शुरू हो गया है.
'नहीं मिल रहा उचित वेतन'
फार्मासिस्ट फिरोज हुसैन ने बताया कि सरकार द्वारा आयुष चिकित्सक को एमबीबीएस के समतुल्य वेतनमान की स्वीकृति दी गई है. वहीं, फार्मासिस्ट और एएनएम को अन्य स्थानों पर काम कर रहे फार्मासिस्ट और एएनएम के समतुल्य भी वेतन नहीं मिल रहा है.
सरकार को दिया गया ज्ञापन
कोविड-19 महामारी के दौरान भी वे लोग अग्रिम पंक्ति पर रहकर मानवता धर्म का पालन करते हुए काम कर रहे हैx, लेकिन सरकार के दोहरे मापदंड के विरोध में आंशिक विरोध दर्ज कराते हुए काला बिल्ला लगाकर काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस संबंध में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी एक ज्ञापन दिया गया है ताकि उन लोगों के वेतन की विसंगति को दूर किया जा सके.