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Nalanda news: नालंदा में स्ट्रॉबेरी की खेती ने बदली किसान अनुज की किस्मत, हो रहा लाखों का मुनाफा

ज्ञान की धरती नालंदा शिक्षा के अलावा गेहूं आलू धान के बाद अब स्ट्रॉबेरी की खेती में भी अपनी अलग पहचान बना रही है. स्ट्रॉबेरी की खेती से हो रहे मुनाफे से किसान भी काफी उत्साहित हैं.

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Published : Mar 9, 2023, 5:13 PM IST

नालंदा में स्ट्रॉबेरी की खेती

नालंदा: बिहार के नालंदा में अनुज स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. इसके लिए अनुज को उनके बेटे ने प्रोत्साहित किया था. अब अनुज स्ट्रॉबेरी की खेती कर नई इबारत लिख रहे हैं. जिले के नगरनौसा प्रखंड के दाम चक गांव निवासी अनुज कुमार पिछले 4 वर्षों से स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. इससे उनको दुगना मुनाफा मिल रहा है. साथ ही असहाय और बेरोजगार महिलाओं को रोजगार भी दे रहे हैं.


पढ़ें- Gaya News: दिल्ली की सड़कों पर स्ट्रॉबेरी देख आया आईडिया, 5 स्टार होटल की नौकरी छोड़ शुरू कर दी खेती

स्ट्रॉबेरी की खेती ने बदली किसान की किस्मत: किसान अनुज कुमार बताते हैं कि जिले में स्ट्रॉबेरी की उत्पाद के लिए ब्रांडिंग हो जाए तो इनकम का ग्राफ तीन गुना अधिक होगा. अनुज दूसरे किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं. गांव के एक और किसान ने उनके मार्गदर्शन से इस साल 10 बीघा में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की है. उन्होंने ने बताया कि इसकी खेती के लिए बेटे ने बताया था. फिर सब्बौर जाकर खेती की जानकारी ली. प्रशिक्षण प्राप्त कर 5000 पौधे से खेती शुरू की थी.

'आज दो एकड़ में इसकी खेती ड्रिप तकनीक के माध्यम से कर रहे हैं. जिसका लाभ भी हो रहा है. पूंजी से दो गुना ज्यादा लाभ हो रहा है. पटना या कोलकाता की मंडियों में स्ट्रॉबेरी को भेजने पर पूरा रिस्क किसान को उठाना पड़ता है. मंडी में भेजने के बाद फल की बिक्री हो जाती है तो 6% एजेंट कमीशन काटकर भुगतान करता है.'- अनुज कुमार, किसान

अनुदान की मांग: हालांकि अनुज अपनी परेशानी साझा करते हुए कहते हैं कि स्ट्रॉबेरी की बिक्री नहीं होने पर नुकसान किसान को होता है और वहीं नुकसान उठाता है. स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए औरंगाबाद के किसानों को सरकार अनुदान देती है. लेकिन, नालंदा के किसानों को कोई अनुदान नहीं मिलता है. खेत का जायजा लेने पदाधिकारी तो आते हैं मदद का आश्वासन भी देते हैं पर आजतक कोई सहायता नहीं मिली है.

स्ट्रॉबेरी के हैं कई फायदे: स्ट्रॉबेरी स्वास्थ के लिए लाभकारी है. कैंसर जैसी घातक बीमारी के लिए स्ट्राबेरी लड़ने में मदद पहुंचाती है. इसमें मौजूद विटामिन सी त्वचा व बालों का ख्याल रखने में सहायक है. पांच हेक्टेयर में जिले में खेतीि करने का लक्ष्य है. नगरनौसा से तीन बिहारशरीफ से एक व सिलाव दो किसानों ने इसके लिए आवेदन दिया है.

नालंदा में स्ट्रॉबेरी की खेती

नालंदा: बिहार के नालंदा में अनुज स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. इसके लिए अनुज को उनके बेटे ने प्रोत्साहित किया था. अब अनुज स्ट्रॉबेरी की खेती कर नई इबारत लिख रहे हैं. जिले के नगरनौसा प्रखंड के दाम चक गांव निवासी अनुज कुमार पिछले 4 वर्षों से स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. इससे उनको दुगना मुनाफा मिल रहा है. साथ ही असहाय और बेरोजगार महिलाओं को रोजगार भी दे रहे हैं.


पढ़ें- Gaya News: दिल्ली की सड़कों पर स्ट्रॉबेरी देख आया आईडिया, 5 स्टार होटल की नौकरी छोड़ शुरू कर दी खेती

स्ट्रॉबेरी की खेती ने बदली किसान की किस्मत: किसान अनुज कुमार बताते हैं कि जिले में स्ट्रॉबेरी की उत्पाद के लिए ब्रांडिंग हो जाए तो इनकम का ग्राफ तीन गुना अधिक होगा. अनुज दूसरे किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं. गांव के एक और किसान ने उनके मार्गदर्शन से इस साल 10 बीघा में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की है. उन्होंने ने बताया कि इसकी खेती के लिए बेटे ने बताया था. फिर सब्बौर जाकर खेती की जानकारी ली. प्रशिक्षण प्राप्त कर 5000 पौधे से खेती शुरू की थी.

'आज दो एकड़ में इसकी खेती ड्रिप तकनीक के माध्यम से कर रहे हैं. जिसका लाभ भी हो रहा है. पूंजी से दो गुना ज्यादा लाभ हो रहा है. पटना या कोलकाता की मंडियों में स्ट्रॉबेरी को भेजने पर पूरा रिस्क किसान को उठाना पड़ता है. मंडी में भेजने के बाद फल की बिक्री हो जाती है तो 6% एजेंट कमीशन काटकर भुगतान करता है.'- अनुज कुमार, किसान

अनुदान की मांग: हालांकि अनुज अपनी परेशानी साझा करते हुए कहते हैं कि स्ट्रॉबेरी की बिक्री नहीं होने पर नुकसान किसान को होता है और वहीं नुकसान उठाता है. स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए औरंगाबाद के किसानों को सरकार अनुदान देती है. लेकिन, नालंदा के किसानों को कोई अनुदान नहीं मिलता है. खेत का जायजा लेने पदाधिकारी तो आते हैं मदद का आश्वासन भी देते हैं पर आजतक कोई सहायता नहीं मिली है.

स्ट्रॉबेरी के हैं कई फायदे: स्ट्रॉबेरी स्वास्थ के लिए लाभकारी है. कैंसर जैसी घातक बीमारी के लिए स्ट्राबेरी लड़ने में मदद पहुंचाती है. इसमें मौजूद विटामिन सी त्वचा व बालों का ख्याल रखने में सहायक है. पांच हेक्टेयर में जिले में खेतीि करने का लक्ष्य है. नगरनौसा से तीन बिहारशरीफ से एक व सिलाव दो किसानों ने इसके लिए आवेदन दिया है.

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