नालंदा: पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का कोहराम जारी है. भारत में भी इस महामारी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. इस बीच बिहार के नालंदा जिले में इस खतरनाक वायरस का संक्रमण ज्यादा नहीं फैले, इसके लिए प्रशासन की ओर से सभी स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन इस कोरोना वायरस के कोहराम के कारण लगाए गए लॉकडाउन का असर जहां सभी व्यवसायियों के ऊपर दिखने लगा है. वहीं दूध व्यवसायी भी इससे अछूता नहीं है. अस्थावां के 150 गांव के दूध व्यवसायियों के ऊपर भी इसका असर दिखने लगा है.
दूध व्यवसायियों पर भुखमरी का संकट
अस्थावां प्रखंड के वेनार मोड़ स्थित दुग्ध शीतकरण केंद्र को एक महीने पहले से बंद कर दिया गया है. जिसके बाद अस्थावां प्रखंड के पिपरापुर, मजीदपुर, सरवहदी, टिंकूलीपर, बहादीबीघा बडेपुर, औंन्दा, कईलापर समेत डेढ़ सौ गांव के दूध के व्यवसायियों पर इसका असर देखने को मिल रहा है. दूध व्यवसायियों ने कहा कि इस दुग्ध शीतकरण केंद्र में कर्मियों की आपसी विवाद की वजह से पिछले एक महीने से सैंकड़ो दूध व्यवसायियों के दूध को नहीं लिया जा रहा है.
इन कर्मियों के द्वारा सभी दूध व्यवसायियों के साथ मनमानी रवैया अपनाया जाता है. जिसकी वजह से दूध व्यवसायियों पर अब भुखमरी का संकट पैदा हो गया है. उनका कहना है कि वर्तमान में कोरोना की वजह से हम लोगों का दूध बेचना भी दुर्लभ हो गया है. साथ ही मनमानी रवैया के कारण हम लोगों को दूध का उचित दाम भी नहीं मिल रहा है.
लॉक डाउन के कारण फंसे कर्मचारी
दूध व्यवसायियों ने कहा कि रोजाना कई किलोमीटर मोटरसाइकिल से डेढ़ सौ गांव के समिति के लोग दूध लेकर अस्थावां शीतकरण दुग्ध केंद्र में आते हैं. दो-तीन घंटा बैठने के बावजूद दूध इन कर्मियों के द्वारा नहीं लिया जाता है. जिसकी वजह से हम सभी समितियों में शामिल दूध व्यवसायियों पर घोर संकट पैदा हो गया है. अब ऐसा लगता है कि दूध का व्यवसाय छोड़कर कोई दूसरा काम करना पड़ेगा.
इस मामले में अधिकारी रामदयाल सिंह ने फोन पर बताया कि हमारे यहां पूर्व में जो समिति से दूध लिया जा रहा है, उसी से सिर्फ दूध ले रहे हैं. क्योंकि कोरोना संकट के कारण लॉक डाउन के बाद कर्मचारी भी फंस गए हैं. इतना ही नही इस केंद्र में तकनीकी खराबी भी है. जिसके कारण समिति से लिया गया दूध बरबीघा शीतकरण भेजा जा रहा है. उम्मीद है कि कुछ दिनों बाद इसका समाधान हो जाएगा.