नालंदाः पावापुरी भगवान महावीर की निर्वाणस्थली भूमि में बिहार सरकार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के सैजन्य से आयोजित महावीर के 2548 वें निर्वाण अवसर पर रविवार से शुरू हुए दो दिवसीय पावापुरी महोत्सव 2022 में विख्यात सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र ने अपनी कला का अद्भुत नमूना पेश किया. सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र (Madhurendra engraved picture of Lord Mahavir ) ने महोत्सव पंडाल में बने मुख्य सांस्कृतिक मंच के सामने रखे बालू पर भगवान महावीर का विशाल आकृति उकेर अपनी बेहतरीन कला से अहिंसा परमो धर्म का संदेश दिया है. यह आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
इसे भी पढ़ेंः पटना में दिवाली के मौके पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम, चौक-चौराहों पर तैनात रहेंगे पुलिस कर्मी
बिहार का नाम गौरवान्वित कियाः इस कलाकृति को कई प्रदेशों से आए हुए जैन श्रद्धालु व आम नागरिक भी अपने कैमरे व सेलफोन में कैद कर रहे थे. आपको बता दें कि सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र सार्क देश नेपाल के विश्व प्रसिद्ध गढ़ी माई मेला, अंतराष्ट्रीय रेत कला उत्सव ओड़िसा, विश्वप्रसिद्ध सोनपुर मेला, बिहार के राजगीर महोत्सव, बौध महोत्सव गया, थावे महोत्सव, मंदार महोत्सव बांका, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, सहित देश विदेश में अनेक सरकारी आयोजनों में अपनी कला का प्रदर्शन कर कर बिहार का नाम अंतराष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया है.
जल मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गयाः निर्वाण दिवस के अवसर पर पावापुरी के जल मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया है. नालंदा जिला मुख्यालय से लगभग 11 किलोमीटर दूर स्थित जैनों का पवित्र जल मंदिर (Jal Mandir Pawapuri) है. इसके दर्शन के लिए श्रद्धालु दूर- दूर से आते हैं. इसका महत्व हर साल दीपावली के मौके पर और भी बढ़ जाता है. इस दिन भगवान महावीर का 2548वां निर्वाण दिवस है. इस मौके पर मंदिर में विशेष पूजा की जाती है. खास तरह का आयोजन होता है जिसमें शामिल होने के लिए कई देशों से श्वेतांबर और दिगंबर जैन अनुयायी यहां पहुंचते हैं. इस उपलक्ष्य में पावापुरी में एक बड़ा मेला भी लगता है. यहां जैन श्रद्धालुओं के अलावा विभिन्न धर्म के श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा रही है.
इसे भी पढ़ेंः World Tourism Day: बिहार का नालंदा, जहां कभी पूरी दुनिया से पढ़ने आते थे छात्र
लगता है दीपावली मेला: पावापुरी में निर्वाण महोत्सव को लेकर दीपावली मेला भी लगता है. दिवाली के दिन बड़ी संख्या में जैन श्रद्धालु रथ यात्रा में शामिल होते हैं. इसमें चांदी के रथ पर भगवान महावीर को लेकर पावापुरी के ही अलग-अलग जैन मंदिरों में भ्रमण कराया जाता है. अंत में पावापुरी निर्वाण स्थान जल मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती है. मंदिर की भव्यता ऐसी है कि हर कोई यहां पहुंचकर शांति का अनुभव करता है. चारों तरफ जल से घिरा हिस्सा और बीच में पावापुरी का जल मंदिर.