नालंदा: लेबर कोड में बदलाव के विरोध में ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल जारी है. इसका असर नालंदा में भी देखने को मिल रहा है. हड़ताल के कारण जिले के सभी बैंक और बीमा कंपनियों में ताला लटका है. वहीं, बंद के कारण अन्य दूसरे कामकाज भी प्रभावित हुए हैं.
हड़ताल को लेकर सुबह से ही श्रम संगठनों से जुड़े लोग बिहारशरीफ के सड़क पर उतर कर विरोध प्रर्दशन करते हुए सरकार के विरोध में नारेबाजी की. लोगों का कहना है कि सरकार श्रमिकों के हित की अनदेखी कर रही है. यह सरकार सिर्फ पूंजीपतियों के हित में काम कर रही है. बंद में भाग ले रहे ट्रेड यूनियन नेता मकसूदन शर्मा ने कहा कि प्रदर्शन के जरिये अपनी मांग रख रहे हैं. जिसमें पुरानी पेंशन योजना, समान काम के बदले समान वेतन, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को चतुर्थवर्गीय कर्मचारी में समायोजित करने, न्यूनतम मजदूरी 21 हजार और मासिक पेंशन 10 हजार करने की मांग की है.
निजीकरण का विरोध
वहीं, आंदोलन में भाग ले रहे सीपीआई नेता अशोक प्रसाद ने संविदा, ठेका, आउटसोर्सिंग प्रथा को खत्म करने की मांग की. इसकी जगह पर स्थाई नियुक्ति को पूर्ण रूप से लागू करने का सरकार से अनुरोध किया. सीपीआई नेता ने निजीकरण, राष्ट्रीय संपत्ति को बेचने और विभाजनकारी कानून को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा.
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सीपीआई नेता ने कहा कि सरकार जन विरोधी फैसले को सरकार वापस ले. वहीं, आशा, मिड डे मील, आंगनबाड़ी, रसोईया समेत सभी स्कीम कर्मियों को राज्य का दर्जा देने की मांग की गई. बता दें कि इस बंद में 10 ट्रेड यूनियन शामिल है. बंद के कारण जिले में बैंकिंग कामकाज प्रभावित हुआ है. वहीं, एटीएम के सर्विस पर भी इसका असर देखने को मिला.