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नालंदा में भी दिखा ट्रेड यूनियन की हड़ताल का असर, कामकाज पड़ा ठप

ट्रेड यूनियन के नेताओं ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया. वहीं, निजीकरण, राष्ट्रीय संपत्ति को बेचने और विभाजनकारी कानून को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा.

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ट्रेड यूनियन की हड़ताल
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Published : Jan 8, 2020, 12:31 PM IST

नालंदा: लेबर कोड में बदलाव के विरोध में ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल जारी है. इसका असर नालंदा में भी देखने को मिल रहा है. हड़ताल के कारण जिले के सभी बैंक और बीमा कंपनियों में ताला लटका है. वहीं, बंद के कारण अन्य दूसरे कामकाज भी प्रभावित हुए हैं.

हड़ताल को लेकर सुबह से ही श्रम संगठनों से जुड़े लोग बिहारशरीफ के सड़क पर उतर कर विरोध प्रर्दशन करते हुए सरकार के विरोध में नारेबाजी की. लोगों का कहना है कि सरकार श्रमिकों के हित की अनदेखी कर रही है. यह सरकार सिर्फ पूंजीपतियों के हित में काम कर रही है. बंद में भाग ले रहे ट्रेड यूनियन नेता मकसूदन शर्मा ने कहा कि प्रदर्शन के जरिये अपनी मांग रख रहे हैं. जिसमें पुरानी पेंशन योजना, समान काम के बदले समान वेतन, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को चतुर्थवर्गीय कर्मचारी में समायोजित करने, न्यूनतम मजदूरी 21 हजार और मासिक पेंशन 10 हजार करने की मांग की है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

निजीकरण का विरोध
वहीं, आंदोलन में भाग ले रहे सीपीआई नेता अशोक प्रसाद ने संविदा, ठेका, आउटसोर्सिंग प्रथा को खत्म करने की मांग की. इसकी जगह पर स्थाई नियुक्ति को पूर्ण रूप से लागू करने का सरकार से अनुरोध किया. सीपीआई नेता ने निजीकरण, राष्ट्रीय संपत्ति को बेचने और विभाजनकारी कानून को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा.

ये भी पढ़ेंः दिल्ली में अकेले विधानसभा चुनाव लड़ेगी JDU, प्रचार में उतरेंगे नीतीश कुमार

सीपीआई नेता ने कहा कि सरकार जन विरोधी फैसले को सरकार वापस ले. वहीं, आशा, मिड डे मील, आंगनबाड़ी, रसोईया समेत सभी स्कीम कर्मियों को राज्य का दर्जा देने की मांग की गई. बता दें कि इस बंद में 10 ट्रेड यूनियन शामिल है. बंद के कारण जिले में बैंकिंग कामकाज प्रभावित हुआ है. वहीं, एटीएम के सर्विस पर भी इसका असर देखने को मिला.

नालंदा: लेबर कोड में बदलाव के विरोध में ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल जारी है. इसका असर नालंदा में भी देखने को मिल रहा है. हड़ताल के कारण जिले के सभी बैंक और बीमा कंपनियों में ताला लटका है. वहीं, बंद के कारण अन्य दूसरे कामकाज भी प्रभावित हुए हैं.

हड़ताल को लेकर सुबह से ही श्रम संगठनों से जुड़े लोग बिहारशरीफ के सड़क पर उतर कर विरोध प्रर्दशन करते हुए सरकार के विरोध में नारेबाजी की. लोगों का कहना है कि सरकार श्रमिकों के हित की अनदेखी कर रही है. यह सरकार सिर्फ पूंजीपतियों के हित में काम कर रही है. बंद में भाग ले रहे ट्रेड यूनियन नेता मकसूदन शर्मा ने कहा कि प्रदर्शन के जरिये अपनी मांग रख रहे हैं. जिसमें पुरानी पेंशन योजना, समान काम के बदले समान वेतन, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को चतुर्थवर्गीय कर्मचारी में समायोजित करने, न्यूनतम मजदूरी 21 हजार और मासिक पेंशन 10 हजार करने की मांग की है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

निजीकरण का विरोध
वहीं, आंदोलन में भाग ले रहे सीपीआई नेता अशोक प्रसाद ने संविदा, ठेका, आउटसोर्सिंग प्रथा को खत्म करने की मांग की. इसकी जगह पर स्थाई नियुक्ति को पूर्ण रूप से लागू करने का सरकार से अनुरोध किया. सीपीआई नेता ने निजीकरण, राष्ट्रीय संपत्ति को बेचने और विभाजनकारी कानून को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा.

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सीपीआई नेता ने कहा कि सरकार जन विरोधी फैसले को सरकार वापस ले. वहीं, आशा, मिड डे मील, आंगनबाड़ी, रसोईया समेत सभी स्कीम कर्मियों को राज्य का दर्जा देने की मांग की गई. बता दें कि इस बंद में 10 ट्रेड यूनियन शामिल है. बंद के कारण जिले में बैंकिंग कामकाज प्रभावित हुआ है. वहीं, एटीएम के सर्विस पर भी इसका असर देखने को मिला.

Intro:ट्रेड यूनियन की हड़ताल का नालंदा में भी दिखा असर
प्रदर्शन कर सरकार के विरोध में कई नारेबाजी
नालंदा। श्रम कानूनों के कोड़ीकरण के विरोध में ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल का असर नालंदा में भी देखने को मिल रहा है। हड़ताल के कारण जिले के सभी बैंक बीमा कंपनी में ताला लटका रहा। 10 ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर हड़ताल का आयोजन किया गया । इस हड़ताल को लेकर सुबह से ही श्रम संगठनों के लोगों ने प्रदर्शन निकाला। सरकार के विरोध में नारेबाजी की। उनका कहना है कि सरकार द्वारा श्रमिकों के हित की अनदेखी की जा रही है और पूंजीपतियों के हित में काम किया जा रहा है।


Body:प्रदर्शन के माध्यम से हड़ताल के माध्यम से पुरानी पेंशन योजना को लागू करने, समान काम का समान वेतन लागू करने, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को चतुर्थवर्गीय कर्मचारी में समायोजित करने, न्यूनतम मजदूरी 21000 एवं मासिक पेंशन 10000 लागू करने, संविदा, ठेका, आउटसोर्सिंग प्रथा को खत्म करने, सभी का स्थाई नियुक्ति और पूर्णत लागू करने, निजी करण को बंद करने, राष्ट्रीय संपत्ति को बेचने को बंद करने, विभाजनकारी कानून को वापस लेने,आशा, मिड डे मील,आंगनबाड़ी, रसोईया समेत सभी स्कीम कर्मियों को राज्य का दर्जा देने की मांग की गई।


Conclusion:बंद में 10 ट्रेड यूनियन शामिल है । बंद के कारण बैंकिंग कामकाज पर असर पड़ा और एटीएम के सर्विस पर भी असर देखने को मिला।
बाइट। मकसूदन शर्मा,
बाइट। अशोक प्रसाद
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