ETV Bharat / state

बिहार: यहां बसते हैं बुढ़वा गणेश, भक्तों की सभी मनोकामना होती है पूरी

author img

By

Published : Sep 5, 2019, 12:03 AM IST

गणेश चतुर्थी के दिन से देश भर में बप्पा की पूजा की जा रही है. वहीं, नालंदा में एक ऐसा स्थान हैं, जहां 1889 से गणपति विराजमान हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है.

बुढ़वा गणेश

नालंदा: जिले के बिहारशरीफ में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करने का पुराना इतिहास है. वैसे तो महाराष्ट्र के तर्ज पर देश भर में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की जा रही है. लेकिन बिहार शरीफ में गणेश की प्रतिमा को स्थापित करने का अलग ही इतिहास है. सबसे पुराना गणेश प्रतिमा स्थल होने के कारण इसे लोग बुढ़वा गणेश के नाम से जानते है.

जिले में बप्पा की मूर्ती की स्थापना वर्ष 1899 में हुई थी. बताया जाता है कि भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना बाबू नोखु राम के ने की थी. चौक बाजार में स्थापित होने वाली प्रतिमा चांदी की होती थी. जो कि शहर के आकर्षण का केंद्र है. दूरदराज से लोग यहां आते थे और भगवान गणेश की पूजा अर्चना कर मन्नतें मांगते थे. लेकिन कालांतर में प्रतिमा को अपराधियों ने लूट लिया, जिसके बाद से यहां चांदी की प्रतिमा का अस्तित्व समाप्त हो गया.

नालंदा में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करने का है इतिहास
भगवान गणेश की पूजा करते पुजारी

1925 में स्थापित की गई थी भगवान गणेश की प्रतिमा
स्थानीय लोगों के अनुसार महाराष्ट्र में वर्ष 1925 में भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना की जाने लगी थी. अंग्रेजो के खिलाफ होने वाले आंदोलन के जरिए लोगों को एकजुट करने के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापना की शुरुआत महाराष्ट्र में की गई थी. लेकिन बिहार शरीफ का इतिहास उससे काफी पुराना है. स्थानीय लोगों के अनुसार यहां बिहारशरीफ में भगवान गणेश की पूजा आज भी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. शहर के विभिन्न इलाकों में भगवान गणेश की प्रतिमा को 10 दिनों तक स्थापित किया जाता है.

करिए बुढ़वा गणेश के दर्शन

मनोकामना होती है पूरी
बताया जाता है कि बिहारशरीफ शहर में आज भी करीब 100 से ऊपर भगवान गणेश की छोटी बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है. जिसकी लोग पूजा अर्चना करते है. 10 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में कई स्थलों पर जागरण और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. जिसमे बड़ी संख्या में लोग भाग लेते है. कहा जाता है कि भगवान गणेश की सच्चे मन से पूजा करने सेसारी मनोकामना पूरी होती है.

नालंदा: जिले के बिहारशरीफ में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करने का पुराना इतिहास है. वैसे तो महाराष्ट्र के तर्ज पर देश भर में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की जा रही है. लेकिन बिहार शरीफ में गणेश की प्रतिमा को स्थापित करने का अलग ही इतिहास है. सबसे पुराना गणेश प्रतिमा स्थल होने के कारण इसे लोग बुढ़वा गणेश के नाम से जानते है.

जिले में बप्पा की मूर्ती की स्थापना वर्ष 1899 में हुई थी. बताया जाता है कि भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना बाबू नोखु राम के ने की थी. चौक बाजार में स्थापित होने वाली प्रतिमा चांदी की होती थी. जो कि शहर के आकर्षण का केंद्र है. दूरदराज से लोग यहां आते थे और भगवान गणेश की पूजा अर्चना कर मन्नतें मांगते थे. लेकिन कालांतर में प्रतिमा को अपराधियों ने लूट लिया, जिसके बाद से यहां चांदी की प्रतिमा का अस्तित्व समाप्त हो गया.

नालंदा में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करने का है इतिहास
भगवान गणेश की पूजा करते पुजारी

1925 में स्थापित की गई थी भगवान गणेश की प्रतिमा
स्थानीय लोगों के अनुसार महाराष्ट्र में वर्ष 1925 में भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना की जाने लगी थी. अंग्रेजो के खिलाफ होने वाले आंदोलन के जरिए लोगों को एकजुट करने के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापना की शुरुआत महाराष्ट्र में की गई थी. लेकिन बिहार शरीफ का इतिहास उससे काफी पुराना है. स्थानीय लोगों के अनुसार यहां बिहारशरीफ में भगवान गणेश की पूजा आज भी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. शहर के विभिन्न इलाकों में भगवान गणेश की प्रतिमा को 10 दिनों तक स्थापित किया जाता है.

करिए बुढ़वा गणेश के दर्शन

मनोकामना होती है पूरी
बताया जाता है कि बिहारशरीफ शहर में आज भी करीब 100 से ऊपर भगवान गणेश की छोटी बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है. जिसकी लोग पूजा अर्चना करते है. 10 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में कई स्थलों पर जागरण और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. जिसमे बड़ी संख्या में लोग भाग लेते है. कहा जाता है कि भगवान गणेश की सच्चे मन से पूजा करने सेसारी मनोकामना पूरी होती है.

Intro:नालंदा। वैसे तो महाराष्ट्र के तर्ज़ पर देश के कई हिस्सों में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाने लगी है और भगवान की पूजा अर्चना की जाती है, लेकिन बिहार शरीफ में भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना का अपना एक इतिहास है। यहां लंबे अरसे से भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती रही है और पूजा अर्चना की जाती रही है । कहा जाता है कि इसी शुरुआत शहर के चौक बाजार में वर्ष 1899 में हुई थी । सबसे पुराना गणेश प्रतिमा स्थापना स्थल होने के कारण इसे अब लोग बुढ़वा गणेश के नाम से विख्यात हो चुके है।
बताया जाता है कि भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना बस 1899 में बाबू नोखु राम गके द्वारा की गई थी । धूमधाम से प्रतिमा की स्थापना होती थी और लोग पूजा अर्चना करते थे। चौक बाजार में स्थापित होने वाली प्रतिमा चांदी की होती थी जो कि शहर के आकर्षण का केंद्र होता था । दूरदराज से लोग यहां आते थे और भगवान गणेश की पूजा अर्चना कर मन्नतें भी मांगते थे। लेकिन कालांतर में प्रतिमा पर अपराधियों की नजर लगी और अपराधियों द्वारा प्रतिमा को लूट लिया गया, जिसके बाद यहां चांदी की प्रतिमा का अस्तित्व समाप्त हो गया।


Body:स्थानीय लोगों के अनुसार महाराष्ट्र में वर्ष 1925 में भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना की जाने लगी। अंग्रेजो के खिलाफ होने वाले आंदोलन के जरिए लोगों को एकजुट करने के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापना की शुरुआत महाराष्ट्र में की गई थी लेकिन बिहार शरीफ का इतिहास उससे काफी पुराना माना गया है । स्थानीय लोगों के अनुसार यहां बिहारशरीफ में भगवान गणेश की पूजा आज भी धूमधाम के साथ मनाया जाता है । शहर के विभिन्न इलाकों में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है जो कि 10 दिनों तक बिठाया जाता है। बताया जाता है कि बिहारशरीफ शहर में आज भी करीब 100 से ऊपर भगवान गणेश की छोटी बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है जिसका लोग द्वारा पूजा अर्चना की जाती है। 10 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम के दौरान कई स्थलों पर जागरण का आयोजन किया जाता है, सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमे बड़ी संख्या में लोग शिरकत करते है। कहा जाता है कि भगवान गणेश की सच्चे मन से लोग पूजा करते हैं तो उनकी मनोकामना पूरी होती है।
बाइट। भोला चरण पहाड़ी, सचिव, बुढ़वा गणेश
बाइट। जगदीश मिश्रा, पुजारी


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.