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मिलिए गया के कोकोनट बाबा से.. ये तो नारियल से खोजते हैं जमीन के अंदर पानी

गया की सड़कों में अगर आपको कोई हथेली में नारियल रखकर घूमता नजर आए तो हैरान मत हो जायेगा. ये कोकोनट बाबा हैं जो जमीन के अंदर पानी की खोज करने में हमेशा व्यस्त रहते हैं. उनके इस कारनामे से किसान भी काफी खुश हैं. बाबा द्वारा चिन्हित जमीन पर चापाकल लगवाया जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि कोकोनट बाबा की ये पद्धति विज्ञान पर आधारित है या ये महज अंधविश्वास है जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.. ( Gaya Coconut Baba)

Gaya Coconut Baba
Gaya Coconut Baba
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Published : Dec 17, 2022, 3:20 PM IST

गया में कोकोनट बाबा

नालंदा: नालंदा के एक शख्स का दावा है कि वह हाथ में नारियल लेकर ये पता कर सकते हैं कि जमीन के अंदर कहां पानी है. बाबा हथेली में नारियल रखकर पानी की खोज में निकलते हैं. जहां भी जमीन के अंदर प्रचुर मात्रा में पानी होता है, नारियल में कंपन होने लगता है. लोगों का कहना है कि जहां भी बाबा ने जमीन के अंदर पानी होने की बात कही वो सही साबित हुई है. अब यह शख्स इलाके में कोकोनट बाबा के नाम से जाना जाता है. (indicates underground water through coconut) (coconut stands on palm) (Rahul Fatehpuri Coconut Baba)

पढ़ें- बिहार की बेटी का कमाल, बनाया कोरोना मरीज की जांच और देखभाल करने वाला रोबोट

कौन हैं कोकोनट बाबा?: गया के राहुल फतेहपुरी 'कोकोनट बाबा' हैं, जिनके द्वारा पानी के लिए जमीन चिन्हित होते ही लोग चापाकल लगा लेते हैं. राहुल फतेहपुरी गया के बांकेबाजार प्रखंड के बिहरगाई पंचायत अंतर्गत फतेहपुर गांव के रहने वाले हैं. पिछले 3 सालों से यह नारियल से भूमि के अंदर पानी का पता लगाते हैं. गया में पानी की काफी किल्लत रहती है. कई जगह काफी खर्च करने के बाद भी पानी नहीं मिल पाता. ऐसे में ग्रामीणों का कहना है कि पहले चापाकल लगाने के लिए खुदाई करवाते थे लेकिन पानी नहीं मिलने पर निराशा हाथ लगती थी. फिजूल का खर्च भी होता था. अब कोकोनट बाबा के कारण सही जगह पर चापाकल लगाने का पता चल जाता है.

वाइब्रेशन के बाद सीधा हो जाता है नारियल: : कोकोनट बाबा उर्फ राहुल का कहना है कि अबतक जहां भी मैंने पानी होने की बात कही है वहां बहुत अच्छा पानी मिला है. इससे ग्रामीण क्षेत्र की जनता को बहुत लाभ हुआ है. इस साल गया में बारिश ना के बराबर हुई. अगर मोटर नहीं होता तो फसल भी होना मुश्किल था. मुझे बहुत खुशी है कि मेरे इस टेक्निक से लोगों का भला हो रहा है. हाथ में नारियल लेकर जमीन के अंदर पानी है या नहीं पता लगाया जाता है. जहां चापाकल लगवाना है वहां घूमते हैं. अगर नारियल में कंपन होने लगता है तो इसका मतलब है कि जमीन के अंदर पानी है.

"मैं जिले के हर क्षेत्र में गया हूं. कोई गांव नहीं बचा है जहां मैंने लोगों को पानी का पता नहीं बताया है. इस काम में मैं तीन साल से लगा हूं. आज भी इस काम में लगा हूं. रोज पानी चेक करने का काम करता हूं. नारियल और लकड़ी की मदद से पता लगाते हैं. जहां भी जमीन के अंदर पानी ज्यादा होता है उस दौरान हथेली में रखे नारियल में कंपन होने लगता है. नारियल में वाइब्रेशन के अनुसार ही बताता हूं कि कितना पानी है. इस क्षेत्र के सभी लोग मुझे जानते हैं. लोग अपनी खुशी से जो देते हैं मैं ले लेता हूं. शेरघाटी में अनुमंडल में भी इस विधि से मैंने बोरिंग करवाई है."- राहुल फतेहपुरी उर्फ कोकोनट बाबा

जियोलॉजी के प्रोफेसर ने कही ये बात: इस संबंध में गया के अनुग्रह कॉलेज के जियोलॉजी प्रोफेसर प्रवीण कुमार सिंह बताते हैं कि राजस्थान सेक्टर की यह पुरानी साइंस है. वहां भी लोहे से पानी का पता लगाने की बात सामने आती है. यह आधा सच आधा फसाना के समान है. इसे पूरी तरह से नकार नहीं सकते हैं. राजस्थान में इस तरह से पानी का पता लगाने को लेकर जीएसआई के साइंटिस्ट की रिसर्च रिपोर्ट अभी आनी बाकी है. नारियल विधि को नकार नहीं सकते यह मामला मैग्नेटिक फिल्टर का है. नारियल एक बाॅडी है. उसके अंदर पानी है. वहीं, इसे पूरी तरह सच भी नहीं कहा जा सकता है. यह साइंटिस्ट नॉलेज है, जो कि इतनी आसान नहीं है.

"प्राचीन काल में भी ऐसे टेक्निक को अपनाया जाता था. यह अंधविश्वास नहीं है बल्कि विज्ञान है. नारियल को हथेली में रखकर जमीन के अंदर पानी का पता लगाया जाता है. जहां भी जमीन के अंदर पानी होगा नारियल सीधा हो जाएगा. अंडा से भी ऐसा किया जाता है. ऐसा मुख्यत: गुरुत्वाकर्षण (ग्रैविटी) के कारण ऐसा होता है."- प्रवीण कुमार सिंह, जियोलॉजी के प्रोफेसर, अनुग्रह नारायण कॉलेज गया

नारियल टेक्निक आ रही काम: कोकोनट बाबा की टेक्निक लोगों को काफी रास आ रही है. लोगों का मानना है, कि इससे जहां आसानी से पानी का पता लग जा रहा. वहीं अंदाजे से पानी की बोरिंग करवाने और इस क्रम में पानी नहीं निकलने से होने वाले खर्च से बच रहे हैं और बड़ी राहत मिल रही है. इसके बीच राहुल फतेहपुरी की 'नारियल टेक्निक' काफी कारगर साबित हो रही है और जिले भर के इलाकों में यह जाकर पानी का पता बता देते हैं. कहां पर ज्यादा पानी है और कहां बोरिंग करवानी है, यह बताते हैं और वहां पर पानी निकल जाता है. यहां तक की कोकोनट बाबा ने सरकारी स्कूलों से लेकर मंदिरों तक के लिए अपनी टेक्निक से बोरिंग करवायी है.

"गया में नारियल से पानी चेक करते हैं. हमें बहुत विश्वास है. कोकोनट बाबा नारियल हाथ में लेकर घूमते हैं. जहां बताते हैं वहां से पानी निकलता है."- बालेश्वर राम, ग्रामीण

"इनका नाम राहुल फहतेपुरी है. हमारा एरिया सुखाड़ क्षेत्र में आता है. बोरिंग करवाने में बहुत समस्या थी. किसान बोरिंग करवाते थे लेकिन पानी नहीं निकलता था. पैसे की बर्बादी होती थी. राहुल अपने बगीचे में नारियल विधि द्वारा बोरिंग करवा रहे थे. ग्रामीणों ने देखा कि कैसे नारियल टेक्निक सफल रहा. उसके बाद से कोकोनट बाबा काफी प्रचलित हो गए. इससे किसानों को काफी फायदा हो रहा है."- ग्रामीण

'छत्तीसगढ़ के एक बाबा से सीखा ये तरीका': कोकोनट बाबा राहुल ने बताया कि छत्तीसगढ़ से पीजी संगीत में कर रहा था. उस दौरान एक बाबा को ऐसे ही घूमते देखा तो मुझे अंधविश्वास लगा. लेकिन बाद में उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला. तीन साल हो गए हैं इस काम को करते. मेरे गांव में मैंने 75 बोरिंग करवाई है. आस पास के गांव में भी बोरिंग करवाया है.

'गुरुजी ने कहा था शुरू में लोग मजाक उड़ाएंगे': राहुल फतेहपुरी बताते हैं कि उन्हें म्यूजिक में कैरियर बनाना था. अभी भी संगीत का रोज अभ्यास करते हैं. छत्तीसगढ़ में जब पानी खोजने की विधि गुरुजी से सीख रहे थे तो उन्होंने कहा था, कि लोग मजाक समझेंगे और अंधविश्वास कहेंगे. सब कहेंगे कि इतनी अच्छी डिग्री है और खेत में नारियल लेकर घूम रहा है, लेकिन उससे निराश मत होना. यही वजह है कि राहुल नारियल से पानी का पता लगाने का काम कर रहे हैं.

गया में कई इलाकों में पानी की किल्लत: गया के कई ऐसे क्षेत्र है, जहां पानी की किल्लत रहती है. गया जिला के कई इलाके पहाड़ी वाले हैं, जहां पानी ढूंढ पाना मुश्किल भरा होता है. वहीं समतल क्षेत्रों में भी यह नौबत देखी जा सकती है. लोग बोरिंग करा कर निराश हो जाते हैं और पानी नहीं मिल पाता. वहीं अब वे नारियल की मदद से पानी का पता लगवाने के बाद ही बोरिंग करवाते हैं.

गया में कोकोनट बाबा

नालंदा: नालंदा के एक शख्स का दावा है कि वह हाथ में नारियल लेकर ये पता कर सकते हैं कि जमीन के अंदर कहां पानी है. बाबा हथेली में नारियल रखकर पानी की खोज में निकलते हैं. जहां भी जमीन के अंदर प्रचुर मात्रा में पानी होता है, नारियल में कंपन होने लगता है. लोगों का कहना है कि जहां भी बाबा ने जमीन के अंदर पानी होने की बात कही वो सही साबित हुई है. अब यह शख्स इलाके में कोकोनट बाबा के नाम से जाना जाता है. (indicates underground water through coconut) (coconut stands on palm) (Rahul Fatehpuri Coconut Baba)

पढ़ें- बिहार की बेटी का कमाल, बनाया कोरोना मरीज की जांच और देखभाल करने वाला रोबोट

कौन हैं कोकोनट बाबा?: गया के राहुल फतेहपुरी 'कोकोनट बाबा' हैं, जिनके द्वारा पानी के लिए जमीन चिन्हित होते ही लोग चापाकल लगा लेते हैं. राहुल फतेहपुरी गया के बांकेबाजार प्रखंड के बिहरगाई पंचायत अंतर्गत फतेहपुर गांव के रहने वाले हैं. पिछले 3 सालों से यह नारियल से भूमि के अंदर पानी का पता लगाते हैं. गया में पानी की काफी किल्लत रहती है. कई जगह काफी खर्च करने के बाद भी पानी नहीं मिल पाता. ऐसे में ग्रामीणों का कहना है कि पहले चापाकल लगाने के लिए खुदाई करवाते थे लेकिन पानी नहीं मिलने पर निराशा हाथ लगती थी. फिजूल का खर्च भी होता था. अब कोकोनट बाबा के कारण सही जगह पर चापाकल लगाने का पता चल जाता है.

वाइब्रेशन के बाद सीधा हो जाता है नारियल: : कोकोनट बाबा उर्फ राहुल का कहना है कि अबतक जहां भी मैंने पानी होने की बात कही है वहां बहुत अच्छा पानी मिला है. इससे ग्रामीण क्षेत्र की जनता को बहुत लाभ हुआ है. इस साल गया में बारिश ना के बराबर हुई. अगर मोटर नहीं होता तो फसल भी होना मुश्किल था. मुझे बहुत खुशी है कि मेरे इस टेक्निक से लोगों का भला हो रहा है. हाथ में नारियल लेकर जमीन के अंदर पानी है या नहीं पता लगाया जाता है. जहां चापाकल लगवाना है वहां घूमते हैं. अगर नारियल में कंपन होने लगता है तो इसका मतलब है कि जमीन के अंदर पानी है.

"मैं जिले के हर क्षेत्र में गया हूं. कोई गांव नहीं बचा है जहां मैंने लोगों को पानी का पता नहीं बताया है. इस काम में मैं तीन साल से लगा हूं. आज भी इस काम में लगा हूं. रोज पानी चेक करने का काम करता हूं. नारियल और लकड़ी की मदद से पता लगाते हैं. जहां भी जमीन के अंदर पानी ज्यादा होता है उस दौरान हथेली में रखे नारियल में कंपन होने लगता है. नारियल में वाइब्रेशन के अनुसार ही बताता हूं कि कितना पानी है. इस क्षेत्र के सभी लोग मुझे जानते हैं. लोग अपनी खुशी से जो देते हैं मैं ले लेता हूं. शेरघाटी में अनुमंडल में भी इस विधि से मैंने बोरिंग करवाई है."- राहुल फतेहपुरी उर्फ कोकोनट बाबा

जियोलॉजी के प्रोफेसर ने कही ये बात: इस संबंध में गया के अनुग्रह कॉलेज के जियोलॉजी प्रोफेसर प्रवीण कुमार सिंह बताते हैं कि राजस्थान सेक्टर की यह पुरानी साइंस है. वहां भी लोहे से पानी का पता लगाने की बात सामने आती है. यह आधा सच आधा फसाना के समान है. इसे पूरी तरह से नकार नहीं सकते हैं. राजस्थान में इस तरह से पानी का पता लगाने को लेकर जीएसआई के साइंटिस्ट की रिसर्च रिपोर्ट अभी आनी बाकी है. नारियल विधि को नकार नहीं सकते यह मामला मैग्नेटिक फिल्टर का है. नारियल एक बाॅडी है. उसके अंदर पानी है. वहीं, इसे पूरी तरह सच भी नहीं कहा जा सकता है. यह साइंटिस्ट नॉलेज है, जो कि इतनी आसान नहीं है.

"प्राचीन काल में भी ऐसे टेक्निक को अपनाया जाता था. यह अंधविश्वास नहीं है बल्कि विज्ञान है. नारियल को हथेली में रखकर जमीन के अंदर पानी का पता लगाया जाता है. जहां भी जमीन के अंदर पानी होगा नारियल सीधा हो जाएगा. अंडा से भी ऐसा किया जाता है. ऐसा मुख्यत: गुरुत्वाकर्षण (ग्रैविटी) के कारण ऐसा होता है."- प्रवीण कुमार सिंह, जियोलॉजी के प्रोफेसर, अनुग्रह नारायण कॉलेज गया

नारियल टेक्निक आ रही काम: कोकोनट बाबा की टेक्निक लोगों को काफी रास आ रही है. लोगों का मानना है, कि इससे जहां आसानी से पानी का पता लग जा रहा. वहीं अंदाजे से पानी की बोरिंग करवाने और इस क्रम में पानी नहीं निकलने से होने वाले खर्च से बच रहे हैं और बड़ी राहत मिल रही है. इसके बीच राहुल फतेहपुरी की 'नारियल टेक्निक' काफी कारगर साबित हो रही है और जिले भर के इलाकों में यह जाकर पानी का पता बता देते हैं. कहां पर ज्यादा पानी है और कहां बोरिंग करवानी है, यह बताते हैं और वहां पर पानी निकल जाता है. यहां तक की कोकोनट बाबा ने सरकारी स्कूलों से लेकर मंदिरों तक के लिए अपनी टेक्निक से बोरिंग करवायी है.

"गया में नारियल से पानी चेक करते हैं. हमें बहुत विश्वास है. कोकोनट बाबा नारियल हाथ में लेकर घूमते हैं. जहां बताते हैं वहां से पानी निकलता है."- बालेश्वर राम, ग्रामीण

"इनका नाम राहुल फहतेपुरी है. हमारा एरिया सुखाड़ क्षेत्र में आता है. बोरिंग करवाने में बहुत समस्या थी. किसान बोरिंग करवाते थे लेकिन पानी नहीं निकलता था. पैसे की बर्बादी होती थी. राहुल अपने बगीचे में नारियल विधि द्वारा बोरिंग करवा रहे थे. ग्रामीणों ने देखा कि कैसे नारियल टेक्निक सफल रहा. उसके बाद से कोकोनट बाबा काफी प्रचलित हो गए. इससे किसानों को काफी फायदा हो रहा है."- ग्रामीण

'छत्तीसगढ़ के एक बाबा से सीखा ये तरीका': कोकोनट बाबा राहुल ने बताया कि छत्तीसगढ़ से पीजी संगीत में कर रहा था. उस दौरान एक बाबा को ऐसे ही घूमते देखा तो मुझे अंधविश्वास लगा. लेकिन बाद में उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला. तीन साल हो गए हैं इस काम को करते. मेरे गांव में मैंने 75 बोरिंग करवाई है. आस पास के गांव में भी बोरिंग करवाया है.

'गुरुजी ने कहा था शुरू में लोग मजाक उड़ाएंगे': राहुल फतेहपुरी बताते हैं कि उन्हें म्यूजिक में कैरियर बनाना था. अभी भी संगीत का रोज अभ्यास करते हैं. छत्तीसगढ़ में जब पानी खोजने की विधि गुरुजी से सीख रहे थे तो उन्होंने कहा था, कि लोग मजाक समझेंगे और अंधविश्वास कहेंगे. सब कहेंगे कि इतनी अच्छी डिग्री है और खेत में नारियल लेकर घूम रहा है, लेकिन उससे निराश मत होना. यही वजह है कि राहुल नारियल से पानी का पता लगाने का काम कर रहे हैं.

गया में कई इलाकों में पानी की किल्लत: गया के कई ऐसे क्षेत्र है, जहां पानी की किल्लत रहती है. गया जिला के कई इलाके पहाड़ी वाले हैं, जहां पानी ढूंढ पाना मुश्किल भरा होता है. वहीं समतल क्षेत्रों में भी यह नौबत देखी जा सकती है. लोग बोरिंग करा कर निराश हो जाते हैं और पानी नहीं मिल पाता. वहीं अब वे नारियल की मदद से पानी का पता लगवाने के बाद ही बोरिंग करवाते हैं.

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