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नालंदा: फसल अवशेष से वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर सब्जी उगा रहे किसान

नालंदा के किसान ने फसल अवशेष से उर्वरक तैयार करने का काम शुरू किया है. किसान का कहना है कि इससे फसल जलाने और रासायनिक खाद से छुटकारा भी मिल जाएगा और उन्हें उर्वरक भी मिल जाएगा.

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Published : Dec 16, 2019, 10:58 AM IST

nalanda
कम्पोस्ट

नालंदा: सरकार ने किसानों को फसल अवशेष जलाने पर रोक लगा दिया है. फसल अवशेष जलाने वाले किसानों को योजनाओं से वंचित करने का काम किया जा रहा है. ऐसे में जिला के रोई प्रखंड के किसान अमन कुमार ने फसल अवशेष से जैविक खाद बनाने का काम शुरू किया है. अमन फसल अवशेष को जलाने की बजाय उसे एकत्रित कर उससे उर्वरक तैयार कर रहे हैं. साथ ही वे उसी उर्वरक से सब्जी उगाने का काम कर रहे हैं.

क्या है उर्वरक बनाने की विधि?
किसान के अनुसार जैविक उर्वरक तैयार करने के लिए सबसे पहले किसी भी फसल के अवशेष को एक जगह खेत में जमा कर दें. जमा किए गए फसल अवशेष पर अल्युमीनियम और डी-कंपोजर को छिड़क दें. उसके बाद उसे मिट्टी में हल्की परत से ढक दें. कुछ दिनों के बाद वर्मी कम्पोस्ट तैयार हो जाता है. इससे किसान को फसल जलाने और रासायनिक खाद्द से छुटकारा भी मिल जाएगा और उन्हें उर्वरक भी मिल जाएगा.

पेश है रिपोर्ट

किसानों को मिली प्रेरणा
किसान के अनुसार इसमें कोई विशेष लागत नहीं आती है. इसमें कम खर्च पर अत्यधिक मुनाफा भी कमा सकते हैं. खाद्द तैयार करने में जितनी जमीन का उपयोग होता है, उसमें सब्जी की भी खेती कर सकते हैं. उन्होंने कृषि विभाग से प्रशिक्षण लेकर अपने गांव में इसका प्रयोग करना शुरू किया है. अन्य किसान भी इस विधि को देखकर प्रेरित हो रहे हैं.

यह भी पढ़ें- नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : कचरे के इस्तेमाल से सजावटी सामान बनाता है यह दंपती

नालंदा: सरकार ने किसानों को फसल अवशेष जलाने पर रोक लगा दिया है. फसल अवशेष जलाने वाले किसानों को योजनाओं से वंचित करने का काम किया जा रहा है. ऐसे में जिला के रोई प्रखंड के किसान अमन कुमार ने फसल अवशेष से जैविक खाद बनाने का काम शुरू किया है. अमन फसल अवशेष को जलाने की बजाय उसे एकत्रित कर उससे उर्वरक तैयार कर रहे हैं. साथ ही वे उसी उर्वरक से सब्जी उगाने का काम कर रहे हैं.

क्या है उर्वरक बनाने की विधि?
किसान के अनुसार जैविक उर्वरक तैयार करने के लिए सबसे पहले किसी भी फसल के अवशेष को एक जगह खेत में जमा कर दें. जमा किए गए फसल अवशेष पर अल्युमीनियम और डी-कंपोजर को छिड़क दें. उसके बाद उसे मिट्टी में हल्की परत से ढक दें. कुछ दिनों के बाद वर्मी कम्पोस्ट तैयार हो जाता है. इससे किसान को फसल जलाने और रासायनिक खाद्द से छुटकारा भी मिल जाएगा और उन्हें उर्वरक भी मिल जाएगा.

पेश है रिपोर्ट

किसानों को मिली प्रेरणा
किसान के अनुसार इसमें कोई विशेष लागत नहीं आती है. इसमें कम खर्च पर अत्यधिक मुनाफा भी कमा सकते हैं. खाद्द तैयार करने में जितनी जमीन का उपयोग होता है, उसमें सब्जी की भी खेती कर सकते हैं. उन्होंने कृषि विभाग से प्रशिक्षण लेकर अपने गांव में इसका प्रयोग करना शुरू किया है. अन्य किसान भी इस विधि को देखकर प्रेरित हो रहे हैं.

यह भी पढ़ें- नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : कचरे के इस्तेमाल से सजावटी सामान बनाता है यह दंपती

Intro:नालंदा। सरकार के द्वारा किसानों को फसल अवशेष जलाने पर रोक लगा दिया गया फसल अवशेष जलाने वाले किसान को योजनाओं से वंचित करने का काम किया जा रहा है वैसे में बिहार शरीफ के रोई प्रखंड के किसान अमन कुमार द्वारा फसल अवशेष से जैविक खाद बनाने का काम किया जा रहा है जो कि अन्य किसानों के लिए नजीर बन रहे हैं । किसान अमन कुमार के द्वारा फसल अवशेष को जलाने के बजाय उसे एकत्रित कर उससे उर्वरक तैयार किया जा रहा है और उसी उर्वरक से सब्जी उगाने का काम किया जा रहा है।
किसान के अनुसार जैविक उर्वरक तैयार करने के लिए सबसे पहले किसी भी फसल के अवशेष को एक जगह खेत में जमा कर दें । जमा किये गए फसल अवशेष पर अल्मुनियम एवं डी कंपोजर को छिड़क दें । उसके बाद उसे मिट्टी में हल्की परत से ढक दें। कुछ दिनों के बाद वर्मी कम्पोस्ट तैयार हो जाता है। इससे किसान को फसल जलाने से छुटकारा भी मिल जाएगा वही किसानों को उर्वरक भी मिल जाएगा और रासायनिक खाद भी मिलाने से बच जाएंगे।


Body:किसान के अनुसार फसल अवशेष को जलाने के बजाय इसे एकत्रित कर जैविक खाद बनाने का काम किया जा रहा है । इसमें कोई विशेष लागत नहीं आती है । किसान कम खर्च पर अत्यधिक मुनाफा भी कमा सकते हैं । खाद को सब्जी में प्रयोग कर रसायनिक खाद से छुटकारा पा सकते हैं । खाद तैयार करने में जितनी जमीन फस जाता है उसके बदले इस पर सब्जी की भी खेती कर सकते हैं । कृषि विभाग से प्रशिक्षण लेने के बाद अपने गांव में इसका प्रयोग करने लगे। कुछ ही दिनों बाद खाद तैयार हो गया है और इसके बाद अन्य किसान भी इसको देखकर प्रेरित हो रहे हैं।
बाइट। अमन कुमार, किसान


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