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SKMCH का PICU वार्ड फुल, केजरीवाल अस्पताल में भर्ती हुए वायरल फीवर के शिकार 150 बच्चे - वायरल बुखार

मुजफ्फरपुर में वायरल बुखार का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. बीते 24 घंटों में 40 मरीजों के भर्ती होने के साथ एसकेएमसीएच का पीकू वार्ड फुल हो गया है. जिसके कारण केजरीवाल अस्पताल में वायरल बुखार से पीड़ित करीब 150 बच्चों को भर्ती कराया गया है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Sep 9, 2021, 9:25 PM IST

मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में वायरल बुखार (Viral Fever) से पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है. बीते चौबीस घंटे में मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच (SKMCH) मेडिकल कॉलेज के पीकू वार्ड में 40 बच्चों के भर्ती होने का मामला सामने आया है. वहीं, एसकेएमसीएच में पीकू वार्ड फुल होने से अब शहर के केजरीवाल अस्पताल पर भी दबाव बढ़ गया है.

यह भी पढ़ें - मुजफ्फरपुर में तेजी से बढ़ रहे हैं वायरल फीवर और पीलिया के मामले, अब तक 2500 मरीज पहुंचे SKMCH

शहर के केजरीवाल अस्पताल में भी वायरल बुखार से पीड़ित करीब 150 से अधिक बच्चे इलाजरत हैं. अस्पताल के चिकित्सकों की मानें तो बच्चों में वायरल ब्रोंकाइटिस होने के कारण का संक्रमण होने से उनके श्वांस नली में सूजन हो रही है. जहां इसके शुरुआती दिनों से उनके सांस नली में सूजन होने लगती है और इसकी वजह से उन्हें सांस फूलनें, खांसी और सांस लेने में काफी तकलीफें होती है.

देखें वीडियो

चिकित्सकों का कहना है कि सबसे अधिक इस वायरल संक्रमण के शिकार छोटे और नवजात शिशु हो रहे है. वहीं, इस बीमारी के लगातार बढ़ रहे मामले को लेकर अब राज्य स्वास्थ्य महकमा भी हाई अलर्ट है. जहां बिहार स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अधिकारी लगातार स्थिति की मॉनिटरिंग कर रहे हैं.

बता दें कि बिहार में वायरल फ्लू (Viral flu) के मामले बढ़ने लगे हैं और बच्चे इससे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं. वायरल फ्लू में बच्चों की स्थिति गंभीर हो रही है. इस मौसम में ह्यूमिडिटी बहुत अधिक रहती है. इस बार वायरल फ्लू की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिला है और बच्चे इसमें काफी संक्रमित हो रहे हैं और उनकी स्थिति गंभीर भी हो रही है. बच्चों के अलावा वयस्क भी संक्रमित हो रहे हैं. मगर बच्चों में सीवियर मामले बढ़ रहे हैं. वातावरण में ह्यूमिडिटी होने और तापमान अधिक होने की वजह से इनफ्लुएंजा एबीसीडी जितने भी वायरस है, वो ज्यादा एक्टिव रहते हैं.

ऐसे में वायरल फ्लू से बचाव का भी वही इलाज है जो कोरोना का है. कोविड-19 प्रोटोकॉल जैसे कि हैंड हाइजीन, चेहरे पर मास्क और संक्रमित व्यक्ति का अन्य लोगों से दूरी काफी कारगर है. अगर बच्चे को सामान्य बुखार के अलावा डायरिया या डिसेंट्री होता है या फिर बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है, तो तुरंत उसे नजदीकी अस्पताल में ले जाएं, क्योंकि ऐसे केस में एडमिट करने की आवश्यकता पड़ती है.

यह भी पढ़ें - मुजफ्फरपुर: ब्रोंकाइटिस पर सरकार सजग, मंत्री मुकेश सहनी ने SKMCH का लिया जायजा

मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में वायरल बुखार (Viral Fever) से पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है. बीते चौबीस घंटे में मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच (SKMCH) मेडिकल कॉलेज के पीकू वार्ड में 40 बच्चों के भर्ती होने का मामला सामने आया है. वहीं, एसकेएमसीएच में पीकू वार्ड फुल होने से अब शहर के केजरीवाल अस्पताल पर भी दबाव बढ़ गया है.

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शहर के केजरीवाल अस्पताल में भी वायरल बुखार से पीड़ित करीब 150 से अधिक बच्चे इलाजरत हैं. अस्पताल के चिकित्सकों की मानें तो बच्चों में वायरल ब्रोंकाइटिस होने के कारण का संक्रमण होने से उनके श्वांस नली में सूजन हो रही है. जहां इसके शुरुआती दिनों से उनके सांस नली में सूजन होने लगती है और इसकी वजह से उन्हें सांस फूलनें, खांसी और सांस लेने में काफी तकलीफें होती है.

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चिकित्सकों का कहना है कि सबसे अधिक इस वायरल संक्रमण के शिकार छोटे और नवजात शिशु हो रहे है. वहीं, इस बीमारी के लगातार बढ़ रहे मामले को लेकर अब राज्य स्वास्थ्य महकमा भी हाई अलर्ट है. जहां बिहार स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अधिकारी लगातार स्थिति की मॉनिटरिंग कर रहे हैं.

बता दें कि बिहार में वायरल फ्लू (Viral flu) के मामले बढ़ने लगे हैं और बच्चे इससे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं. वायरल फ्लू में बच्चों की स्थिति गंभीर हो रही है. इस मौसम में ह्यूमिडिटी बहुत अधिक रहती है. इस बार वायरल फ्लू की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिला है और बच्चे इसमें काफी संक्रमित हो रहे हैं और उनकी स्थिति गंभीर भी हो रही है. बच्चों के अलावा वयस्क भी संक्रमित हो रहे हैं. मगर बच्चों में सीवियर मामले बढ़ रहे हैं. वातावरण में ह्यूमिडिटी होने और तापमान अधिक होने की वजह से इनफ्लुएंजा एबीसीडी जितने भी वायरस है, वो ज्यादा एक्टिव रहते हैं.

ऐसे में वायरल फ्लू से बचाव का भी वही इलाज है जो कोरोना का है. कोविड-19 प्रोटोकॉल जैसे कि हैंड हाइजीन, चेहरे पर मास्क और संक्रमित व्यक्ति का अन्य लोगों से दूरी काफी कारगर है. अगर बच्चे को सामान्य बुखार के अलावा डायरिया या डिसेंट्री होता है या फिर बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है, तो तुरंत उसे नजदीकी अस्पताल में ले जाएं, क्योंकि ऐसे केस में एडमिट करने की आवश्यकता पड़ती है.

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