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मुजफ्फरपुर की शाही लीची पर फिर कोरोना का ग्रहण, लॉकडाउन के चलते बाजार मिलना मुश्किल - शाही लीची पर कोरोना का असर

दो साल से लगातार कोरोना संक्रमण और लीची के सीजन में लॉकडाउन की वजह से मुजफ्फरपुर की शाही लीची को बाजार नहीं मिल पा रहा है. इससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि उनकी स्थिति भुखमरी की हो गई है.

shahi litchi
शाही लीची
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Published : May 23, 2021, 4:49 PM IST

मुजफ्फरपुर: पूरी दुनिया में अपनी मिठास और स्वाद के लिए मशहूर शाही लीची की लाली पर इस बार भी कोरोना का ग्रहण लग गया है. इस वजह से लीची की चमक फीकी पड़ने लगी है. लीची किसान बेहद मायूस नजर आ रहे हैं. पिछले साल भी कोरोना की वजह से लीची के कारोबार में नुकसान उठाना पड़ा था.

यह भी पढ़ें- यात्रियों की कमी के कारण पटना एयरपोर्ट से रविवार को भी 10 जोड़ी उड़ानें रद्द

कोरोना को लेकर प्रभावी लॉकडाउन में लीची का कारोबार बाधित न हो इसको लेकर प्रशासन ने कुछ रियायत किसानों को दी है. हालांकि किसानों को अपनी लीची जिले से बाहर पहुंचाने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. लॉकडाउन के चलते लीची किसानों को बाजार भी नहीं मिल रहा है.

बाहर नहीं जा पा रही लीची की खेप
मुजफ्फरपुर में 12 हजार हेक्टेयर में लीची की खेती होती है. इस बार भी लीची पर कोरोना की मार पड़ी है. बड़े उत्पादक बता रहे हैं कि इसकी बड़ी खेप बाहर नहीं जा पा रही है. इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं, इस बार लीची की फसल पिछले वर्ष के तुलना में आधी है.

shahi litchi
मुजफ्फरपुर की शाही लीची.

नहीं आ रहे व्यापारी
लॉकडाउन जारी रहने के कारण बगान से लीची बाजार तक नहीं पहुंच पा रही है और न ही बाहर के व्यापारी लीची की खरीददारी के लिए बागान तक पहुंच रहे हैं. इसके कारण लीची उत्पादक किसानों को लीची का न तो उचित कीमत मिल पा रहा है और न ही लीची की सही तरीके से खपत हो रही है. लीची किसानों का कहना है कि दो साल से लीची बाहर नहीं जा पा रही है. किसान घाटे में हैं.

shahi litchi
पेड़ में लगी शाही लीची.

"व्यापारी लीची को बाहर नहीं भेज पा रहे हैं. इसके चलते वे लीची तोड़ने से इनकार कर रहे हैं. बारिश के बाद लीची जमीन पर गिरकर बर्बाद होने लगी है. लीची किसानों की स्थिति ऐसी हो गई है कि आत्महत्या की नौबत है."- शम्भूनाथ सिंह, लीची किसान

"पिछले 2 साल से लीची उत्पादक किसान मौसम और कोरोना की मार झेलने को विवश हैं. अच्छी उपज के बावजूद बाहर के व्यापारियों के नहीं आने से लीची किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है."- शेषधर पांडेय, डायरेक्टर, लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर

litchi farmers problems due to corona
शाही लीची का बागान.
किसानों की परेशानी दूर करने के लिए बनाया टास्क फोर्समुजफ्फरपुर में लीची किसानों की समस्या और लीची को बाजार में पहुंचाने में आ रही अड़चनों को दूर करने के उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स बनाया गया है.

"लीची उत्पादकों को आ रही समस्याओं को लेकर स्पेशल टास्क फोर्स का गठन कर लिया गया है. लीची किसानों और व्यापारियों को आ रही समस्याओं का जल्द से जल्द दूर करने की दिशा में हर मुमकिन कोशिश की जा रही है."- सुनील कुमार झा, डीडीसी, मुजफ्फरपुर

shahi litchi
मुजफ्फरपुर की शाही लीची.
शाही लीची को मिला है जीआई टैगगौरतलब है कि मुजफ्फरपुर की लीची का कारोबार न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होता है. यही वजह है की मुजफ्फरपुर की शाही लीची को अपने स्वाद और बेहतर गुणवत्ता के लिए जीआई टैग भी मिला हुआ है. पिछले दो साल से लगातार कोरोना संक्रमण और लीची के सीजन में लॉकडाउन की वजह से शाही लीची को बाजार नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में जिले के लीची किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

यह भी पढ़ें- बिहार में 10 दिन के लिए और बढ़ सकता है लॉकडाउन, आईएमए ने भी उठाई मांग

मुजफ्फरपुर: पूरी दुनिया में अपनी मिठास और स्वाद के लिए मशहूर शाही लीची की लाली पर इस बार भी कोरोना का ग्रहण लग गया है. इस वजह से लीची की चमक फीकी पड़ने लगी है. लीची किसान बेहद मायूस नजर आ रहे हैं. पिछले साल भी कोरोना की वजह से लीची के कारोबार में नुकसान उठाना पड़ा था.

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कोरोना को लेकर प्रभावी लॉकडाउन में लीची का कारोबार बाधित न हो इसको लेकर प्रशासन ने कुछ रियायत किसानों को दी है. हालांकि किसानों को अपनी लीची जिले से बाहर पहुंचाने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. लॉकडाउन के चलते लीची किसानों को बाजार भी नहीं मिल रहा है.

बाहर नहीं जा पा रही लीची की खेप
मुजफ्फरपुर में 12 हजार हेक्टेयर में लीची की खेती होती है. इस बार भी लीची पर कोरोना की मार पड़ी है. बड़े उत्पादक बता रहे हैं कि इसकी बड़ी खेप बाहर नहीं जा पा रही है. इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं, इस बार लीची की फसल पिछले वर्ष के तुलना में आधी है.

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मुजफ्फरपुर की शाही लीची.

नहीं आ रहे व्यापारी
लॉकडाउन जारी रहने के कारण बगान से लीची बाजार तक नहीं पहुंच पा रही है और न ही बाहर के व्यापारी लीची की खरीददारी के लिए बागान तक पहुंच रहे हैं. इसके कारण लीची उत्पादक किसानों को लीची का न तो उचित कीमत मिल पा रहा है और न ही लीची की सही तरीके से खपत हो रही है. लीची किसानों का कहना है कि दो साल से लीची बाहर नहीं जा पा रही है. किसान घाटे में हैं.

shahi litchi
पेड़ में लगी शाही लीची.

"व्यापारी लीची को बाहर नहीं भेज पा रहे हैं. इसके चलते वे लीची तोड़ने से इनकार कर रहे हैं. बारिश के बाद लीची जमीन पर गिरकर बर्बाद होने लगी है. लीची किसानों की स्थिति ऐसी हो गई है कि आत्महत्या की नौबत है."- शम्भूनाथ सिंह, लीची किसान

"पिछले 2 साल से लीची उत्पादक किसान मौसम और कोरोना की मार झेलने को विवश हैं. अच्छी उपज के बावजूद बाहर के व्यापारियों के नहीं आने से लीची किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है."- शेषधर पांडेय, डायरेक्टर, लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर

litchi farmers problems due to corona
शाही लीची का बागान.
किसानों की परेशानी दूर करने के लिए बनाया टास्क फोर्समुजफ्फरपुर में लीची किसानों की समस्या और लीची को बाजार में पहुंचाने में आ रही अड़चनों को दूर करने के उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स बनाया गया है.

"लीची उत्पादकों को आ रही समस्याओं को लेकर स्पेशल टास्क फोर्स का गठन कर लिया गया है. लीची किसानों और व्यापारियों को आ रही समस्याओं का जल्द से जल्द दूर करने की दिशा में हर मुमकिन कोशिश की जा रही है."- सुनील कुमार झा, डीडीसी, मुजफ्फरपुर

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मुजफ्फरपुर की शाही लीची.
शाही लीची को मिला है जीआई टैगगौरतलब है कि मुजफ्फरपुर की लीची का कारोबार न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होता है. यही वजह है की मुजफ्फरपुर की शाही लीची को अपने स्वाद और बेहतर गुणवत्ता के लिए जीआई टैग भी मिला हुआ है. पिछले दो साल से लगातार कोरोना संक्रमण और लीची के सीजन में लॉकडाउन की वजह से शाही लीची को बाजार नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में जिले के लीची किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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