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SKMCH: चमकी बुखार से बच्ची की मौत, 24 घंटे में मिले 4 नए मरीज - चमकी बुखार बिहार

मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) में चमकी बुखार से एक बच्ची की मौत हो गई. इसके साथ ही इस साल चमकी बुखार के चलते मरने वाले बच्चों की संख्या 11 हो गई है. 51 बच्चे इससे प्रभावित हुए हैं.

Shrikrishna Medical College and Hospital
एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर
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Published : Jul 23, 2021, 6:15 PM IST

मुजफ्फरपुर: बारिश के बाद पड़ रही उमस भरी गर्मी के चलते मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार ने जोर पकड़ लिया है. पिछले 24 घंटे में मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच (Shrikrishna Medical College and Hospital) में भर्ती चार बच्चों में एईएस (Acute Encephalitis Syndrome) की पुष्टि हुई है.

यह भी पढ़ें- मुजफ्फरपुर: SKMCH में चमकी बुखार से एक बच्ची की मौत, आंकड़ा पहुंचा 10

वहीं, चमकी बुखार से गंभीर रूप से पीड़ित एक सात वर्षीय बच्ची शिवानी की मौत हो गई. उसे इलाज के लिए एसकेएमसीएच (SKMCH) के पीकू वार्ड में भर्ती किया गया था. इसके साथ ही इस साल चमकी बुखार से होने वाली मौत का आंकड़ा बढ़कर 11 हो गया है.

देखें वीडियो

बता दें कि जिले में चमकी बुखार से जुड़े सबसे अधिक मामले जून में आते रहे हैं, लेकिन इस बार मौसम में आये बदलाव की वजह से जुलाई में चमकी बुखार से जुड़े मामलों में तेजी दिख रही है. प्रतिदिन चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों के मामले सामने आ रहे हैं. इससे पहले रविवार को भी चमकी बुखार से पीड़ित एक बच्ची की मौत एसकेएमसीएच में हो गई थी. जिले में चमकी बुखार से पीड़ितों का आंकड़ा बढ़कर 51 हो गया है.

मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से जुड़े मामलों में वृद्धि के चलते एसकेएमसीएच प्रशासन खास सावधानी बरतने लगा है. अस्पताल के पीकू वार्ड में डॉक्टरों की संख्या बढ़ा दी गई है. वहीं, जिला प्रशासन ने भी चमकी बुखार को लेकर जागरूकता अभियान तेज कर दिया है.

"स्थिति अभी नियंत्रण में है. अस्पताल में भर्ती बच्चों की हालत स्थिर है. मौसम में बदलाव के चलते जुलाई में अधिक मरीज आ रहे हैं. मई और जून में बारिश के चलते भीषण गर्मी नहीं पड़ी. जुलाई में पिछले एक दो सप्ताह से बारिश नहीं हुई है. उमस बढ़ गया है. इसके चलते बच्चे डिहाइड्रेशन के शिकार हुए हैं. इसी के चलते कुछ बच्चे चमकी बुखार से प्रभावित हुए हैं."- डॉ बीएस झा, अस्पताल अधीक्षक, एसकेएमसीएच

बता दें कि चमकी बुखार में अक्सर रात के तीसरे पहर और सुबह तेज बुखार का अटैक आता है. यह बीमारी उन बच्चों पर ज्यादा प्रभावी होती है जिनका ग्लूकोज लेवल कम रहता है. यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग ने एईएस प्रभावित इलाकों में बच्चों को सही न्यूट्रिशन देने को कहा है. चमकी बुखार से बच्चों की जान बचाने के लिए समय पर इलाज जरूरी है.

तेज बुखार, शरीर में ऐंठन, बेहोशी और जबड़े कड़े होना चमकी बुखार के मुख्य लक्षण हैं. बच्चे में अगर ये लक्षण दिखें तो उसे जल्द से जल्द अस्पताल ले जाना चाहिए. चमकी बुखार से पीड़ित बच्चे को पानी और ओआरएस का घोल पिलाते रहना चाहिए. तेज बुखार हो तो शरीर को ताजे पानी से पोछना चाहिए. माथे पर गीले कपड़े की पट्टी लगानी चाहिए और डॉक्टर की सलाह के बाद ही पारासिटामोल की गोली या अन्य सीरप देना चाहिए.

यह भी पढ़ें- पूर्णिया के भू-अर्जन पदाधिकारी चढ़े निगरानी के हत्थे, एक लाख 31 हजार रुपये घूस लेते गिरफ्तार

मुजफ्फरपुर: बारिश के बाद पड़ रही उमस भरी गर्मी के चलते मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार ने जोर पकड़ लिया है. पिछले 24 घंटे में मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच (Shrikrishna Medical College and Hospital) में भर्ती चार बच्चों में एईएस (Acute Encephalitis Syndrome) की पुष्टि हुई है.

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वहीं, चमकी बुखार से गंभीर रूप से पीड़ित एक सात वर्षीय बच्ची शिवानी की मौत हो गई. उसे इलाज के लिए एसकेएमसीएच (SKMCH) के पीकू वार्ड में भर्ती किया गया था. इसके साथ ही इस साल चमकी बुखार से होने वाली मौत का आंकड़ा बढ़कर 11 हो गया है.

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बता दें कि जिले में चमकी बुखार से जुड़े सबसे अधिक मामले जून में आते रहे हैं, लेकिन इस बार मौसम में आये बदलाव की वजह से जुलाई में चमकी बुखार से जुड़े मामलों में तेजी दिख रही है. प्रतिदिन चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों के मामले सामने आ रहे हैं. इससे पहले रविवार को भी चमकी बुखार से पीड़ित एक बच्ची की मौत एसकेएमसीएच में हो गई थी. जिले में चमकी बुखार से पीड़ितों का आंकड़ा बढ़कर 51 हो गया है.

मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से जुड़े मामलों में वृद्धि के चलते एसकेएमसीएच प्रशासन खास सावधानी बरतने लगा है. अस्पताल के पीकू वार्ड में डॉक्टरों की संख्या बढ़ा दी गई है. वहीं, जिला प्रशासन ने भी चमकी बुखार को लेकर जागरूकता अभियान तेज कर दिया है.

"स्थिति अभी नियंत्रण में है. अस्पताल में भर्ती बच्चों की हालत स्थिर है. मौसम में बदलाव के चलते जुलाई में अधिक मरीज आ रहे हैं. मई और जून में बारिश के चलते भीषण गर्मी नहीं पड़ी. जुलाई में पिछले एक दो सप्ताह से बारिश नहीं हुई है. उमस बढ़ गया है. इसके चलते बच्चे डिहाइड्रेशन के शिकार हुए हैं. इसी के चलते कुछ बच्चे चमकी बुखार से प्रभावित हुए हैं."- डॉ बीएस झा, अस्पताल अधीक्षक, एसकेएमसीएच

बता दें कि चमकी बुखार में अक्सर रात के तीसरे पहर और सुबह तेज बुखार का अटैक आता है. यह बीमारी उन बच्चों पर ज्यादा प्रभावी होती है जिनका ग्लूकोज लेवल कम रहता है. यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग ने एईएस प्रभावित इलाकों में बच्चों को सही न्यूट्रिशन देने को कहा है. चमकी बुखार से बच्चों की जान बचाने के लिए समय पर इलाज जरूरी है.

तेज बुखार, शरीर में ऐंठन, बेहोशी और जबड़े कड़े होना चमकी बुखार के मुख्य लक्षण हैं. बच्चे में अगर ये लक्षण दिखें तो उसे जल्द से जल्द अस्पताल ले जाना चाहिए. चमकी बुखार से पीड़ित बच्चे को पानी और ओआरएस का घोल पिलाते रहना चाहिए. तेज बुखार हो तो शरीर को ताजे पानी से पोछना चाहिए. माथे पर गीले कपड़े की पट्टी लगानी चाहिए और डॉक्टर की सलाह के बाद ही पारासिटामोल की गोली या अन्य सीरप देना चाहिए.

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