मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर के कंपनी बाग स्थित प्रधान डाकघर ( Head Post Office Muzaffarpur) के डिप्टी पोस्ट मास्टर दीनानाथ प्रसाद साह (Deputy Post Master Dinanath Prasad Shah) एवं पूर्व डिप्टी पोस्ट मास्टर अभय कुमार को गिरफ्तार किया गया है. इन दोनों को प्रधान डाकघर में शराब पार्टी करते हुए पकड़ा गया है. दोनों को उत्पाद विभाग की टीम ने 1 जनवरी की देर रात कंपनी बाग स्थित प्रधान डाकघर से शराब पार्टी करते गिरफ्तार किया है. (Muzaffarpur Deputy Post Master arrested)
मुजफ्फरपुर के डिप्टी पोस्ट मास्टर शराब पार्टी करते गिरफ्तार: बताया जा रहा है कि हनुमान आराधना की आड़ में शराब पार्टी चल रही थी. इसी दौरान दोनों शराब पीते हुए रंगे हाथ पकड़े गए. जानकारी के अनुसार अवकाश का दिन होने के बावजूद भी वरीय पदाधिकारियों से बिना अनुमति लिए हुए धार्मिक आयोजन के नाम पर सैकड़ों लोगों को जुटाकर अवैध रूप से शराब पार्टी की जा रही थी.
हनुमान आराधना के नाम पर दारू पार्टी: यह चर्चा बहुत दिनों से जोड़ों पर थी कि प्रधान डाकघर मुजफ्फरपुर में अक्सर शाम को शराब पार्टी की जाती है. जिसमें डिप्टी पोस्ट मास्टर के साथ कुछ डाक कर्मी, कुछ सेवानिवृत्त डाक कर्मियों के साथ ही असामाजिक एवं आपराधिक तत्वों का भी जमावड़ा लगता है. जिससे आम कर्मचारी विशेषकर महिला कर्मचारी काफी परेशानी महसूस करती हैं. ल
कई अन्य फरार: शराब पार्टी करने वाली टीम में दबंग होने के कारण कोई भी शिकायत करने की खुलकर हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था. वहीं, उत्पाद विभाग को शराब पार्टी की सूचना मिली थी. इसपर उत्पाद विभाग की टीम ने छापामारी करते हुए 2 कर्मचारियों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया. लेकिन इसमें सम्मिलित कई अन्य लोग भाग निकले. मामले मे उत्पाद विभाग का कहना है की दोनों से पूछताछ की जा रही है. पूछताछ के बाद दोनों को न्यायिक हिरासत मे भेजा जायेगा.
बिहार में 2016 से शराबबंदी : बता दें कि बिहार सरकार ने 2016 में शराबबंदी कानून (Bihar Liquor Ban) लागू किया गया था. कानून के तहत शराब की बिक्री, पीने और बनाने पर प्रतिबंध है. शुरुआत में इस कानून के तहत संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान था, लेकिन 2018 में संशोधन के बाद सजा में थोड़ी छूट दी गई थी. आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2016 से दिसंबर 2021 तक शराबबंदी कानून के तहत करीब 2.03 लाख मामले सामने आए. इनमें 3 लाख से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें से 1.08 लाख मामलों का ट्रायल शुरू किया गया. इनमें से 94 हजार 639 मामलों का ट्रायल पूरा हो चुका है. 1 हजार 19 मामलों में आरोपियों को सजा मिली. 610 मामलों में आरोपियों को बरी किया जा चुका है.