मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर आंखफोड़वा कांड (Muzaffarpur Ankhphodwa case) को डेढ़ महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है, बावजूद इसके अभी तक पीड़ितों को ना तो न्याय मिल पाया और न ही मुआवजा. 6 दिसंबर 2021 को आंखफोड़वा कांड की फाइनल रिपोर्ट सामने आई थी. फिर भी अभी तक सरकार और प्रशासन की ओर से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
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इस घटना के डेढ़ महीने बीत जाने के बाद भी पीड़ित मरीजों के साथ कोई न्याय नहीं हो सका है. घटना के बाद जिन लोगों की आंखें खऱाब हुईं उनकी न तो बेहतर इलाज हो सका और न ही मुआवजे की राशि दी गई. नीतीश सरकार के द्वारा मुआवजा राशि की घोषणा तो की गई पर राशि का खुलासा नहीं किया गया था. महीना भर बीत जाने के बाद जब इंतजार का सब्र टूटा तो पीड़ितों ने मुजफ्फरपुर कलेक्ट्रेट का रुख किया. डीएम कार्यालय का घेराव करने पहुंचे (Victims protest in Collectorate) लेकिन कोरोना संक्रमण का हवाला देकर उन्हें धरना प्रदर्शन नहीं करने दिया गया.
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'आज हम लोग मुआवजे और आंख के लिए धरने के लिए मुजफ्फरपुर समाहरणालय आए थे. सरकार क्या कर रही है. हमारी आंख को निकाले डेढ़ मीहने से ज्यादा का समय बीत चुका है. अभी तक मुआवजा नहीं मिला है. पांच आदमी का परिवार है मेरा कैसे गुजर बसर होगा?'- राममूर्ति सिंह, पीड़ित मरीज
मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में 22 नवंबर को एक साथ 65 लोगों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था. आंख का ऑपरेशन कराए मरीजों ने बताया कि ऑपरेशन के तुरंत बाद से ही उनकी आंखों में जलन, दर्द और नहीं दिखने की समस्या होने लगी थी. इसकी शिकायत जब अस्पताल से की गई तो डॉक्टरों ने जांच के बाद इंफेक्शन की बात कही. डॉक्टरों की सलाह पर आंखें निकलवा दी गईं. समय रहते अगर इस प्रक्रिया को नहीं पूरा किया गया तो दूसरी आंख भी निकालनी पड़ सकती है.
'हमको आंख के बदले आंख चाहिए, सरकार कहां मुआवजा दे रही है? मां का आंख चला गया. पैर से वो लाचार है हमारे पास ही वो रहती है.'- गोपी देवी, पीड़ित मरीज के परिजन
इस दौरान 16 मरीजों की संक्रमित आंखें निकाली गईं. 6 दिसंबर 2021 को इस मामले की फाइनल रिपोर्ट सामने (Final report of Ankhphodwa incident on 6th December 2021) आई. जांच में अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर (OT) में दो तरह के बैक्टीरिया मिलने की बात सामने आई. सीएस की रिपोर्ट में लिखा गया था कि- 'आई हॉस्पिटल के ऑपरेशन थियेटर में सुडोमोनास और स्टेफायलोकोकस बैक्टीरिया पाया गया. यह काफी खतरनाक बैक्टीरिया होता है. एक से दो दिन में ही यह आंख खराब कर देता है. एसकेएमसीएच में जिन लोगों की आंख निकाली गयी, उनमें भी यह बैक्टीरिया पाया गया.'
जिन लोगों की आंखें निकालीं गई हैं वो बेहद ही गरीब परिवार से आते हैं. महंगा इलाज कराने में सक्षम नहीं हैं. सरकार अगर मुआवजे की घोषणा करती है तो मुआवजा दिया जाना चाहिए था. वहीं कुछ लोगों को मुआवजा नहीं बल्कि आंख के बदले आंख चाहिए. आपको बता दें कि मामले में प्रशासन द्वारा ब्रह्मपुरा थाना में आई हॉस्पिटल प्रशासन के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था, साथ ही कई लोगों ने न्यायालय में भी कोर्ट कंप्लेंट दर्ज करायी थी, लेकिन अब तक किसी की भी गिरफ्तारी और कोई कार्रवाई नहीं हुई. सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति कर छोड़ दिया गया.
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