ETV Bharat / state

....तो क्या बिहार में लाइलाज है चमकी बीमारी? अब तक लील चुकी है सैकड़ों जानें

बिहार में चमकी बुखार का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. रोजाना बच्चों की मौत के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं. मगर प्रशासन अभी तक इसके रोकथाम के लिए गंभीर होता नहीं दिख रहा है.

इलाजरत बच्चा
author img

By

Published : Jun 7, 2019, 5:51 PM IST

मुजफ्फरपुर: बिहार में प्रचंड गर्मी बढ़ने के साथ-साथ चमकी बुखार बच्चों के लिए काल बनता जा रहा है. एक आंकड़ें के मुताबिक इस बीमारी के कारण 2010 से अबतक 1,245 बच्चे पीड़ित हुए हैं, जिनमें 392 बच्चों की मौत हो चुकी है. गुरुवार को भी इस बीमारी के कारण 5 बच्चों ने दम तोड़ दिया.

बिहार में बढ़ता जा रहा प्रकोप
लगातार हो रही बच्चों की मौत के बाद आलाधिकारी बैठक पर बैठक कर रहे हैं, लेकिन इसका नतीजा शून्य है. आलम यह है कि 90 की दशक से इस बीमारी का प्रकोप मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार के जिलों में है. लेकिन आजतक स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी के कारणों को जानने में फेल रही है.

ब्लड में शुगर की कमी शुरूआती लक्षण
कई वर्षों से इस बीमारी पर रिसर्च कर रहे एसकेएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि अस्पताल में जितने बच्चों का इलाज चल रहा है, उनमें हाइपोग्लेसिमिय (ब्लड में शुगर की कमी) का शुरूआती लक्षण पाए गए हैं.

डॉक्टर का बयान

समय पर इलाज से बच सकती है जान
डॉ. गोपाल ने बताया कि ये बीमारी वायरस से जुड़ी बीमारी नहीं है. इसे मेटाबोलिक एंसिलोपैथी कहते हैं. इसके कारण शरीर में ग्लूकोज की कमी हो जाती है. अगर मरीज एक घंटे के अंदर अस्पताल आ जाते हैं तो उन्हें बजाया जा सकता है, लेकिन जो इसके इलाज में देरी करते हैं उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है.

muzaffarpur
इलाजरत बच्चा

मौत के आंकड़े:

  • वर्ष 2010 में 59 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 24 बच्चों की मौत हो गई.
  • वर्ष 2011 में 121 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 45 बच्चों की मौत हो गई.
  • वर्ष 2012 में 336 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 120 बच्चों की मौत हो गई.
  • वर्ष 2013 में 124 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 39 बच्चों की मौत हो गई.
  • वर्ष 2014 में 342 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 86 बच्चों की मौत हो गई.
  • वर्ष 2015 में 75 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 11 बच्चों की मौत हो गई.
  • वर्ष 2016 में 42 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 21 बच्चों की मौत हो गई.
  • वर्ष 2017 में 42 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 19 बच्चों की मौत हो गई.
  • वर्ष 2018 में 45 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 10 बच्चों की मौत हो गई.
  • वर्ष 2019 में 49 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 17 बच्चों की मौत हो गई.

मुजफ्फरपुर: बिहार में प्रचंड गर्मी बढ़ने के साथ-साथ चमकी बुखार बच्चों के लिए काल बनता जा रहा है. एक आंकड़ें के मुताबिक इस बीमारी के कारण 2010 से अबतक 1,245 बच्चे पीड़ित हुए हैं, जिनमें 392 बच्चों की मौत हो चुकी है. गुरुवार को भी इस बीमारी के कारण 5 बच्चों ने दम तोड़ दिया.

बिहार में बढ़ता जा रहा प्रकोप
लगातार हो रही बच्चों की मौत के बाद आलाधिकारी बैठक पर बैठक कर रहे हैं, लेकिन इसका नतीजा शून्य है. आलम यह है कि 90 की दशक से इस बीमारी का प्रकोप मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार के जिलों में है. लेकिन आजतक स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी के कारणों को जानने में फेल रही है.

ब्लड में शुगर की कमी शुरूआती लक्षण
कई वर्षों से इस बीमारी पर रिसर्च कर रहे एसकेएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि अस्पताल में जितने बच्चों का इलाज चल रहा है, उनमें हाइपोग्लेसिमिय (ब्लड में शुगर की कमी) का शुरूआती लक्षण पाए गए हैं.

डॉक्टर का बयान

समय पर इलाज से बच सकती है जान
डॉ. गोपाल ने बताया कि ये बीमारी वायरस से जुड़ी बीमारी नहीं है. इसे मेटाबोलिक एंसिलोपैथी कहते हैं. इसके कारण शरीर में ग्लूकोज की कमी हो जाती है. अगर मरीज एक घंटे के अंदर अस्पताल आ जाते हैं तो उन्हें बजाया जा सकता है, लेकिन जो इसके इलाज में देरी करते हैं उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है.

muzaffarpur
इलाजरत बच्चा

मौत के आंकड़े:

  • वर्ष 2010 में 59 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 24 बच्चों की मौत हो गई.
  • वर्ष 2011 में 121 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 45 बच्चों की मौत हो गई.
  • वर्ष 2012 में 336 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 120 बच्चों की मौत हो गई.
  • वर्ष 2013 में 124 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 39 बच्चों की मौत हो गई.
  • वर्ष 2014 में 342 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 86 बच्चों की मौत हो गई.
  • वर्ष 2015 में 75 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 11 बच्चों की मौत हो गई.
  • वर्ष 2016 में 42 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 21 बच्चों की मौत हो गई.
  • वर्ष 2017 में 42 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 19 बच्चों की मौत हो गई.
  • वर्ष 2018 में 45 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 10 बच्चों की मौत हो गई.
  • वर्ष 2019 में 49 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 17 बच्चों की मौत हो गई.
Intro:मुज़फ़्फ़रपुर समेत उत्तर बिहार के लिए चमकी बुखार हर साल गर्मी के महीने में बच्चों के लिए काल बन कर आता है ।2010 से अबतक 1245 बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हुए । इनमें 392 बच्चे की मौत इलाज के दौरान हो चुकी है । वही स्वस्थ्य विभाग हर साल रिसर्च के नाम पर कोरम पूरा करने में लगी रहती है । आलम यह है कि आज भी चिकित्सक लक्षण के आधार पर बच्चों का इलाज कर रहे हैं ।


Body:उमस भरी गर्मी के बीच चमकी व तेज बुखार का कहर थमने का नाम नही ले रहा है । गुरुवार को पांच और बच्चों ने दम तोड़ दिया । वही आलाधिकारी बच्चों की मौत के बाद बैठक पर बैठक कर रहे हैं लेकिन नतीजा शून्य है । आलम यह है कि 90 की दशक से इस बीमारी का प्रकोप मुज़फ़्फ़रपुर समेत उत्तर बिहार के जिलों में है । लेकिन आज तक इस बीमारी के कारण को जानने में स्वस्थ्य विभाग का मशीनरी फेल साबित हुआ है । उमस भरी गर्मी के साथ ही चमकी बुखार का प्रकोप बढ़ने लगता है जिससे बच्चे काल के मुंह में समा जाते हैं । कई वर्षों से इस बीमारी पर रिसर्च कर रहे एसकेएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्यक्ष प्रो डॉ गोपाल शंकर सहनी बताते हैं कि जितने बच्चे इलाजरत है । उनमें हाइपोग्लेसिमिय ( ब्लड में शुगर की कमी ) का प्रारंभिक लक्षण मिला है ।
बाइट गोपाल शंकर साहनी एसकेएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्यक्ष।
बाइट


Conclusion:वही एक तरह चमकी बुखार के कहर से माशूम बच्चों की जान जा रही है , तो दूसरी तरफ केजरीवाल अस्पताल में पीड़ित बच्चों की हाल देखने पहुंचे सिविल सर्जन ठहाके लगा रहे थे । जैसे इनके नजर में कुछ हो ही नही रहा है सब कुछ ठीक ठाक है । लेकिन आंकड़े साहेब की दावे का पोल खोल रही है। वर्ष 2010 पीड़ित बच्चे 59 मौत 24 ,वर्ष 2011 पीड़ित बच्चे 121 मौत 45 ,वर्ष 2012 पीड़ित बच्चे 336 मौत 120 ,वर्ष 2013 पीड़ित बच्चे 124 मौत 39 ,वर्ष 2014 पीड़ित बच्चे 342 मौत 86 ,वर्ष 2015 पीड़ित बच्चे 75 मौत 11 ,वर्ष 2016 पीड़ित बच्चे 42 मौत 21 ,वर्ष 2017 पीड़ित बच्चे 42 मौत 19 ,वर्ष 2018 पीड़ित बच्चे 45 मौत 10 ,वर्ष 2019 पीड़ित बच्चे 49 मौत 17 ,
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.