मुजफ्फरपुर: शाही लीची से तैयार शहद अब दुनिया भर में अपनी अलग पहचान बना रही है. मुजफ्फरपुर जिला भी लीची उत्पादन के लिए पहले से ही काफी प्रसिद्ध है. इसी को लेकर अब जिले में लीची बागानों में मधुमक्खी पालन का काम जोर पकड़ रहा है. जिले में लीची से शहद निकालने का काम 1 महीने का होता है. 1 महीने में तीन बार शहद निकाला जाता है.
शहद उत्पादन पर 30 हजार किसान निर्भर
मुजफ्फरपुर की पहचान शाही लीची की ख्याति पहले से ही दुनिया भर में फैली हुई है, लेकिन अब शाही लीची से तैयार शहद की खुशबू दुनियाभर भर के देशों में फैल रही है. जिले के लीची बागानों से निकलने वाला सुनहरे रंग का मधु का उत्पादन इन दिनों अपने चरम पर है. मुजफ्फरपुर में करीब 30 हजार से अधिक किसान शहद उत्पादन के काम में लगे हुए है. हालांकि मुजफ्फरपुर में लीची से शहद निकालने का काम बमुश्किल 20 से 30 दिनों का होता है, लेकिन इतने कम समय में ही दो से तीन बार शहद निकल जाता है.
शहद निकालने का काम मार्च से शुरू होता है जो अप्रैल महीने के मध्य में खत्म हो जाता है. किसानों के मेहनत के बदौलत मधु उत्पादन में मुजफ्फरपुर अब देश के अग्रणी जिले के रूप में शुमार हो गया है.
10 या 15 दिनों में छत्ते में भर जाता है शहद
आम की लकड़ी का 10 खाने का बक्सा तैयार किया जाता है. एक रानी और हजारों कामगार मधुमक्खियां इसमें रखी जाती हैं. बक्सा को लीची के बगीचे में रखा जाता है. इन 10 खानों में ही मधुमक्खियां छत्ता बनाती हैं. रानी मधुमक्खी इनमें से कई छत्तों में अंडे देती है. कामगार मधुमक्खियां दूसरे छत्ते में शहद जमा करती हैं. फूलों में पराग के हिसाब से 10 या 15 दिनों में शहद छत्ते में भर जाता है. इसके बद शहद निकाल लिया जाता है. तब, अंडा वाले छत्ते से कामगार मधुमक्खियां निकल आतीं हैं और फिर शहद निर्माण में जुट जाती हैं.
शहद उत्पादन में बिहार बना अव्वल राज्य
बता दें कि देश में सबसे अधिक शहद लीची से ही निकाला जा रहा है. इसके बाद शहद उत्पादन में सरसों, जामुन, सूरजमुखी और तिल जैसे पौधों का नंबर आता है, लेकिन लीची की वजह से शहद उत्पादन के क्षेत्र में ना सिर्फ मुजफ्फरपुर बल्कि बिहार भी देश का अव्वल राज्य बन गया है. आंकड़ों के मुताबिक बिहार में अब शहद का सालाना कारोबार करीब 300 करोड़ का होता है, जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा मुजफ्फरपुर के शहद उत्पादकों का होता है. मुजफ्फरपुर में बढ़ते शहद उत्पादन को देखते हुए अब कई बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भी बिहार के बाजार के ओर रुख करने लगी है.