मुजफ्फरपुरः पिछले साल आई भयावह बाढ़ को गुजरे हुए भले ही एक लंबा अरसा हो गया है. लेकिन जिले के किसान अभी भी इस बाढ़ का दंश झेल रहे हैं. बाढ़ और भारी बारिश के कारण मुजफ्फरपुर के कई इलाकों में हुए जलजमाव के कारण इस बार किसानों के सामने नई मुसीबत ने दस्तक दी है.
दरअसल लंबे समय तक बाढ़ के पानी के जमा होने के कारण इस बार काफी संख्या में फलदार पेड़ सूख गए हैं. जिससे जिले के हरित आवरण को व्यापक नुकसान पहुंचा है. पानी के कारण बड़ी संख्या में लगभग सभी इलाकों में इस बार लीची, आम और सागवान के पौधे सूख गए हैं. जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है.
कई इलाकों में सूखे गए पेड़
जिले की बागवानी को सबसे अधिक नुकसान बाढ़ प्रभावित इलाकों, सकरा, मुशहरी,मीनापुर,बोचहा, कटरा, गायघाट और औराई में हुआ है. जहां कई जगहों पर एक साथ सैकड़ों की संख्या में सूखे पेड़ देखे जा सकते हैं. सबसे अधिक पेड़ सूखने की शिकायत मीनापुर बोचहा गायघाट मुसहरी कांटी प्रखंड में देखने को मिल रही है.
किसानों का कहना है- बड़ी संख्या ने फलदार पौधों के सूखने के कारण इस बार लीची और आम के उत्पादन में भी गिरावट आ सकती है. बड़ी संख्या में आमदनी के लिए सागवान, शीशम और महोगनी जैसे कीमती लकड़ियों के पौधे भी बड़ी संख्या में लगाए थे. लेकिन इस बार इनके पेड़ को भी व्यापक नुकसान पहुंचा है.
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शीशम और सागवान को भी हुआ नुकसान
गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर जिले में 12000 हेक्टेयर में लीची और 14000 हेक्टेयर में आम के बगीचे हैं. जिसमें से करीब 700 हेक्टेयर के आसपास लीची, आम, शीशम और सागवान के पेड़ के सूखने का अनुमान लगाया जा रहा है. लेकिन इतने बड़े पैमाने पर पेड़ों के सूखने के बाद भी कृषि विभाग और वन विभाग इस मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं.
'सूखे पेड़ों को काटकर जलावन के लिए औने-पौने दामों में बेच रहे हैं. हर साल बाढ़ आती है लेकिन इस तरह और इतने बड़े पैमाने पर पेड़ सूखने का मामला पहली बार आया हैं'- देवेंद्र शर्मा, किसान
नहीं हुई विभाग की तरफ से कोई ठोस पहल
वहीं, किसानों के इस नुकसान को लेकर अभी तक जिला प्रशासन के स्तर पर कोई ठोस पहल नहीं की गई है. जिले में कितने हेक्टेयर में हरित आवरण को नुकसान पहुंचा है, इसका भी आकलन प्रशासनिक स्तर पर नहीं किया गया है. किसानों की इस महत्वपूर्ण समस्या को लेकर जब जिला कृषि अधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की.