मुजफ्फरपुर: बूढ़ी गंडक नदी (Burhi Gandak river) और बागमती नदी (Bagmati River) में आई उफान से मुजफ्फरपुर जिला की बड़ी आबादी बाढ़ (Muzaffarpur Flood) का कहर झेल रही है. जिले के मीनापुर प्रखंड के बड़ा भारती पंचायत का मधुवन गांव बाढ़ प्रभावित है. घर के अंदर पानी भर जाने और सड़क पर सैलाब बहने के चलते लोग फंस गए हैं.
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बाढ़ के पानी में फंसे ग्रामीणों के लिए सबसे जरूरी साधन नाव है, लेकिन मधुवन गांव के लोगों को सरकारी नाव की सुविधा नहीं मिली. नाव नहीं होने के चलते बाढ़ में फंसे लोगों के सामने जरूरी सामान लाने की चुनौती आ गई. ऐसे में रामनाथ सहनी ने नाव बनाने का फैसला किया. उन्होंने घर में रखे ऐसे सामानों की ओर नजर दौड़ाई जो पानी में डूबे नहीं और वजन भी उठा सके.
इसी दौरान रामनाथ को पतीले से नाव बनाने का आइडिया आया. एल्युमिनियम से बने होने के चलते पतीले वजन में हल्के थे और आकार बड़ा होने के चलते अधिक वजन भी उठा सकते थे. बस उसमें पानी न भरे इसका ध्यान रखना था. पतीले को एक साथ जोड़े रखना और ऐसा प्लेटफॉर्म बनाना भी जरूरी था जिसपर लोग सवार हो सकें. इसके लिए उन्होंने लोहे की खाट का चुनाव किया.
रामनाथ ने खाट को पतीले से बांधा और जुगाड़ की नाव तैयार कर दी. नाव को बांस की मदद से पानी में आगे बढ़ाने की व्यवस्था की गई. यह नाव गांव के लोगों के लिए लाइफ लाइन बन गई है. रामनाथ द्वारा बनाई गई नाव को देख आसपास के दूसरे गांव के लोग भी ऐसी नाव बना रहे हैं.
"इस बर्तन (पतीले) में हमलोग भोज के लिए खाना पकाते हैं. हमलोग बाढ़ में फंसे हैं. कोई मदद नहीं मिली तो पतीले को खाट से जोड़कर नाव बनाया. इससे आने-जाने में मदद मिल रही है. किसी तरह जान बचानी है. हमलोगों की इतनी अधिक परेशानी है कि क्या बताएं. किसी तरह की सुविधा सरकारी स्तर से नहीं मिली है."- रामनाथ सहनी, पतीले से नाव बनाने वाले ग्रामीण
गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर जिले के सात प्रखंड बाढ़ प्रभावित हैं. मीनापुर प्रखंड में बूढ़ी गंडक नदी से आ रहे पानी के कारण हालात बिगड़ते जा रहे हैं. मीनापुर के मिल्की डायवर्सन पर बाढ़ का पानी चढ़ गया है, जिससे मुजफ्फरपुर शिवहर रोड पर आवागमन बंद हो गया है. साहेबगंज, पारू, औराई, कटरा, गायघाट, बांद्रा और कांटी प्रखंड भी बाढ़ प्रभावित हैं. हजारों की संख्या में बाढ़ पीड़ित सड़क पर शरण लेने को विवश हैं.
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