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मुजफ्फरपुर: बाढ़ ने किसानों की उम्मीद पर फेरा पानी, खेतों में लगी फसल हुई तबाह - बाढ़ से किसान परेशान

बिहार में बाढ़ के कारण भारी तबाही देखने को मिल रही है. खेतों में लगी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. जिससे किसानों में खासी मायूसी है.

बाढ़ से किसान परेशान
बाढ़ से किसान परेशान
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Published : Jul 30, 2020, 6:01 PM IST

मुजफ्फरपुर: बूढ़ी गंडक और बागमती नदी जिले के किसानों के लिए किसी शोक से कम नहीं है. दोनों नदियों के बेकाबू जल प्रवाह के कारण किसानों को हर साल बर्बादी झेलने पड़ती है. उनके सामने भुखमरी की नौबत आ जाती है. इस साल भी जहां बड़ी उम्मीद से किसानों ने खेती की. तो वहीं बाढ़ ने सबकुछ चौपट कर दिया.

muzaffarpur
बाढ़ से किसान परेशान

लाभ मिलना तो बहुत दूर किसानों के घरों की सारी जमापूंजी भी डूब गई. काटी पकड़ी किसान नरेश साहनी की मानें तो उन्होंने इस बार बड़ी उम्मीदों के साथ कर्ज लेकर 3 एकड़ जमीन पर मक्के और परवल की खेती की थी. लेकिन बूढ़ी गंडक नदी के बाढ़ के पानी ने उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. ऐसे में उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वे किस तरह परिवार का पेट पालेंगे.

muzaffarpur
खेतों में लगी फसल तबाह

बर्बाद हो गई पूरी फसल
वहीं शाइन छपरा के गोविंद शाह का कहना है कि उन्होंने करीब 3 एकड़ जमीन में धान की खेती की थी. लेकिन खेतों में लहलहाती हुई धान की फसल पूरी तरह बाढ़ के पानी में देखते ही देखते समा गई. फिलहाल वह अपनी बची फसलों को सहेजने की कोशिश कर रहे हैं. ताकि आने वाले दिनों में परिवार का भरण-पोषण हो सके.

मुजफ्फरपुर: बूढ़ी गंडक और बागमती नदी जिले के किसानों के लिए किसी शोक से कम नहीं है. दोनों नदियों के बेकाबू जल प्रवाह के कारण किसानों को हर साल बर्बादी झेलने पड़ती है. उनके सामने भुखमरी की नौबत आ जाती है. इस साल भी जहां बड़ी उम्मीद से किसानों ने खेती की. तो वहीं बाढ़ ने सबकुछ चौपट कर दिया.

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बाढ़ से किसान परेशान

लाभ मिलना तो बहुत दूर किसानों के घरों की सारी जमापूंजी भी डूब गई. काटी पकड़ी किसान नरेश साहनी की मानें तो उन्होंने इस बार बड़ी उम्मीदों के साथ कर्ज लेकर 3 एकड़ जमीन पर मक्के और परवल की खेती की थी. लेकिन बूढ़ी गंडक नदी के बाढ़ के पानी ने उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. ऐसे में उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वे किस तरह परिवार का पेट पालेंगे.

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खेतों में लगी फसल तबाह

बर्बाद हो गई पूरी फसल
वहीं शाइन छपरा के गोविंद शाह का कहना है कि उन्होंने करीब 3 एकड़ जमीन में धान की खेती की थी. लेकिन खेतों में लहलहाती हुई धान की फसल पूरी तरह बाढ़ के पानी में देखते ही देखते समा गई. फिलहाल वह अपनी बची फसलों को सहेजने की कोशिश कर रहे हैं. ताकि आने वाले दिनों में परिवार का भरण-पोषण हो सके.

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