मुजफ्फरपुर: बूढ़ी गंडक और बागमती नदी जिले के किसानों के लिए किसी शोक से कम नहीं है. दोनों नदियों के बेकाबू जल प्रवाह के कारण किसानों को हर साल बर्बादी झेलने पड़ती है. उनके सामने भुखमरी की नौबत आ जाती है. इस साल भी जहां बड़ी उम्मीद से किसानों ने खेती की. तो वहीं बाढ़ ने सबकुछ चौपट कर दिया.
लाभ मिलना तो बहुत दूर किसानों के घरों की सारी जमापूंजी भी डूब गई. काटी पकड़ी किसान नरेश साहनी की मानें तो उन्होंने इस बार बड़ी उम्मीदों के साथ कर्ज लेकर 3 एकड़ जमीन पर मक्के और परवल की खेती की थी. लेकिन बूढ़ी गंडक नदी के बाढ़ के पानी ने उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. ऐसे में उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वे किस तरह परिवार का पेट पालेंगे.
बर्बाद हो गई पूरी फसल
वहीं शाइन छपरा के गोविंद शाह का कहना है कि उन्होंने करीब 3 एकड़ जमीन में धान की खेती की थी. लेकिन खेतों में लहलहाती हुई धान की फसल पूरी तरह बाढ़ के पानी में देखते ही देखते समा गई. फिलहाल वह अपनी बची फसलों को सहेजने की कोशिश कर रहे हैं. ताकि आने वाले दिनों में परिवार का भरण-पोषण हो सके.