ETV Bharat / state

लीची बागान में भूख से तड़पकर मर रही हैं मधुमक्खियां, मधुपालक परेशान - मुजफ्फरपुर के मधुमक्खी पालक परेशान

मुजफ्फरपुर में मक्के की फसल और लीची के फूल खत्म होने से मधुमखियों को भोजन मिलना बंद हो गया है, जिससे मधुमक्खियां भारी संख्या में मरने लगी हैं. इसके अलावा मधुमक्खियां अंडा भी नहीं दे रही हैं. मधुमक्खियों के मरने से बक्सा आधा खाली हो चुका है.

लॉकडाउन में मर रही है मधुमक्खियां
लॉकडाउन में मर रही है मधुमक्खियां
author img

By

Published : Apr 26, 2020, 7:11 PM IST

मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर में लॉकडाउन के चलते इस बार मधुपालक बेहद गंभीर स्थिति से गुजर रहे हैं. इस दौरान जहां उन्हें अपनी आजीविका ठप्प होने का दर्द के साथ उन्हें भूख से मर रही मधुमक्खियों को बचाने की चुनौती से भी दो चार होना पड़ रहा है. लीची के फूल खत्म होने के बाद दूसरे जिले और राज्यों में मधुमक्खी के बक्से को ले जाने के लिए मधुमक्खी पालक परेशान हो रहे हैं. फूल का पराग नहीं मिलने से मधुमक्खियां काफी संख्या में मर रही हैं.

मुजफ्फरपुर
खाने की अभाव में मरी हुई मर रही है मधुमक्खियां

दरअसल, मुजफ्फरपुर जिले के लीची के बागान में मधुपालन का काम मार्च से प्रारंभ होकर अप्रैल के पहले सप्ताह तक ही बाजारों में रहता है. लेकिन इस बार कोरोना महामारी नियंत्रण को लेकरह प्रभावी लॉकडाउन के बीच मुजफ्फरपुर के लीची बागानों में हजारों मधुउत्पादक अपनी मधुमक्खियों के साथ बागों में फंसे हुए हैं. गाड़ियों के परिचालन की अनुमति नहीं मिलने से अपने मधुमक्खी कालोनियों को दूसरे राज्यों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं. मुजफ्फरपुर में मक्के की फसल और लीची के फूल खत्म होने से मधुमखियों को भोजन मिलना बंद हो गया है. जिससे मधुमक्खियां भारी संख्या में मरने लगी हैं. इसके अलावा मधुमक्खियां अंडा भी नहीं दे रही हैं. मधुमक्खियों के मरने से बक्सा आधा खाली हो चुका है.

मुजफ्फरपुर
लीची बागान में मधुपालक

मुजफ्फरपुर में होता है शहद का सर्वाधिक उत्पादन
देश भर में सबसे अधिक शहद का उत्पादन मुजफ्फरपुर में होता है. यहां सबसे अधिक मधुमक्खी पालक भी हैं. करीब 10 हजार लोग मधुमक्खी पालन से सीधे तौर पर जुड़े हैं जबकि इस कारोबार से जुड़े होने वाले की संख्या 50 हजार से अधिक है. मुजफ्फरपुर में करीब 30 लाख मधुमक्खी बक्से का व्यवसायिक तौर पर शहद उत्पादन के लिए प्रयोग में लाया जाता है. प्रति बक्से 40 किलो तक शहद साल भर में निकलती है. लीची की शाही किस्म के बाद चाइना किस्म की लीची के पेड़ों से फूल खत्म होने के बाद मधुमक्खियों को खाना नहीं मिल पा रहा है और न ही फूलों से पराग मिल रहा है. चीनी का घोल बनाकर मधुमक्खियों को बचाने की कौशिश की जा रही है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सरकार और जिला प्रशासन की अनदेखी
मधुमक्खियों को फूलों से मिलने वाला पराग पोषण नहीं मिल पा रहा है. जिससे मधुमक्खियां भूखी रह रही हैं. उनको सही पोषण नहीं मिल रहा है. ऐसे में मधुपालक अपने मधुमक्खियों को चीनी और गुड़ का पानी देकर जिंदा रखने की कोशिश कर रहे हैं. इन मधुमक्खियों को बचाने के लिए तत्काल मुजफ्फरपुर जिले में फंसे करीब दो लाख मधुमक्खी कॉलोनियों को तत्काल राज्य से बाहर ले जाने की सख्त जरूरत है. अन्यथा करीब दो लाख बॉक्स में मौजूद मधुमक्खियों के मरने की आशंका है. वहीं, दुर्भाग्यवश अभी तक प्रदेश सरकार और ना ही मुजफ्फरपुर जिला प्रशासन ने लीची के बागों में फंसे हुए मधुपालकों की समस्या को दूर करने की कोई ठोस पहल करने की जहमत उठाई है.

मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर में लॉकडाउन के चलते इस बार मधुपालक बेहद गंभीर स्थिति से गुजर रहे हैं. इस दौरान जहां उन्हें अपनी आजीविका ठप्प होने का दर्द के साथ उन्हें भूख से मर रही मधुमक्खियों को बचाने की चुनौती से भी दो चार होना पड़ रहा है. लीची के फूल खत्म होने के बाद दूसरे जिले और राज्यों में मधुमक्खी के बक्से को ले जाने के लिए मधुमक्खी पालक परेशान हो रहे हैं. फूल का पराग नहीं मिलने से मधुमक्खियां काफी संख्या में मर रही हैं.

मुजफ्फरपुर
खाने की अभाव में मरी हुई मर रही है मधुमक्खियां

दरअसल, मुजफ्फरपुर जिले के लीची के बागान में मधुपालन का काम मार्च से प्रारंभ होकर अप्रैल के पहले सप्ताह तक ही बाजारों में रहता है. लेकिन इस बार कोरोना महामारी नियंत्रण को लेकरह प्रभावी लॉकडाउन के बीच मुजफ्फरपुर के लीची बागानों में हजारों मधुउत्पादक अपनी मधुमक्खियों के साथ बागों में फंसे हुए हैं. गाड़ियों के परिचालन की अनुमति नहीं मिलने से अपने मधुमक्खी कालोनियों को दूसरे राज्यों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं. मुजफ्फरपुर में मक्के की फसल और लीची के फूल खत्म होने से मधुमखियों को भोजन मिलना बंद हो गया है. जिससे मधुमक्खियां भारी संख्या में मरने लगी हैं. इसके अलावा मधुमक्खियां अंडा भी नहीं दे रही हैं. मधुमक्खियों के मरने से बक्सा आधा खाली हो चुका है.

मुजफ्फरपुर
लीची बागान में मधुपालक

मुजफ्फरपुर में होता है शहद का सर्वाधिक उत्पादन
देश भर में सबसे अधिक शहद का उत्पादन मुजफ्फरपुर में होता है. यहां सबसे अधिक मधुमक्खी पालक भी हैं. करीब 10 हजार लोग मधुमक्खी पालन से सीधे तौर पर जुड़े हैं जबकि इस कारोबार से जुड़े होने वाले की संख्या 50 हजार से अधिक है. मुजफ्फरपुर में करीब 30 लाख मधुमक्खी बक्से का व्यवसायिक तौर पर शहद उत्पादन के लिए प्रयोग में लाया जाता है. प्रति बक्से 40 किलो तक शहद साल भर में निकलती है. लीची की शाही किस्म के बाद चाइना किस्म की लीची के पेड़ों से फूल खत्म होने के बाद मधुमक्खियों को खाना नहीं मिल पा रहा है और न ही फूलों से पराग मिल रहा है. चीनी का घोल बनाकर मधुमक्खियों को बचाने की कौशिश की जा रही है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सरकार और जिला प्रशासन की अनदेखी
मधुमक्खियों को फूलों से मिलने वाला पराग पोषण नहीं मिल पा रहा है. जिससे मधुमक्खियां भूखी रह रही हैं. उनको सही पोषण नहीं मिल रहा है. ऐसे में मधुपालक अपने मधुमक्खियों को चीनी और गुड़ का पानी देकर जिंदा रखने की कोशिश कर रहे हैं. इन मधुमक्खियों को बचाने के लिए तत्काल मुजफ्फरपुर जिले में फंसे करीब दो लाख मधुमक्खी कॉलोनियों को तत्काल राज्य से बाहर ले जाने की सख्त जरूरत है. अन्यथा करीब दो लाख बॉक्स में मौजूद मधुमक्खियों के मरने की आशंका है. वहीं, दुर्भाग्यवश अभी तक प्रदेश सरकार और ना ही मुजफ्फरपुर जिला प्रशासन ने लीची के बागों में फंसे हुए मधुपालकों की समस्या को दूर करने की कोई ठोस पहल करने की जहमत उठाई है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.