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मुंगेर: बाढ़ के पूर्वी डकरा नाला के गेट का अधिकारियों ने लिया जायजा, दिए जरूरी निर्देश

सिंचाई व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए 1982 में डकरा नाला पंप परियोजना 72 करोड़ रुपए की लागत से शुरू हुई थी जो 700 करोड़ तक पहुंच गयी. इसके बाद भी किसानों के खेतों में एक बूंद पानी भी नसीब नहीं हुआ.

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Published : May 27, 2020, 11:04 PM IST

मुंगेर: बाढ़ के पूर्व डकरा नाला जर्जर गेट का अधिकारियों ने जायजा लिया. सिंचाई व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर जल संसाधन विभाग के अधिकारी डकरा नाला पहुंचे. 1982 में बने एक दर्जन से ऊपर गेट की स्थिति को देखकर अधिकारियों ने चिंता जताई. विभाग के संवेदक को गेट दुरुस्त करने का निर्देश दिया.

अधिकारियों ने लगभग 1 घंटे तक किया निरीक्षण
डकरा नाला परियोजना अंतर्गत 1982 में बनाए गए एक दर्जन जर्जर गेट का जायजा लेने जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता (मैकेनिकल) एनके तिवारी अपने अधिकारियों के साथ हेरु दियारा पहुंचे. अधिकारियों ने लगभग 1 घंटे तक डकरा नाला के सभी गेट को देखा. निरीक्षण के दौरान मुख्य अभियंता ने डकरा नाला के गेट को उठाने के लिए कहा लेकिन गेट की हालात इतनी जर्जर थी कि गेट नहीं उठ सका. इसके बाद एनके तिवारी ने साफ तौर पर संबंधित पदाधिकारियों को मौके पर ही निर्देश दिया.उन्होंने कहा कि अगर गेट का काम अविलंब दुरुस्त नहीं किया गया तो बाढ़ में स्थिति भयावह हो सकती है. गेट के दक्षिणी छोर पर स्थित खेत-खलियान डूब सकते है और दर्जनों गांव तबाह हो सकते है.

1982 में शुरू हुई थी डकरा नाला पंप परियोजना
इधर ऑपरेटर ने कहा कि गेट में हाइड्रोलिक तेल नहीं होने के कारण गेट जाम हो गया है.2014 से गेट की मरम्मती का काम देख रहे संवेदक प्रदीप कुमार ने बताया कि विभाग ने अभी तक उनके कामों की राशि का भुगतान नहीं किया है. जर्जर गेट को दुरुस्त करने को लेकर विभाग को भेजे गए डिजाइन का अनुमोदन भी नहीं हो पाया. इसके कारण गेट की स्थिति जर्जर बनी हुई है. सिंचाई व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए 1982 में डकरा नाला पंप परियोजना 72 करोड़ रुपए की लागत से शुरू हुई थी जो 700 करोड़ तक पहुंच गयी. इसके बाद भी किसानों के खेतों में एक बूंद पानी भी नसीब नहीं हुआ.

मुंगेर: बाढ़ के पूर्व डकरा नाला जर्जर गेट का अधिकारियों ने जायजा लिया. सिंचाई व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर जल संसाधन विभाग के अधिकारी डकरा नाला पहुंचे. 1982 में बने एक दर्जन से ऊपर गेट की स्थिति को देखकर अधिकारियों ने चिंता जताई. विभाग के संवेदक को गेट दुरुस्त करने का निर्देश दिया.

अधिकारियों ने लगभग 1 घंटे तक किया निरीक्षण
डकरा नाला परियोजना अंतर्गत 1982 में बनाए गए एक दर्जन जर्जर गेट का जायजा लेने जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता (मैकेनिकल) एनके तिवारी अपने अधिकारियों के साथ हेरु दियारा पहुंचे. अधिकारियों ने लगभग 1 घंटे तक डकरा नाला के सभी गेट को देखा. निरीक्षण के दौरान मुख्य अभियंता ने डकरा नाला के गेट को उठाने के लिए कहा लेकिन गेट की हालात इतनी जर्जर थी कि गेट नहीं उठ सका. इसके बाद एनके तिवारी ने साफ तौर पर संबंधित पदाधिकारियों को मौके पर ही निर्देश दिया.उन्होंने कहा कि अगर गेट का काम अविलंब दुरुस्त नहीं किया गया तो बाढ़ में स्थिति भयावह हो सकती है. गेट के दक्षिणी छोर पर स्थित खेत-खलियान डूब सकते है और दर्जनों गांव तबाह हो सकते है.

1982 में शुरू हुई थी डकरा नाला पंप परियोजना
इधर ऑपरेटर ने कहा कि गेट में हाइड्रोलिक तेल नहीं होने के कारण गेट जाम हो गया है.2014 से गेट की मरम्मती का काम देख रहे संवेदक प्रदीप कुमार ने बताया कि विभाग ने अभी तक उनके कामों की राशि का भुगतान नहीं किया है. जर्जर गेट को दुरुस्त करने को लेकर विभाग को भेजे गए डिजाइन का अनुमोदन भी नहीं हो पाया. इसके कारण गेट की स्थिति जर्जर बनी हुई है. सिंचाई व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए 1982 में डकरा नाला पंप परियोजना 72 करोड़ रुपए की लागत से शुरू हुई थी जो 700 करोड़ तक पहुंच गयी. इसके बाद भी किसानों के खेतों में एक बूंद पानी भी नसीब नहीं हुआ.

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