ETV Bharat / state

मुनाफे का सौदा है सरसों की खेती, जानें लाही कीड़े से कैसे करें बचाव - etv bihar

भारी मुनाफे की उम्मीद में किसानों ने सरसों की खेती की है लेकिन ठंड के मौसम में लाही कीड़े ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है. आइए हम आपकों बताते हैं कि सरसों की फसल को लाही के कीड़े से कैसे बचाएं. साथ ही किसान उचित प्रबंधन कर सरसों का अधिक पैदावार ले सकते हैं. पढ़ें पूरी खबर.

raw
raw
author img

By

Published : Jan 23, 2022, 10:26 AM IST

मुंगेर: बिहार में सरसों की फसल इस वर्ष खूब लहलहा रही है. टाल क्षेत्र या मैदानी इलाके में सभी जगह इस वर्ष सरसों की अचछी पैदावार होने की उम्मीद है. लहलहाए भी क्यों नहीं, पिछले वर्ष जिस तरह बाजार में सरसों तेल की कीमत 200 रुपये प्रति किलो के पार चली गई थी, इस कारण सरसों की खेती अधिक हो रही है. मुंगेर जिले में जहां 12,000 हेक्टेयर भूमि पर सरसों की खेती होती थी. इस वर्ष किसानों ने लगभग 18 हजार एकड़ से 20 हजार एकड़ में सरसों की खेती की हैं.

हालांकि किसानों ने जिस उम्मीद से सरसों की खेती बड़े पैमाने पर की है, उस पर पानी फिरने लगा है. बिहार में अचानक ठंड बढ़ गयी है. सर्दी का मौसम शुरू होते ही वातावरण में नमी बढ़ गई है. ऐसे में मौसम में लाही कीट का प्रकोप ज्यादा हो गया है. यह की सरसों के पौधों की पत्तियों और फूलों को चट कर रहा है. अपनी फसल को बर्बाद होते देख किसान परेशान हैं.


ये भी पढ़ें: मुंगेर में MLC चुनाव को लेकर RJD नेता ने शुरू किया जनसंपर्क, बोले- जीत हमारी होगी
कैसे करें लाही से बचाव?
सरसों के पीले फूल पर काले काले लाही से फसलों को नुकसान पहुंच रहा है. इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अशोक ने कहा कि तापमान में नमी के कारण सरसों के खेत में लाही कीड़े का प्रकोप बढ़ गया है. यदि सरसों के फली में लाही का प्रकोप हो तो 1 मिलीलीटर प्रति लीटर मेटा सिस्टोक, रोगर 1एमएल प्रति 1 लीटर या 1एमएल प्रति 3 लीटर पानी के साथ इमिडा क्लोरिमिन या डेढ़ ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से थायोमेथेक जोन का प्रति एकड़ की किट ग्रस्त फसलों पर 15 दिन के अंतराल पर तीन बार छिड़काव करें. अगर कीड़ों का आक्रमण कम हो तो छिड़काव की संख्या कम की जा सकती है. छिड़काव शाम के समय करें जब फसलों पर मधुमक्खियां कम होती हैं.

ऐसे करें उत्पादन, अधिक मिलेगा मुनाफा
तिलहन की कीमत बाजार में लगातार बढ़ रही है. इसलिए किसान सरसों की खेती कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. इस संबंध में कृषि वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि सरसों की खेती के लिए उपयुक्त समय सामूहिक बुआई के लिए 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच है. विलम्ब से बुआई के लिए 15 नवंबर से 10 दिसंबर है. इसके लिए बीज की 3 उन्नत किस्में है. राई के लिए पूसा बोल्ड, उषाकिरण, पूसा महक तथा सरसों के लिए सरसों राजेंद्र (1), स्वर्णा एवं पीला सरसों के लिए पिटी 303 एवं शुभ्रा बीज उन्नत किस्म के बीज माने जाते हैं.

ये भी पढ़ें: आखिर क्यों जहरीली हो रही है योग नगरी मुंगेर की फिजा

ऐसे करें खेत की तैयारी
सरसों की खेती करने से पहले किसान खेत की जुताई कल्टी विधि से करें तथा जुताई के समय ही खेत में प्रति कट्ठा 1 किलो डीएपी नाइट्रोजन पांच सौ ग्राम लाल पोटाश और दो सौ पचास ग्राम सल्फर का प्रयोग कर दें. सरसों की खेती नमी वाले इलाके में अधिक होती है. इसमें अधिक पानी नहीं लगता. डॉ. अशोक ने बताया कि पहली सिंचाई 40 दिन के बीच करना चाहिए. इस समय ही 1 किलो प्रति कट्ठा यूरिया का भी छिड़काव करना चाहिए.

दूसरी सिंचाई फूल से फली बनने के अवस्था में 80 से 90 दिन के बीच करें. इसी समय 3 ग्राम प्रति लीटर की दर से घुलनशील सल्फर का भी छिड़काव करें. ऐसा करने से किसान भाई सरसों की फसल से अधिक पैदावार ले सकते हैं. कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि सरसों की खेती में 1 रुपये लगाकर 3 रुपये की आमदनी प्राप्त की जा सकती है. इसका उत्पादन लागत प्रति हेक्टर 18 से 20 हजार रुपये आता है तथा आमदनी 64 हजार से 70 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर मिलता है.

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

मुंगेर: बिहार में सरसों की फसल इस वर्ष खूब लहलहा रही है. टाल क्षेत्र या मैदानी इलाके में सभी जगह इस वर्ष सरसों की अचछी पैदावार होने की उम्मीद है. लहलहाए भी क्यों नहीं, पिछले वर्ष जिस तरह बाजार में सरसों तेल की कीमत 200 रुपये प्रति किलो के पार चली गई थी, इस कारण सरसों की खेती अधिक हो रही है. मुंगेर जिले में जहां 12,000 हेक्टेयर भूमि पर सरसों की खेती होती थी. इस वर्ष किसानों ने लगभग 18 हजार एकड़ से 20 हजार एकड़ में सरसों की खेती की हैं.

हालांकि किसानों ने जिस उम्मीद से सरसों की खेती बड़े पैमाने पर की है, उस पर पानी फिरने लगा है. बिहार में अचानक ठंड बढ़ गयी है. सर्दी का मौसम शुरू होते ही वातावरण में नमी बढ़ गई है. ऐसे में मौसम में लाही कीट का प्रकोप ज्यादा हो गया है. यह की सरसों के पौधों की पत्तियों और फूलों को चट कर रहा है. अपनी फसल को बर्बाद होते देख किसान परेशान हैं.


ये भी पढ़ें: मुंगेर में MLC चुनाव को लेकर RJD नेता ने शुरू किया जनसंपर्क, बोले- जीत हमारी होगी
कैसे करें लाही से बचाव?
सरसों के पीले फूल पर काले काले लाही से फसलों को नुकसान पहुंच रहा है. इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अशोक ने कहा कि तापमान में नमी के कारण सरसों के खेत में लाही कीड़े का प्रकोप बढ़ गया है. यदि सरसों के फली में लाही का प्रकोप हो तो 1 मिलीलीटर प्रति लीटर मेटा सिस्टोक, रोगर 1एमएल प्रति 1 लीटर या 1एमएल प्रति 3 लीटर पानी के साथ इमिडा क्लोरिमिन या डेढ़ ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से थायोमेथेक जोन का प्रति एकड़ की किट ग्रस्त फसलों पर 15 दिन के अंतराल पर तीन बार छिड़काव करें. अगर कीड़ों का आक्रमण कम हो तो छिड़काव की संख्या कम की जा सकती है. छिड़काव शाम के समय करें जब फसलों पर मधुमक्खियां कम होती हैं.

ऐसे करें उत्पादन, अधिक मिलेगा मुनाफा
तिलहन की कीमत बाजार में लगातार बढ़ रही है. इसलिए किसान सरसों की खेती कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. इस संबंध में कृषि वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि सरसों की खेती के लिए उपयुक्त समय सामूहिक बुआई के लिए 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच है. विलम्ब से बुआई के लिए 15 नवंबर से 10 दिसंबर है. इसके लिए बीज की 3 उन्नत किस्में है. राई के लिए पूसा बोल्ड, उषाकिरण, पूसा महक तथा सरसों के लिए सरसों राजेंद्र (1), स्वर्णा एवं पीला सरसों के लिए पिटी 303 एवं शुभ्रा बीज उन्नत किस्म के बीज माने जाते हैं.

ये भी पढ़ें: आखिर क्यों जहरीली हो रही है योग नगरी मुंगेर की फिजा

ऐसे करें खेत की तैयारी
सरसों की खेती करने से पहले किसान खेत की जुताई कल्टी विधि से करें तथा जुताई के समय ही खेत में प्रति कट्ठा 1 किलो डीएपी नाइट्रोजन पांच सौ ग्राम लाल पोटाश और दो सौ पचास ग्राम सल्फर का प्रयोग कर दें. सरसों की खेती नमी वाले इलाके में अधिक होती है. इसमें अधिक पानी नहीं लगता. डॉ. अशोक ने बताया कि पहली सिंचाई 40 दिन के बीच करना चाहिए. इस समय ही 1 किलो प्रति कट्ठा यूरिया का भी छिड़काव करना चाहिए.

दूसरी सिंचाई फूल से फली बनने के अवस्था में 80 से 90 दिन के बीच करें. इसी समय 3 ग्राम प्रति लीटर की दर से घुलनशील सल्फर का भी छिड़काव करें. ऐसा करने से किसान भाई सरसों की फसल से अधिक पैदावार ले सकते हैं. कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि सरसों की खेती में 1 रुपये लगाकर 3 रुपये की आमदनी प्राप्त की जा सकती है. इसका उत्पादन लागत प्रति हेक्टर 18 से 20 हजार रुपये आता है तथा आमदनी 64 हजार से 70 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर मिलता है.

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.