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मुंगेर के सरकारी विद्यालय में नहीं है ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था, पिछड़ रहे बच्चे

बिहार में कोरोना संक्रमण (corona infection in bihar) के मामलों में बेतहासा बढ़ोतरी के चलते एक बार फिर शिक्षण संस्थानों को बंद कर दिया गया है. इसमें सरकारी स्कूलों के बच्चों की शिक्षा भी सबसे अधिक प्रभावित हुई है. निजी विद्यालय तो ऑनलाइन पढ़ाई के जरिये इस कमी को पूरा करने का प्रयास करते हैं लेकिन सरकारी विद्यालयों के बच्चों का काफी नुकसान हो रहा है. स्कूल बंद होने से उनकी स्कूल की पढ़ाई पूरी तरह से ठप हो गयी है.

Munger
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Published : Jan 15, 2022, 7:36 AM IST

Updated : Jan 15, 2022, 9:05 AM IST

मुंगेर: कोरोना की तीसरी लहर (third wave of corona) को देखते हुए सभी विद्यालय एक बार फिर से बंद हो गए हैं. सरकार द्वारा सभी विद्यालयों को ऑनलाइन पढ़ाई के विकल्प को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया गया है लेकिन इनमें ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा नगण्य है. निजी विद्यालय के संचालक तो ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा दे रहे हैं, लेकिन मुंगेर जिले में लगभग सभी सरकारी विद्यालयों (Munger government school) में पढ़ने वाले विद्यार्थी ऑनलाइन शिक्षा में पीछे छूट रहे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि सरकारी विद्यालय के बच्चे कैसे ऑनलाइन शिक्षा लेंगे व्यवस्था जब है ही नहीं.

ये भी पढ़ें: मुंगेर में हत्या का केस वापस नहीं लेने पर दंबगों ने की फायरिंग, दो घायल

जब व्यवस्था ही नहीं तो क्या करें
सरकारी विद्यालयों में ऑनलाइन पढ़ाई (online education in government schools) की व्यवस्था नहीं है. इस संबंध में मध्य विद्यालय बासुदेवपुर के शिक्षक प्रखर प्रकाश ने बताया कि सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों द्वारा ऑनलाइन पढ़ाने की व्यवस्था नहीं है. ना ही हम लोगों को इसके लिए प्रशिक्षण मिला है. हम लोग चाहते भी हैं कि विद्यालय आकर मोबाइल द्वारा बच्चों को ऑनलाइन पढ़ायें लेकिन व्यवस्था ही नहीं है. हम टाइम पास कर घर चले जाते हैं.

देखें विशेष रिपोर्ट

कोरोना की तीसरी लहर में बिहार सरकार ने सभी सरकारी एवं निजी विद्यालयों को बंद करने का निर्देश पहले ही दे दिया है. सरकारी विद्यालय के आधे शिक्षकों विद्यालय आने का निर्देश दिया गया है. विद्यालय बच्चों के लिए तो बंद है, लेकिन शिक्षक प्रतिदिन आ रहे हैं. ऐसे में शिक्षक विद्यालय में आकर कोई काम नहीं करते, बस ऐसे ही आपस में बातचीत कर टाइम पास करते हैं और समय होने पर घर चले जाते हैं. वहीं अगर इन शिक्षकों को मोबाइल से ऑनलाइन बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेवारी दी जाती तो शायद एक बेहतर विकल्प होता.

ये भी पढ़ें: राजकीय महिला डिग्री कॉलेज जमुई को मुंगेर विश्वविद्यालय के अंगीभूत इकाई के रूप में मिली मान्यता

इस संबंध में शिक्षिका आभा कुमारी की मानें तो हम लोग सरकार के निर्देश पर विद्यालय तो आ रहे हैं लेकिन टाइम पास कर घर चले जाते हैं. अगर हम लोगों को ट्रेनिंग मिलती यहां से बच्चों को मोबाइल से पढ़ाते. वहीं, शिक्षिका स्वर्ण लता भारती की मानें तो ऑनलाइन पढ़ाई से फायदे भी हैं. बच्चे पढ़ाई में नहीं पिछड़ेंगे. हम लोगों को विद्यालय बुलाने का निर्देश दिया है तो ऑनलाइन पढ़ाने का विकल्प भी देना चाहिए.

निजी विद्यालय में ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा है. शिक्षक अपने घर से या विद्यालय से ब्लैक बोर्ड के पास जाकर बच्चों को जूम ऐप के माध्यम से ऑनलाइन क्लास करवाते हैं. इससे बच्चों का सिलेबस पूरा हो जा रहा है और उनकी पढ़ाई भी नहीं छूट रही. इसके विपरीत सरकारी विद्यालयों में इस तरह की कोई सुविधा नहीं है. इस कारण सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है. इस संबंध में निजी विद्यालय की पढ़ने वाली छात्रा की अभिभावक स्वीटी कुमारी ने बताया कि मेरी बच्ची एक निजी स्कूल में पढ़ती है. प्रतिदिन ऑनलाइन क्लास होता है. बच्चे मोबाइल के माध्यम से बहुत कुछ सीख रहे हैं.

मोबाइल नहीं तो पढ़ेंगे कैसे?
ऑनलाइन शिक्षा में मोबाइल भी एक बड़ा कारण है. गरीब बच्चों के पास मोबाइल नहीं होना भी एक बड़ा कारण है. अभिभावक का मानना है कि सरकारी स्कूल में ई लॉर्ड्स से सब्जेक्ट डाउनलोड कर पढ़ाई की व्यवस्था दी गई है लेकिन हम लोगों के पास मोबाइल ही नहीं है. एंड्राइड मोबाइल महंगा है. सब लोग नहीं ले सकते. साथ ही डेटा रिचार्ज भी हर महीने कहां से कराएंगे? इस संबंध में अभिभावक दिनेश कुमार का मानना है कि एंड्राइड मोबाइल अगर हम ले भी लेते हैं तो दिन भर हम अपने काम से घर से बाहर रहते हैं. शाम में आकर मोबाइल बच्चों को देंगे तो वह कैसे पढ़ेंगे? यह एक बड़ा सवाल है?

बोले जिला शिक्षा पदाधिकारी
जिला शिक्षा पदाधिकारी दिनेश कुमार चौधरी ने कहा कि निजी विद्यालयों के तर्ज पर मुंगेर जिले में ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था नहीं है. वर्ग 1 से 8 तक के बच्चे को यह सुविधा नहीं मिली है. ई लॉर्ड्स एवं दूरदर्शन द्वारा इस की व्यवस्था है. ई लॉर्ड्स पर जाकर बच्चे अपने सब्जेक्ट को डाउनलोड कर पढ़ाई कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: मुंगेर में डरा रहा कोरोना का बढ़ता संक्रमण, 288 पॉजिटिव मिलने से हड़कंप

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मुंगेर: कोरोना की तीसरी लहर (third wave of corona) को देखते हुए सभी विद्यालय एक बार फिर से बंद हो गए हैं. सरकार द्वारा सभी विद्यालयों को ऑनलाइन पढ़ाई के विकल्प को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया गया है लेकिन इनमें ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा नगण्य है. निजी विद्यालय के संचालक तो ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा दे रहे हैं, लेकिन मुंगेर जिले में लगभग सभी सरकारी विद्यालयों (Munger government school) में पढ़ने वाले विद्यार्थी ऑनलाइन शिक्षा में पीछे छूट रहे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि सरकारी विद्यालय के बच्चे कैसे ऑनलाइन शिक्षा लेंगे व्यवस्था जब है ही नहीं.

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जब व्यवस्था ही नहीं तो क्या करें
सरकारी विद्यालयों में ऑनलाइन पढ़ाई (online education in government schools) की व्यवस्था नहीं है. इस संबंध में मध्य विद्यालय बासुदेवपुर के शिक्षक प्रखर प्रकाश ने बताया कि सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों द्वारा ऑनलाइन पढ़ाने की व्यवस्था नहीं है. ना ही हम लोगों को इसके लिए प्रशिक्षण मिला है. हम लोग चाहते भी हैं कि विद्यालय आकर मोबाइल द्वारा बच्चों को ऑनलाइन पढ़ायें लेकिन व्यवस्था ही नहीं है. हम टाइम पास कर घर चले जाते हैं.

देखें विशेष रिपोर्ट

कोरोना की तीसरी लहर में बिहार सरकार ने सभी सरकारी एवं निजी विद्यालयों को बंद करने का निर्देश पहले ही दे दिया है. सरकारी विद्यालय के आधे शिक्षकों विद्यालय आने का निर्देश दिया गया है. विद्यालय बच्चों के लिए तो बंद है, लेकिन शिक्षक प्रतिदिन आ रहे हैं. ऐसे में शिक्षक विद्यालय में आकर कोई काम नहीं करते, बस ऐसे ही आपस में बातचीत कर टाइम पास करते हैं और समय होने पर घर चले जाते हैं. वहीं अगर इन शिक्षकों को मोबाइल से ऑनलाइन बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेवारी दी जाती तो शायद एक बेहतर विकल्प होता.

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इस संबंध में शिक्षिका आभा कुमारी की मानें तो हम लोग सरकार के निर्देश पर विद्यालय तो आ रहे हैं लेकिन टाइम पास कर घर चले जाते हैं. अगर हम लोगों को ट्रेनिंग मिलती यहां से बच्चों को मोबाइल से पढ़ाते. वहीं, शिक्षिका स्वर्ण लता भारती की मानें तो ऑनलाइन पढ़ाई से फायदे भी हैं. बच्चे पढ़ाई में नहीं पिछड़ेंगे. हम लोगों को विद्यालय बुलाने का निर्देश दिया है तो ऑनलाइन पढ़ाने का विकल्प भी देना चाहिए.

निजी विद्यालय में ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा है. शिक्षक अपने घर से या विद्यालय से ब्लैक बोर्ड के पास जाकर बच्चों को जूम ऐप के माध्यम से ऑनलाइन क्लास करवाते हैं. इससे बच्चों का सिलेबस पूरा हो जा रहा है और उनकी पढ़ाई भी नहीं छूट रही. इसके विपरीत सरकारी विद्यालयों में इस तरह की कोई सुविधा नहीं है. इस कारण सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है. इस संबंध में निजी विद्यालय की पढ़ने वाली छात्रा की अभिभावक स्वीटी कुमारी ने बताया कि मेरी बच्ची एक निजी स्कूल में पढ़ती है. प्रतिदिन ऑनलाइन क्लास होता है. बच्चे मोबाइल के माध्यम से बहुत कुछ सीख रहे हैं.

मोबाइल नहीं तो पढ़ेंगे कैसे?
ऑनलाइन शिक्षा में मोबाइल भी एक बड़ा कारण है. गरीब बच्चों के पास मोबाइल नहीं होना भी एक बड़ा कारण है. अभिभावक का मानना है कि सरकारी स्कूल में ई लॉर्ड्स से सब्जेक्ट डाउनलोड कर पढ़ाई की व्यवस्था दी गई है लेकिन हम लोगों के पास मोबाइल ही नहीं है. एंड्राइड मोबाइल महंगा है. सब लोग नहीं ले सकते. साथ ही डेटा रिचार्ज भी हर महीने कहां से कराएंगे? इस संबंध में अभिभावक दिनेश कुमार का मानना है कि एंड्राइड मोबाइल अगर हम ले भी लेते हैं तो दिन भर हम अपने काम से घर से बाहर रहते हैं. शाम में आकर मोबाइल बच्चों को देंगे तो वह कैसे पढ़ेंगे? यह एक बड़ा सवाल है?

बोले जिला शिक्षा पदाधिकारी
जिला शिक्षा पदाधिकारी दिनेश कुमार चौधरी ने कहा कि निजी विद्यालयों के तर्ज पर मुंगेर जिले में ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था नहीं है. वर्ग 1 से 8 तक के बच्चे को यह सुविधा नहीं मिली है. ई लॉर्ड्स एवं दूरदर्शन द्वारा इस की व्यवस्था है. ई लॉर्ड्स पर जाकर बच्चे अपने सब्जेक्ट को डाउनलोड कर पढ़ाई कर सकते हैं.

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Last Updated : Jan 15, 2022, 9:05 AM IST
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