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मुंगेर DIG ने कहा- सिपाहियों को गोली चलाना तो दूर राइफल संभालना भी नहीं आता

5 अप्रैल को हजरत वली रहमानी के अंतिम संस्कार के समय सलामी देने के लिए मौजूद 10 में से चार जवान ही गोली चला पाए थे. इस मामले में जांच के बाद डीआईजी शफीउल हक ने 8 पुलिसकर्मियों को सजा दी है. 6 जवान जिनसे गोली नहीं चली उन्हें दो-दो सजा मिली. वहीं, दो पुलिसकर्मियों को एक-एक सजा मिली है.

Bihar Police personnel do not know how to shoot
गोली नहीं चला पाए थे जवान.
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Published : May 28, 2021, 7:15 PM IST

Updated : May 28, 2021, 7:52 PM IST

मुंगेर: बिहार पुलिस के सिपाहियों को जरूरत पड़ने पर गोली चलाना तो दूर राइफल कॉक करना भी नहीं आता. ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि बिहार पुलिस के डीआईजी का कहना है. बिहार में वली रहमानी के राजकीय सम्मान ( Vali Rahmani State Honors ) के साथ हो रहे अंतिम संस्कार में सिपाहियों की राइफल से गोली ही नहीं चली. डीआईजी ने मामले की जांच की. जांच के बाद दी गई रिपोर्ट में बिहार पुलिस के बारे में ऐसी ही टिप्पणी की गई है. डीआईजी ने इस मामले में 8 पुलिसकर्मियों को दोषी पाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की है.

यह भी पढ़ें- राजकीय सम्मान के साथ वली रहमानी सुपुर्द-ए-खाक, 10 में से 4 राइफलों से ही दी गई सलामी

मामला हजरत वली रहमानी से जुड़ा है. 5 अप्रैल को उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ हुआ था. इस दौरान सलामी देने के लिए पुलिस के जवानों ने हवा में गोली चलाने की कोशिश की थी, लेकिन गोली नहीं चली थी. इसके चलते पुलिस विभाग की काफी फजीहत हुई थी. इस मामले के जिम्मेदारों पर मुंगेर के डीआईजी शफीउल हक ने आठ दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की है.

देखें वीडियो

सिपाहियों को नहीं आता था गोली चलाना
ईटीवी भारत के संवाददाता से बातचीत में डीआईजी ने कहा "अंतिम संस्कार के वक्त सलामी देने के लिए खड़े सिपाहियों को देखकर साफ पता चल रहा था कि उन्हें गोली चलाना नहीं आता. वे राइफल में गोली तक नहीं भर पा रहे थे. उनके हाथ से गोली जमीन पर गिर रही थी. इन सिपाहियों ने सरकारी कार्यक्रम को हल्के में लिया, लेकिन मैं ऐसे मामले को हल्के में नहीं लेता."

10 में से 4 जवान की चला पाए थे गोली
डीआईजी ने कहा "पांच गोली से सलामी देनी थी. इसके लिए ब्लैंक कार्ट्रेज (खाली गोली) का इस्तेमाल किया जाता है. इसे चलाने पर सिर्फ आवाज निकलती है. गोली नहीं चलती. बाकी सबकुछ असली गोली जैसा होता है. सलामी देने के लिए पांच जवान को आगे खड़ा किया गया था. ऐसे मौके पर कई बार गोली नहीं चलती. इसके लिए पांच जवान को रिजर्व में पीछे खड़ा किया गया था. आगे खड़े पांच में से एक जवान ही गोली चला पाया. चार गोली नहीं चला पाए. इसके बाद पीछे खड़े जवानों से गोली चलवाई गई. इनमें से भी दो गोली नहीं चला पाए."

DIG Shafiul Haq
डीआईजी शफीउल हक.

"सभी दोषियों को निंदन की सजा दी गई है. जिन छह जवानों से गोली नहीं चली उन्हें दो-दो सजा दी गई है. वहीं, जवानों का चुनाव करने वाले पुलिस अधिकारी को एक और जवानों को हथियार देने वाले पुलिसकर्मी को एक सजा दी गई."- शफीउल हक, डीआईजी, मुंगेर

यह है मामला
हजरत वली रहमानी के निधन पर सरकार के निर्देश पर राजकीय सम्मान समारोह के तहत उन्हें सलामी दिया जा रहा था. 10 में से 6 जवान गोली नहीं चला पाए. मैगजीन में गोली फंसने के बाद जवान उसे सही से नहीं निकाल पाए थे. एसएलआर से मैगजीन निकालने और वोल्ट चढ़ाने में जवानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. यह सीधे पुलिस कर्मियों की ट्रेनिंग पर सवाल खड़ा कर रहा था. दोषी पुलिसकर्मियों को निंदन (प्रतिकूल प्रविष्टि) की सजा मिली है. यह उनके सीआर में दर्ज होगी. इस सजा का निगेटिव असर पुलिसकर्मियों के प्रमोशन पर होता है.

इन्हें मिली सजा

  • रामलाल यादव, इंस्पेक्टर
  • अशोक बैठा, सार्जेंट मेजर
  • धनेश्वर चौधरी, हवलदार
  • मुकेश कुमार, सिपाही
  • मुनेश्वर कुमार, सिपाही
  • सुमन कुमार, सिपाही
  • रंजन कुमार, सिपाही
  • गौरी शंकर गुप्ता, सिपाही
    Bihar Police personnel do not know how to shoot
    गोली चलाने के लिए जद्दोजहद करते जवान.

जगन्नाथ मिश्रा के अंतिम संस्कार के समय भी नहीं चली थी गोली
दरअसल बिहार में राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार के वक्त पुलिस की राइफल फेल होने का मामला पहला नहीं है. 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्रा के अंतिम संस्कार के समय भी पुलिस की राइफल से फायर नहीं हुआ था. इससे बिहार पुलिस की फजीहत हुई थी.

यह भी पढ़ें- पूर्णियाः 'मुर्गी' का पीछा करते हुए दूसरे जिले में घुसी पुलिस, फिर देखें क्या हुआ...

मुंगेर: बिहार पुलिस के सिपाहियों को जरूरत पड़ने पर गोली चलाना तो दूर राइफल कॉक करना भी नहीं आता. ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि बिहार पुलिस के डीआईजी का कहना है. बिहार में वली रहमानी के राजकीय सम्मान ( Vali Rahmani State Honors ) के साथ हो रहे अंतिम संस्कार में सिपाहियों की राइफल से गोली ही नहीं चली. डीआईजी ने मामले की जांच की. जांच के बाद दी गई रिपोर्ट में बिहार पुलिस के बारे में ऐसी ही टिप्पणी की गई है. डीआईजी ने इस मामले में 8 पुलिसकर्मियों को दोषी पाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की है.

यह भी पढ़ें- राजकीय सम्मान के साथ वली रहमानी सुपुर्द-ए-खाक, 10 में से 4 राइफलों से ही दी गई सलामी

मामला हजरत वली रहमानी से जुड़ा है. 5 अप्रैल को उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ हुआ था. इस दौरान सलामी देने के लिए पुलिस के जवानों ने हवा में गोली चलाने की कोशिश की थी, लेकिन गोली नहीं चली थी. इसके चलते पुलिस विभाग की काफी फजीहत हुई थी. इस मामले के जिम्मेदारों पर मुंगेर के डीआईजी शफीउल हक ने आठ दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की है.

देखें वीडियो

सिपाहियों को नहीं आता था गोली चलाना
ईटीवी भारत के संवाददाता से बातचीत में डीआईजी ने कहा "अंतिम संस्कार के वक्त सलामी देने के लिए खड़े सिपाहियों को देखकर साफ पता चल रहा था कि उन्हें गोली चलाना नहीं आता. वे राइफल में गोली तक नहीं भर पा रहे थे. उनके हाथ से गोली जमीन पर गिर रही थी. इन सिपाहियों ने सरकारी कार्यक्रम को हल्के में लिया, लेकिन मैं ऐसे मामले को हल्के में नहीं लेता."

10 में से 4 जवान की चला पाए थे गोली
डीआईजी ने कहा "पांच गोली से सलामी देनी थी. इसके लिए ब्लैंक कार्ट्रेज (खाली गोली) का इस्तेमाल किया जाता है. इसे चलाने पर सिर्फ आवाज निकलती है. गोली नहीं चलती. बाकी सबकुछ असली गोली जैसा होता है. सलामी देने के लिए पांच जवान को आगे खड़ा किया गया था. ऐसे मौके पर कई बार गोली नहीं चलती. इसके लिए पांच जवान को रिजर्व में पीछे खड़ा किया गया था. आगे खड़े पांच में से एक जवान ही गोली चला पाया. चार गोली नहीं चला पाए. इसके बाद पीछे खड़े जवानों से गोली चलवाई गई. इनमें से भी दो गोली नहीं चला पाए."

DIG Shafiul Haq
डीआईजी शफीउल हक.

"सभी दोषियों को निंदन की सजा दी गई है. जिन छह जवानों से गोली नहीं चली उन्हें दो-दो सजा दी गई है. वहीं, जवानों का चुनाव करने वाले पुलिस अधिकारी को एक और जवानों को हथियार देने वाले पुलिसकर्मी को एक सजा दी गई."- शफीउल हक, डीआईजी, मुंगेर

यह है मामला
हजरत वली रहमानी के निधन पर सरकार के निर्देश पर राजकीय सम्मान समारोह के तहत उन्हें सलामी दिया जा रहा था. 10 में से 6 जवान गोली नहीं चला पाए. मैगजीन में गोली फंसने के बाद जवान उसे सही से नहीं निकाल पाए थे. एसएलआर से मैगजीन निकालने और वोल्ट चढ़ाने में जवानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. यह सीधे पुलिस कर्मियों की ट्रेनिंग पर सवाल खड़ा कर रहा था. दोषी पुलिसकर्मियों को निंदन (प्रतिकूल प्रविष्टि) की सजा मिली है. यह उनके सीआर में दर्ज होगी. इस सजा का निगेटिव असर पुलिसकर्मियों के प्रमोशन पर होता है.

इन्हें मिली सजा

  • रामलाल यादव, इंस्पेक्टर
  • अशोक बैठा, सार्जेंट मेजर
  • धनेश्वर चौधरी, हवलदार
  • मुकेश कुमार, सिपाही
  • मुनेश्वर कुमार, सिपाही
  • सुमन कुमार, सिपाही
  • रंजन कुमार, सिपाही
  • गौरी शंकर गुप्ता, सिपाही
    Bihar Police personnel do not know how to shoot
    गोली चलाने के लिए जद्दोजहद करते जवान.

जगन्नाथ मिश्रा के अंतिम संस्कार के समय भी नहीं चली थी गोली
दरअसल बिहार में राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार के वक्त पुलिस की राइफल फेल होने का मामला पहला नहीं है. 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्रा के अंतिम संस्कार के समय भी पुलिस की राइफल से फायर नहीं हुआ था. इससे बिहार पुलिस की फजीहत हुई थी.

यह भी पढ़ें- पूर्णियाः 'मुर्गी' का पीछा करते हुए दूसरे जिले में घुसी पुलिस, फिर देखें क्या हुआ...

Last Updated : May 28, 2021, 7:52 PM IST
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