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इंसानियत की मिसाल! जिन्हें कोई नहीं पूछता, उन बेजुबानों को रोज खाना खिलाते हैं दीप नारायण शर्मा - Businessmen roaming around to feed stray animals

व्यवसायी दीप नारायण शर्मा ने कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान सड़कों पर घूमने वाले आवारा पशुओं की मदद शुरू की थी, तब वे पिछले डेढ़ साल से लगातार उनकी सेवा में लगे हैं. सुबह-शाम उन्हें खाना खिलाते हैं. घायल होने पर मरहम पट्टी भी करते हैं.

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Published : Aug 14, 2021, 9:30 PM IST

मुंगेर: अपने पालतु पशुओं को तो आमतौर पर सभी खाना खिलाते हैं लेकिन बहुत कम लोग होते हैं, जो आवारा पशुओं को भी हर रोज भोजन मुहैया कराते हैं. ऐसे ही शख्स हैं दीप नारायण शर्मा. जो रोजाना 3 से 4 घंटे पशुओं की सेवा में लगाते हैं. शहर में घूम-घूमकर वे उन्हें खाना खिलाते हैं.

ये भी पढ़ें: बांका: इंसान के साथ बेजुबानों पर भी कोरोना की मार, नहीं मिल पा रहा भर पेट खाना

मुंगेर के कोतवाली थाना क्षेत्र के गांधी चौक के रहने वाले हार्डवेयर व्यवसायी दीप नारायण शर्मा पशुओं से बहुत प्रेम करते हैं. वे सुबह-शाम प्रतिदिन 3 से 4 घंटे पशुओं की सेवा में लगा देते हैं. वे सुबह सड़क पर घूमकर आवारा कुत्तों को खाना खिलाते हैं.

देखें रिपोर्ट

वहीं, देर शाम सड़क पर गाय-बाछी और बछड़ों को चारा देते हैं. उन्हें ढूंढ-ढूंढकर हरी सब्जियां खिलाते हैं. इनका यह कार्य पूरे जिले के लिए प्रेरणा बना हुआ है. वे जिधर भी जाते हैं, उनके पीछे जानवर भी खड़े हो जाते हैं.

दीप नारायण कहते हैं कि सुबह में नित्य क्रिया-कर्म से निवृत्त होने के बाद वे गेहूं के आटा से लगभग 50 से 60 रोटी अपनी पत्नी के साथ मिलकर बनाते हैं. उन रोटियों को पैककर अपनी स्कूटी पर बैठकर नगर भ्रमण करते हुए किला परिसर स्थित अंबेडकर भवन, किला परिसर चौक, भगत सिंह चौक, गांधी चौक पर रुक-रुक कर कुत्तों को खाना खिलाते हैं.

अब तो जानवर भी इन्हें पहचानने लगे हैं. जिस चौक पर जाते हैं, वहां आधा दर्जन से अधिक जानवर तुरंत इनके पीछे-पीछे भागते हुए खड़े हो जाते हैं. वे इत्मीनान से रोटी निकालकर उनके टुकड़े कर एक-एक जानवर को खिला कर आगे बढ़ जाते हैं.

वहीं, सोने से पहले भी दीप नारायण इन पशुओं को खाना खिलाते हैं. जिसमें प्रमुखता बछड़ों को देते हैं. बछड़ों को खाना देने के पीछे उनका तर्क है कि गाय-बाछी को दूध के लिए तो सभी लोग भोजन देते हैं, लेकिन बछड़ों को यानी बैल की अब उपयोगिता ट्रैक्टर आने के बाद बंद हो गई है. इसलिए पशुपालक भी बछड़ा होने के बाद गाय को दुहने तक के लिए ही उसे को रखते हैं. उसके बाद सड़क पर आवारा छोड़ देते हैं.

रात में घूम-घूम कर वे बाटा चौक, दीनदयाल चौक और हमीद चौक सहित लगभग 3 किलोमीटर शहर के प्रमुख मार्ग पर अलग-अलग स्थानों पर रुक-रुक कर बछड़ों को हरी सब्जी खाने में उन्हें खिलाते हैं.

ये भी पढ़ें: कोरोना संकट में इस अफसर का पशुओं के प्रति दिखा प्रेम, आवारा जानवरों को करा रहें है भोजन

इस संबंध में उन्होंने कहा कि शाम में सब्जी विक्रेताओं की जो सब्जी नहीं बिकती है, उन्हें वह कम कीमत में भारी मात्रा में खरीद लेते हैं. इन्हें घर ले जाकर धोकर काट कर इन्हें बाल्टी में अलग-अलग रखकर सड़क पर निकल पड़ते हैं. रात 9:00 बजे से लेकर 11:00 बजे तक सभी पशुओं को भोजन कराते हैं.

स्थानीय लोग उन्हें आवारा पशुओं का 'भगवान' मानते हैं. दीप नारायण कहते हैं लॉकडाउन में जब जिंदगी थम गई थी तो आवारा पशुओं को बहुत परेशानी होती थी. उसी समय उन्हें खाना खिलाने की यह प्रेरणा मिली और तब से यह कार्य निरंतर जारी रखे हुए हैं. खाना खिलाने के अलावे दीप नारायण घायल पशुओं को मरहम पट्टी भी कराते हैं. जरूरत पड़ने पर पशुओं को अस्पताल ले जाकर भी इलाज करवाते हैं.

मुंगेर: अपने पालतु पशुओं को तो आमतौर पर सभी खाना खिलाते हैं लेकिन बहुत कम लोग होते हैं, जो आवारा पशुओं को भी हर रोज भोजन मुहैया कराते हैं. ऐसे ही शख्स हैं दीप नारायण शर्मा. जो रोजाना 3 से 4 घंटे पशुओं की सेवा में लगाते हैं. शहर में घूम-घूमकर वे उन्हें खाना खिलाते हैं.

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मुंगेर के कोतवाली थाना क्षेत्र के गांधी चौक के रहने वाले हार्डवेयर व्यवसायी दीप नारायण शर्मा पशुओं से बहुत प्रेम करते हैं. वे सुबह-शाम प्रतिदिन 3 से 4 घंटे पशुओं की सेवा में लगा देते हैं. वे सुबह सड़क पर घूमकर आवारा कुत्तों को खाना खिलाते हैं.

देखें रिपोर्ट

वहीं, देर शाम सड़क पर गाय-बाछी और बछड़ों को चारा देते हैं. उन्हें ढूंढ-ढूंढकर हरी सब्जियां खिलाते हैं. इनका यह कार्य पूरे जिले के लिए प्रेरणा बना हुआ है. वे जिधर भी जाते हैं, उनके पीछे जानवर भी खड़े हो जाते हैं.

दीप नारायण कहते हैं कि सुबह में नित्य क्रिया-कर्म से निवृत्त होने के बाद वे गेहूं के आटा से लगभग 50 से 60 रोटी अपनी पत्नी के साथ मिलकर बनाते हैं. उन रोटियों को पैककर अपनी स्कूटी पर बैठकर नगर भ्रमण करते हुए किला परिसर स्थित अंबेडकर भवन, किला परिसर चौक, भगत सिंह चौक, गांधी चौक पर रुक-रुक कर कुत्तों को खाना खिलाते हैं.

अब तो जानवर भी इन्हें पहचानने लगे हैं. जिस चौक पर जाते हैं, वहां आधा दर्जन से अधिक जानवर तुरंत इनके पीछे-पीछे भागते हुए खड़े हो जाते हैं. वे इत्मीनान से रोटी निकालकर उनके टुकड़े कर एक-एक जानवर को खिला कर आगे बढ़ जाते हैं.

वहीं, सोने से पहले भी दीप नारायण इन पशुओं को खाना खिलाते हैं. जिसमें प्रमुखता बछड़ों को देते हैं. बछड़ों को खाना देने के पीछे उनका तर्क है कि गाय-बाछी को दूध के लिए तो सभी लोग भोजन देते हैं, लेकिन बछड़ों को यानी बैल की अब उपयोगिता ट्रैक्टर आने के बाद बंद हो गई है. इसलिए पशुपालक भी बछड़ा होने के बाद गाय को दुहने तक के लिए ही उसे को रखते हैं. उसके बाद सड़क पर आवारा छोड़ देते हैं.

रात में घूम-घूम कर वे बाटा चौक, दीनदयाल चौक और हमीद चौक सहित लगभग 3 किलोमीटर शहर के प्रमुख मार्ग पर अलग-अलग स्थानों पर रुक-रुक कर बछड़ों को हरी सब्जी खाने में उन्हें खिलाते हैं.

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इस संबंध में उन्होंने कहा कि शाम में सब्जी विक्रेताओं की जो सब्जी नहीं बिकती है, उन्हें वह कम कीमत में भारी मात्रा में खरीद लेते हैं. इन्हें घर ले जाकर धोकर काट कर इन्हें बाल्टी में अलग-अलग रखकर सड़क पर निकल पड़ते हैं. रात 9:00 बजे से लेकर 11:00 बजे तक सभी पशुओं को भोजन कराते हैं.

स्थानीय लोग उन्हें आवारा पशुओं का 'भगवान' मानते हैं. दीप नारायण कहते हैं लॉकडाउन में जब जिंदगी थम गई थी तो आवारा पशुओं को बहुत परेशानी होती थी. उसी समय उन्हें खाना खिलाने की यह प्रेरणा मिली और तब से यह कार्य निरंतर जारी रखे हुए हैं. खाना खिलाने के अलावे दीप नारायण घायल पशुओं को मरहम पट्टी भी कराते हैं. जरूरत पड़ने पर पशुओं को अस्पताल ले जाकर भी इलाज करवाते हैं.

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