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चुनाव में प्रचार का बदल रहा है तरीका, वर्चुअल रैली के माध्यम से जुड़ रहें नेता

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Published : Jul 1, 2020, 5:03 PM IST

कोरोना संक्रमण के बीच बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर माह में संभावित है. इस चुनाव में राजनीतिक पार्टियां वर्चुअल रैली के माध्यम से जनता के बीच प्रचार-प्रसार कर रही हैं. इससे सोशल डिस्टेंस और संक्रमण का खतरा भी कम रहता है.

बिहार
बिहार

मुंगेर: कोरोना संक्रमण के बीच होने वाले विधानसभा चुनाव में बहुत कुछ बदला-बदला सा नजर आएगा. इस बार भोपू गायब रहेंगे, तो वहीं, बड़ी-बड़ी रैलियां और लोगों की भीड़ भी देखने को नहीं मिलेगी. बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर माह में संभावित है. कोरोना संक्रमण के बीच होने वाले इस चुनाव में राजनीतिक पार्टियां वर्चुअल रैली के माध्यम से जनता के बीच प्रचार-प्रसार कर रही है. इससे सोशल डिस्टेंस और संक्रमण का खतरा भी कम रहता है. वर्चुअल रैली सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डिजिटल माध्यम से आयोजित की जा रही है.

डिजिटल रैली का सहारा ले रही बीजेपी
बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्चुअल रैली के माध्यम से इसकी शुरुआत बिहार से की है. इसके बाद लगातार बीजेपी डिजिटल रैली का सहारा ले रही है. बीजेपी सभी विधानसभा क्षेत्र में बिहार जन संवाद कार्यक्रम को लेकर कार्यकर्ता सम्मेलन वर्चुअल रैली के माध्यम से आरंभ कर दी है. वहीं, अन्य पार्टियां भी वर्चुअल रैली के माध्यम से ही अपने कार्यकर्ताओं और आम लोगों के बीच संपर्क स्थापित कर रही हैं.

munger
वर्चुअल रैली में मौजूद लोग

सोशल मीडिया प्लेटफार्म से कनेक्ट होंगे नेता
बीजेपी जिलाध्यक्ष राजेश जैन ने कहा कि विधानसभा चुनाव में कोविड-19 को लेकर बड़ी रैलियां आयोजित नहीं हो पाएंगी. जनता के बीच एंड्राइड मोबाइल और अन्य डिजिटल डिवाइस के माध्यम से प्रचार-प्रसार होगा. डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जूम एप, टि्वटर, फेसबुक, यू ट्यूब, इंस्टाग्राम, हैंग आउट जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म है. जिससे कहीं से भी लोग एक दूसरे से कनेक्ट हो जाते हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

वर्चुअल रैली होती है असरदार
राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य प्रणव यादव ने बताया कि कार्यकर्ता सम्मेलन हो या जनता के बीच जनसंवाद, अब पहले की तरह लोगों की भीड़ इकट्ठी नहीं करना है. इससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. खुले में रैलियों के अनुपात में वर्चुअल रैली भी असरदार होती है. आज हर युवाओं के हाथों में एंड्रॉयड मोबाइल है, जिससे सीधे लोग जुड़ सकते हैं. वहीं, किसान मोर्चा के सदस्य संजीव मंडल ने बताया कि बड़े रैलियां के वनस्पत वर्चुअल रैली का बजट कम होता है. लोगों को गाड़ियों में भर-भर कर सभा स्थल पर लाने की झंझट से मुक्ति मिलती है. टेंट पंडाल नहीं लगाना होता है. बस एक क्लिक करिए आप के नेता मोबाइल पर होंगे.

मुंगेर: कोरोना संक्रमण के बीच होने वाले विधानसभा चुनाव में बहुत कुछ बदला-बदला सा नजर आएगा. इस बार भोपू गायब रहेंगे, तो वहीं, बड़ी-बड़ी रैलियां और लोगों की भीड़ भी देखने को नहीं मिलेगी. बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर माह में संभावित है. कोरोना संक्रमण के बीच होने वाले इस चुनाव में राजनीतिक पार्टियां वर्चुअल रैली के माध्यम से जनता के बीच प्रचार-प्रसार कर रही है. इससे सोशल डिस्टेंस और संक्रमण का खतरा भी कम रहता है. वर्चुअल रैली सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डिजिटल माध्यम से आयोजित की जा रही है.

डिजिटल रैली का सहारा ले रही बीजेपी
बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्चुअल रैली के माध्यम से इसकी शुरुआत बिहार से की है. इसके बाद लगातार बीजेपी डिजिटल रैली का सहारा ले रही है. बीजेपी सभी विधानसभा क्षेत्र में बिहार जन संवाद कार्यक्रम को लेकर कार्यकर्ता सम्मेलन वर्चुअल रैली के माध्यम से आरंभ कर दी है. वहीं, अन्य पार्टियां भी वर्चुअल रैली के माध्यम से ही अपने कार्यकर्ताओं और आम लोगों के बीच संपर्क स्थापित कर रही हैं.

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वर्चुअल रैली में मौजूद लोग

सोशल मीडिया प्लेटफार्म से कनेक्ट होंगे नेता
बीजेपी जिलाध्यक्ष राजेश जैन ने कहा कि विधानसभा चुनाव में कोविड-19 को लेकर बड़ी रैलियां आयोजित नहीं हो पाएंगी. जनता के बीच एंड्राइड मोबाइल और अन्य डिजिटल डिवाइस के माध्यम से प्रचार-प्रसार होगा. डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जूम एप, टि्वटर, फेसबुक, यू ट्यूब, इंस्टाग्राम, हैंग आउट जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म है. जिससे कहीं से भी लोग एक दूसरे से कनेक्ट हो जाते हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

वर्चुअल रैली होती है असरदार
राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य प्रणव यादव ने बताया कि कार्यकर्ता सम्मेलन हो या जनता के बीच जनसंवाद, अब पहले की तरह लोगों की भीड़ इकट्ठी नहीं करना है. इससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. खुले में रैलियों के अनुपात में वर्चुअल रैली भी असरदार होती है. आज हर युवाओं के हाथों में एंड्रॉयड मोबाइल है, जिससे सीधे लोग जुड़ सकते हैं. वहीं, किसान मोर्चा के सदस्य संजीव मंडल ने बताया कि बड़े रैलियां के वनस्पत वर्चुअल रैली का बजट कम होता है. लोगों को गाड़ियों में भर-भर कर सभा स्थल पर लाने की झंझट से मुक्ति मिलती है. टेंट पंडाल नहीं लगाना होता है. बस एक क्लिक करिए आप के नेता मोबाइल पर होंगे.

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