मुंगेर: मुंगेर लगभग 50 से 55 किलोमीटर दूर मुंगेर असरगंज प्रखण्ड के सजुवा पंचायत के सती गांव में लोग रंगों से दूर रहते हें. इस गांव के सभी लोग 200 सालों से होली नहीं खेलते हैं.
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सती गांव के लोग नहीं खेलते होली
बुजुर्गों की माने तो 200 साल पहले इस गांव मे ही अपने पति के साथ सती चिता पर जली थी. और वह दिन होली का था. तभी से इस गांव का नाम सती स्थान रखा गया है. सती गांव में लगभग 1500 सौ से अधिक लोग हैं. विभिन्न समुदाय के इन लोगों ने आज तक होली नहीं खेली है.
होली न खेलने के पीछे की कहानी
होली ना खेलने के पीछे और भी कई कहानियां प्रचलित है. कहा जाता है करीब 200 साल पहले होली के दिन इस गांव में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. पति की मौत से आहत पत्नी अपने पति के साथ जलकर भस्म होना चाहती थी. गांव वाले इससे परेशान हो गए.और उन्होंने पत्नी को घर में बंद कर दिया. जब लोग अर्थी उठाकर जाने की तैयारी करते हैं तो जितनी बार अर्थी उठती है, उतनी बार लाश नीचे गिर जाती है. यह देख लोग परेशान हो गए. और फिर घर का दरवाजा खोल दिया. उसके बाद पत्नी बाहर निकलकर कहती है "जिएं है तो साथ... जलेंगे भी तो साथ" तभी पत्नी की छोटी उंगली से आग निकलती है. और दोनों इस आग में स्वाहा हो जाते हैं. कई कहानियों में से इस कहानी को मानने वाले लोग इस गांव में ज्यादा है.
'जमीन के अन्दर से पति-पत्नी का मूर्ति निकली थी. तभी से इस गांव का नाम सति स्थान रख दिया गया. और हमलोग होली भी नहीं मनाते.'-बिंदेश्वरी सिंह, सती स्थान गांव के निवासी
वर्षों बाद निकली पति पत्नी की मूर्ति
इसे महज संयोग भी लोग मान लेते लेकिन कुछ वर्षों बाद ही जिस जगह दोनों की चिता जली थी. उस जगह खेती के क्रम में खुदाई करने पर जमीन के अन्दर से पति पत्नी की मूर्ति निकली. ग्रामीणों ने इसे देख सती मंदिर का निर्माण कर दिया. होली के दिन ही पति-पत्नी का जलना और होली के दिन ही यह मूर्ति निकलेने के कारण होली मनाने से यहां के लोग परहेज करते हैं.
'बड़े बुजुर्ग बोलते हैं कि फागुन में पुआ मत बनाना. जो बनाया उसके घर में अनहोनी हुई.'- कपिलदेव सिंह, सती स्थान गांव के निवासी
होली खेलने पर अनहोनी
अगर कोई ग्रामीण होली खेलता है और अपने घर मे होली के दिन पुआ, पूड़ी बनाता है तो घरवालों को कोई न कोई संकट का सामना करना पड़ता है. या फिर उस घर मे किसी कारणवश आग लग जाती है. यह सब देख कर ग्रामीणों ने होली का त्योहार मानना बन्द कर दिया और गांव का नाम भी सती रख दिया गया.
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