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मधुबनी: कचरे से कमाई योजना की शुरुआत, वेस्ट से बनेगा खाद और सीएनजी

डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने मधुबनी के सुखेत गांव में कचरे से कमाई योजना की शुरूआत की है. कचरे से कमाई योजना के अंतर्गत कचरे के बदले गैस देने की योजना का विधिवत शुभारंभ किया गया है.

Waste earning scheme in madhubani
Waste earning scheme in madhubani
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Published : Feb 4, 2021, 6:56 PM IST

Updated : Feb 4, 2021, 7:05 PM IST

मधुबनी: सुखेत गांव में कचरे से कमाई योजना के अंतर्गत कचरे के बदले गैस देने की योजना की शुरुआत की गई है. डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने इस योजना की शुरुआत की. उन्होंने इस कार्यक्रम की शुरुआत फीता काटकर किया.

Waste earning scheme in madhubani
कचरे से कमाई योजना की शुरुआत

कचरे से कमाई योजना
मिथिला रीति रिवाज के अनुसार कुलपति को पाग, दुपट्टा ,मखाना माला से सम्मानित किया गया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया इस योजना को शुरू करना उनके सपने के सच होने जैसा है. इस योजना से ना सिर्फ गांव में सफाई रहेगी बल्कि पूरे गांव की खाद की जरूरत भी पूरी हो जाएगी.

देखें ये रिपोर्ट

यह भी पढ़ें- अरुणाचल में अगवा हुए बिहार के युवक को बरामद कराए सरकार: RJD

रोजगार के अवसर
इस योजना से गांव में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. गांव में हर परिवार को गीला एवं सूखा कचरा अलग अलग रखने के लिए हरा और नारंगी रंग का डस्टबिन दिया जा रहा है. विश्वविद्यालय की ओर से घर-घर जाकर कचरे का उठाव किया जाएगा और उसे वर्मी कंपोस्ट बनाकर बिक्री की जाएगी. गांव के कचरे के बदले 2 महीने में एक एलपीजी सिलेंडर दिया जाएगा.

मधुबनी: सुखेत गांव में कचरे से कमाई योजना के अंतर्गत कचरे के बदले गैस देने की योजना की शुरुआत की गई है. डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने इस योजना की शुरुआत की. उन्होंने इस कार्यक्रम की शुरुआत फीता काटकर किया.

Waste earning scheme in madhubani
कचरे से कमाई योजना की शुरुआत

कचरे से कमाई योजना
मिथिला रीति रिवाज के अनुसार कुलपति को पाग, दुपट्टा ,मखाना माला से सम्मानित किया गया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया इस योजना को शुरू करना उनके सपने के सच होने जैसा है. इस योजना से ना सिर्फ गांव में सफाई रहेगी बल्कि पूरे गांव की खाद की जरूरत भी पूरी हो जाएगी.

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रोजगार के अवसर
इस योजना से गांव में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. गांव में हर परिवार को गीला एवं सूखा कचरा अलग अलग रखने के लिए हरा और नारंगी रंग का डस्टबिन दिया जा रहा है. विश्वविद्यालय की ओर से घर-घर जाकर कचरे का उठाव किया जाएगा और उसे वर्मी कंपोस्ट बनाकर बिक्री की जाएगी. गांव के कचरे के बदले 2 महीने में एक एलपीजी सिलेंडर दिया जाएगा.

Last Updated : Feb 4, 2021, 7:05 PM IST
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