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मधुबनी के इस गांव में सभी योजनाओं पर लगा है 'बट्टा', मंत्रियों को जरूर करना चाहिए दौरा - डिजिटल इंडिया

डिजिटल इंडिया के समय में भी बिहार के मधुबनी गांव के महादलित बस्ती का नही हुआ विकास.यहां के लोग आज भी विकास की राह देख रहे है.

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Published : Aug 23, 2019, 11:59 PM IST

मधुबनीः डिजिटल इंडिया के समय में भी मधुबनी के महादलित गांव के लोग आज भी विकास की राह देख रहे हैं. इस बस्ती में एक भी शौचालय नहीं है. लोग आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. यहां के लोगों को किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ नही मिलता है. चाहे वह इंदिरा आवास योजना हो, उज्जवला योजना हो या आयुष्मान योजना.

madhubani village
सूखा पड़ा चापा कल

मधुबनी गांव के लोग खुले में शौच जाने को मजबूर
एक तरफ हम डिजिटल इंडिया की बात कर रहे हैं, लेकिन बदलते भारत में बिहार की एक तस्वीर यह भी है कि यहां एक भी शौचालय नहीं है. यहां आज भी महिलाएं और पुरूष खुले आसमान में शौच जाने को मजबूर है. यहां सौ घर महादलितों की बसती है. इस गांव में विकास के नाम पर केवल बिजली ही दिखती है.

डिजिटल इंडिया के युग में भी नही हो रहा दलितों का विकास

सरकारी योजनाओं का नही मिलता इन्हे लाभ
यहां बच्चों के पढ़ने के लिए ना तो विद्यालय है और ना ही ग्रामीणों को किसी भी सरकारी योजनाओं के सही से लाभ मिला है. इंदिरा आवास योजना, उज्जवला योजना, आयुष्मान योजना जैसी बाकी सारी सरकारी योजनाओं का लाभ इनको नहीं मिलता.

Mahadalit Basti of Madhubani Village
महादलित बस्ती की पगडंडी

एसडीएम ने कहा महादलितों का किया जाएगा विकास
एसडीएम अंशुल अग्रवाल ने बताया कि महादलितों के विकास के लिए काफी योजनाएं हैं. प्रखंड विकास पदाधिकारी की देखरेख में योजनाओं का क्रियान्वयन होता रहता है और हर प्रकार से इन लोगों का विकास किया जाएगा.



मधुबनीः डिजिटल इंडिया के समय में भी मधुबनी के महादलित गांव के लोग आज भी विकास की राह देख रहे हैं. इस बस्ती में एक भी शौचालय नहीं है. लोग आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. यहां के लोगों को किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ नही मिलता है. चाहे वह इंदिरा आवास योजना हो, उज्जवला योजना हो या आयुष्मान योजना.

madhubani village
सूखा पड़ा चापा कल

मधुबनी गांव के लोग खुले में शौच जाने को मजबूर
एक तरफ हम डिजिटल इंडिया की बात कर रहे हैं, लेकिन बदलते भारत में बिहार की एक तस्वीर यह भी है कि यहां एक भी शौचालय नहीं है. यहां आज भी महिलाएं और पुरूष खुले आसमान में शौच जाने को मजबूर है. यहां सौ घर महादलितों की बसती है. इस गांव में विकास के नाम पर केवल बिजली ही दिखती है.

डिजिटल इंडिया के युग में भी नही हो रहा दलितों का विकास

सरकारी योजनाओं का नही मिलता इन्हे लाभ
यहां बच्चों के पढ़ने के लिए ना तो विद्यालय है और ना ही ग्रामीणों को किसी भी सरकारी योजनाओं के सही से लाभ मिला है. इंदिरा आवास योजना, उज्जवला योजना, आयुष्मान योजना जैसी बाकी सारी सरकारी योजनाओं का लाभ इनको नहीं मिलता.

Mahadalit Basti of Madhubani Village
महादलित बस्ती की पगडंडी

एसडीएम ने कहा महादलितों का किया जाएगा विकास
एसडीएम अंशुल अग्रवाल ने बताया कि महादलितों के विकास के लिए काफी योजनाएं हैं. प्रखंड विकास पदाधिकारी की देखरेख में योजनाओं का क्रियान्वयन होता रहता है और हर प्रकार से इन लोगों का विकास किया जाएगा.



Intro:डिजिटल इंडिया के युग मे भी विकास की बाट जोह रहा है महादलित का गांव,मधुबनी


Body:मधुबनी
मधुबनी इस गांव के महादलित बस्ती में एक भी शौचालय नहीं है खुले में जाने को मजबूर हैं लोग। इस बस्ती के लोग आज भी विकास से महरूम है ।आजादी का 73वां वर्षगांठ मनाने के साथ ही हम चांद पर आशियाना बनाने की बात कर रहे हैं ।हम डिजिटल इंडिया की बात कर रहे हैं लेकिन बदलते भारत के बिहार की एक तस्वीर यह भी है जहां आज भी सड़के नहीं है यहां आज भी शौच जाने के लिए शौचालय नहीं है। यहां आज भी महिलाएं और पुरुष शौच जाने के लिए खुले आसमान में जाने को विवश है।जी हाँ हम बात कर रहे हैं मधुबनी जिला के रैयाम पंचायत के किशनपुर मुसहरी महादलित बस्ती की।यहां एक सौ घरों की महादलित की बसती है इस गांव के बस्ती में सरकारी नुमाइंदे शायद मुहूर्त देख कर ही पहुंचते हैं विकास के नाम पर गांव में सिर्फ बिजली ही दिख रही है। ना तो यहां बच्चों के पढ़ने के लिए विद्यालय है और ना ही ग्रामीणों को किसी भी सरकारी योजना के लाभ सही से मिला है ।इस बस्ती में किसी के घर में शौचालय नहीं है आवागमन के लिए सड़के भी नहीं है। इंदिरा आवास योजना,उज्जवला योजना, आयुष्मान योजना और बाकी सरकारी योजनाओं की तो बात ही छोड़ दीजिए यहाँ के लोगो को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है।सही तरीके से जानकारी भी नहीं है।एक तरफ सरकार ग्राउंड लेवल पर विकास की किरने पहुंचाने का दावा करती है लेकिन सिर्फ विकास की दावा खोखला साबित दिख रही है इन महादलित बस्तियों को एक भी समुदायिक भवन नहीं है कमरे के अभाव में एक ही रूम में सोने को विवश है ये लोग। आस लगाए बैठे हैं एक अब हमारी बस्ती की विकास होगी। पोहे एसडीएम अंशुल अग्रवाल ने बताया महा दलितों के विकास के लिए काफी योजनाएं हैं प्रखंड विकास पदाधिकारी के देखरेख में योजनाओं का क्रियान्वयन होता है हर संभव इन लोगों का विकास किया जाएगा
बाइक राम परी देवी महादलित महिला
वाइट अंशुल अग्रवाल एसडीएम झंझारपुर
राजकुमार झा मधुबनी


Conclusion:
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