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जापानी इंसेफेलाइटिस टीकाकरण अभियान की शुरुआत, 5 हजार से अधिक बच्चे को प्रतिरक्षण करने का लक्ष्य - je vaccination card

बुधवार से जिले के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर जापानी इंसेफेलाइटिस टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गई है. इस क्रम में 5,78,447 बच्चों का प्रतिरक्षण करने का लक्ष्य रखा गया है.

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Published : Jun 17, 2020, 8:24 PM IST

मधुबनी: कोरोना के बढ़ते कहर को देखते हुए जिले में 23 मार्च से शुरू होने वाले टीकाकरण को स्थगित कर दिया गया था. जिसे भारत सरकार के निर्देश पर 17 जून से एक बार फिर से शुरू कर दिया गया है. इस क्रम में सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखने का निर्देश दिया गया है.

जापानी इंसेफेलाइटिस टीकाकरण अभियान की सफलता के लिए डीआईओ कार्यालय में कार्यशाला का आयोजन किया गया है. डीआईओ डॉ. एसके विश्वकर्मा ने बताया कि टीकाकरण अभियान के लिए 4,341 सत्र स्थलों का चयन किया गया है, जिसमें 5,78,447 बच्चों का प्रतिरक्षण करने का लक्ष्य रखा गया है. इस अभियान में 479 एएनएम और 3,855 सेविका एवं आशा की सेवा ली जाएगी.

CDPO एवं महिला पर्यवेक्षकों को दिया गया निर्देश
जिला बाल विकास परियोजना पदाधिकारी रश्मि वर्मा ने बताया कि सभी 21 प्रखंड के सीडीपीओ एवं महिला पर्यवेक्षिका को इस अभियान की सघन पर्यवेक्षण करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही सभी आंगनवाड़ी को कोविड-19 के निर्देशों का पालन करते हुए अपने अपने क्षेत्र के एक से पांच वर्ष तक के सभी बच्चों का प्रतिरक्षण करवाने का निर्देश दिया गया है. इसके लिए घर-घर जाकर लोगों को जेई और अन्य टीका के प्रति जागरूक करने का निर्देश दिया गया. रश्मि वर्मा ने सभी सीडीपीओ और महिला पर्यवेक्षिका को स्वास्थ्य विभाग के साथ बेहतर समन्वय स्थापित कर इस अभियान को सफल बनाने का निर्देश दिया है.

5 साल तक के बच्चों को किया जाएगा प्रतिरक्षण
डीआईओ एसके विश्वकर्मा ने बताया कि टीकाकरण स्थल पर एक महीने में तीन सत्र का आयोजन कर एक से पांच साल तक के बच्चों को जापानी इंसेफेलाइटिस का टीका लगाकर टीकाकृत किया जाएगा. इसके लिए प्रत्येक सत्र पर 10 वायरल जेई वैक्सीन दिया गया है. टीकाकरण के लिए शारीरिक दूरी का अनुपालन करना अनिवार्य होगा. विद्यालय के खुलने के बाद पांच साल से लेकर 15 साल तक के बच्चों को विद्यालय में ही अभियान चलाकर टीकाकृत किया जाएगा.

टीकाकरण प्रारंभ करने के लिए निर्देश जारी
यूनिसेफ एसएमसी प्रमोद कुमार झा ने बताया कि टीकाकरण प्रारंभ करने के पूर्व टीकाकर्मी को प्रशिक्षण दिया गया है. टीकाकरण सत्र पर स्थाई एवं बाह्य टीकाकरण सत्रों पर जेई टीकाकरण संबंधित टैली सीट दिया गया है. सभी टीके का आंकड़ा इसी टेली सीट में संधारित किया जाएगा. नियमित टीकाकरण के लिए टैली में जेई के आच्छादित बच्चों के आंकड़े का संधारण नहीं किया जाएगा.

टीकाकरण सत्र पर जेई टीकाकरण कार्ड उपलब्ध कराया गया है. जिस बच्चे का टीकाकरण किया जाएगा, उसे जेई टीकाकरण कार्ड दिया जाएगा. इस अभियान में यूनिसेफ, एसएम नेट, डब्ल्यूएचओ, केअर इंडिया, पाथ एवं यूएनडीपी सक्रिय सहयोग दे रहे हैं. इस कार्यक्रम का सघन पर्यवेक्षण जिला स्तर से लेकर प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य अधिकारियों के द्वारा किया जाएगा. कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सभी बच्चों का टीकाकरण किया जाना है. कचरे का निस्तारण सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के नियम अनुसार किया जाएगा.

क्या है जापानी इंसेफेलाइटिस:
इन्सेफेलाइटिस को जापानी बुखार के नाम से भी जाना जाता है. यह एक प्रकार का दिमागी बुखार है, जो वायरल संक्रमण के कारण होता है. यह संक्रमण ज्यादा गंदगी वाली जगह पर पनपता है. साथ ही क्यूलेक्स मच्छर के काटने से भी ये बीमारी होती है. हर साल बिहार समेत कई राज्यों में इस बिमारी के कारण कई बच्चों की मृत्यु हो जाती है.

जापानी इन्सेफेलाइटिस के लक्षण:
जापानी इन्सेफेलाइटिस में बुखार, सिरदर्द, गर्दन में जकड़न, कमजोरी और उल्टी होने लगती है. समय के साथ सिरदर्द में बढ़ोतरी होने लगती है और हमेशा सुस्ती छाई रहती है. भूख कम लगना, तेज बुखार, अतिसंवेदनशील होना वहीं, कुछ समय के बाद भ्रम का शिकार होना फिर पागलपन के दौरे आना, लकवा मारना और स्थिति कोमा तक पहुंच सकती है. बहुच छोटे बच्चों में ज्यादा देर तक रोना, भूख की कमी, बुखार और उल्टी होना जैसे लक्षण दिखने लगते हैं. यह बिमारी अगस्त-सितंबर और अक्टूबर माह में ज्यादा फैलती है. ये 1 से 15 साल की उम्र के बच्चों को अपनी चपेट में लेती है.

मधुबनी: कोरोना के बढ़ते कहर को देखते हुए जिले में 23 मार्च से शुरू होने वाले टीकाकरण को स्थगित कर दिया गया था. जिसे भारत सरकार के निर्देश पर 17 जून से एक बार फिर से शुरू कर दिया गया है. इस क्रम में सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखने का निर्देश दिया गया है.

जापानी इंसेफेलाइटिस टीकाकरण अभियान की सफलता के लिए डीआईओ कार्यालय में कार्यशाला का आयोजन किया गया है. डीआईओ डॉ. एसके विश्वकर्मा ने बताया कि टीकाकरण अभियान के लिए 4,341 सत्र स्थलों का चयन किया गया है, जिसमें 5,78,447 बच्चों का प्रतिरक्षण करने का लक्ष्य रखा गया है. इस अभियान में 479 एएनएम और 3,855 सेविका एवं आशा की सेवा ली जाएगी.

CDPO एवं महिला पर्यवेक्षकों को दिया गया निर्देश
जिला बाल विकास परियोजना पदाधिकारी रश्मि वर्मा ने बताया कि सभी 21 प्रखंड के सीडीपीओ एवं महिला पर्यवेक्षिका को इस अभियान की सघन पर्यवेक्षण करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही सभी आंगनवाड़ी को कोविड-19 के निर्देशों का पालन करते हुए अपने अपने क्षेत्र के एक से पांच वर्ष तक के सभी बच्चों का प्रतिरक्षण करवाने का निर्देश दिया गया है. इसके लिए घर-घर जाकर लोगों को जेई और अन्य टीका के प्रति जागरूक करने का निर्देश दिया गया. रश्मि वर्मा ने सभी सीडीपीओ और महिला पर्यवेक्षिका को स्वास्थ्य विभाग के साथ बेहतर समन्वय स्थापित कर इस अभियान को सफल बनाने का निर्देश दिया है.

5 साल तक के बच्चों को किया जाएगा प्रतिरक्षण
डीआईओ एसके विश्वकर्मा ने बताया कि टीकाकरण स्थल पर एक महीने में तीन सत्र का आयोजन कर एक से पांच साल तक के बच्चों को जापानी इंसेफेलाइटिस का टीका लगाकर टीकाकृत किया जाएगा. इसके लिए प्रत्येक सत्र पर 10 वायरल जेई वैक्सीन दिया गया है. टीकाकरण के लिए शारीरिक दूरी का अनुपालन करना अनिवार्य होगा. विद्यालय के खुलने के बाद पांच साल से लेकर 15 साल तक के बच्चों को विद्यालय में ही अभियान चलाकर टीकाकृत किया जाएगा.

टीकाकरण प्रारंभ करने के लिए निर्देश जारी
यूनिसेफ एसएमसी प्रमोद कुमार झा ने बताया कि टीकाकरण प्रारंभ करने के पूर्व टीकाकर्मी को प्रशिक्षण दिया गया है. टीकाकरण सत्र पर स्थाई एवं बाह्य टीकाकरण सत्रों पर जेई टीकाकरण संबंधित टैली सीट दिया गया है. सभी टीके का आंकड़ा इसी टेली सीट में संधारित किया जाएगा. नियमित टीकाकरण के लिए टैली में जेई के आच्छादित बच्चों के आंकड़े का संधारण नहीं किया जाएगा.

टीकाकरण सत्र पर जेई टीकाकरण कार्ड उपलब्ध कराया गया है. जिस बच्चे का टीकाकरण किया जाएगा, उसे जेई टीकाकरण कार्ड दिया जाएगा. इस अभियान में यूनिसेफ, एसएम नेट, डब्ल्यूएचओ, केअर इंडिया, पाथ एवं यूएनडीपी सक्रिय सहयोग दे रहे हैं. इस कार्यक्रम का सघन पर्यवेक्षण जिला स्तर से लेकर प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य अधिकारियों के द्वारा किया जाएगा. कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सभी बच्चों का टीकाकरण किया जाना है. कचरे का निस्तारण सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के नियम अनुसार किया जाएगा.

क्या है जापानी इंसेफेलाइटिस:
इन्सेफेलाइटिस को जापानी बुखार के नाम से भी जाना जाता है. यह एक प्रकार का दिमागी बुखार है, जो वायरल संक्रमण के कारण होता है. यह संक्रमण ज्यादा गंदगी वाली जगह पर पनपता है. साथ ही क्यूलेक्स मच्छर के काटने से भी ये बीमारी होती है. हर साल बिहार समेत कई राज्यों में इस बिमारी के कारण कई बच्चों की मृत्यु हो जाती है.

जापानी इन्सेफेलाइटिस के लक्षण:
जापानी इन्सेफेलाइटिस में बुखार, सिरदर्द, गर्दन में जकड़न, कमजोरी और उल्टी होने लगती है. समय के साथ सिरदर्द में बढ़ोतरी होने लगती है और हमेशा सुस्ती छाई रहती है. भूख कम लगना, तेज बुखार, अतिसंवेदनशील होना वहीं, कुछ समय के बाद भ्रम का शिकार होना फिर पागलपन के दौरे आना, लकवा मारना और स्थिति कोमा तक पहुंच सकती है. बहुच छोटे बच्चों में ज्यादा देर तक रोना, भूख की कमी, बुखार और उल्टी होना जैसे लक्षण दिखने लगते हैं. यह बिमारी अगस्त-सितंबर और अक्टूबर माह में ज्यादा फैलती है. ये 1 से 15 साल की उम्र के बच्चों को अपनी चपेट में लेती है.

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