मधुबनी: बिहार सरकार स्वास्थ्य विभाग पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं. लेकिन स्वास्थ्य विभाग लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है. मामला आईएसओ अनुमंडलीय अस्पताल झंझारपुर का है. जिले के आईएसओ मान्यता प्राप्त अनुमंडलीय अस्पताल झंझारपुर की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. जिसके चलते मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
अस्पताल की हालत दयनीय
सूबे की सरकार स्वास्थ्य विभाग के सुधार के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. लेकिन, सरकार की ओर से खर्च किए गए रुपयों का यहां मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. यहां मिलने वाली जन सुविधाओं का घोर अभाव है. स्वास्थ्य सुविधा के अलावा यहां डॅाक्टरों और स्टाफ की भी घोर कमी है. साथ ही अस्पताल में एक ही एम्बुलेंस है, जिससे मरीजों को सुविधा दी जाती है. इसके चलते मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं.
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अस्पताल में गंदगी का अंबार
वहीं, अस्पताल में काफी अनियमितता देखने को मिल रही है. डॉक्टरों की लापरवाही भी सामने आ रही है. इस अस्पताल में ओपीडी भी नियत समय से नहीं खुलती है. जिससे इलाज कराने आए मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहीं अस्पताल में मौजूद बल्ड बैंक वर्षों से बंद पड़ा है. यहीं नहीं अस्पताल में जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा हुआ है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि जो अस्पताल खुद गंदगी की बीमारी से ग्रस्त हो वह भला मरीजों का इलाज कैसे कर सकेगा?
क्या है इनका कहना?
अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक श्याम चौधरी ने बताया कि एनजीओ के सही से काम नहीं करने के कारण अस्पताल में गंदगी लगा रहता है. इसकी सूचना जिला प्रशासन को भेज दी गई है. साथ ही उन्होंने बताया कि अस्पताल को दो एम्बुलेंस मुहैया कराई गई थी, लेकिन उसमें से एक एम्बुलेंस खराब पड़ी है और एक ही एम्बुलेंस से मरीजों को सुविधाएं दी जा रही है. उन्होंने कहा कि यदि एक समय दो इमरजेंसी आ जाए तो ऐसे समय में एम्बुलेंस की कमी महसुस होती है.