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मधेपुरा: नहरों पर अवैध कब्जे के कारण किसानों को हो रही परेशान, जिम्मेदार बेपरवाह

मधेपुरा की सर्वाधिक नहरें पिछले 20-25 साल से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. सरकार और विभागीय अधिकारी की लालफीताशाही के कारण नहर का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है.

नहरें
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Published : Jan 13, 2020, 5:04 PM IST

मधेपुरा: मधेपुरा की नहर सुशासन बाबू की नजर से ओझल है. 15 साल से यहां पानी नहीं आ रहा है. लोग नहर पर केले और अन्य फसलों की खेती करते हैं. किसान पम्प सेट से पटवन करने को मजबूर है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब भी किसी विभाग की योजना को लेकर यात्रा कार्यक्रम करते हैं, तब उस विभाग के मंत्री और अधिकारी की नींद खुलती है. इसके बाद ही थोड़ा बहुत जीर्णोद्धार और विकास का कार्य हो पाता है.

नहरों के किनारे होती है खेती
बता दें कि मधेपुरा जिले की सर्वाधिक नहरें पिछले 20-25 साल से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. सरकार और विभागीय अधिकारी की लालफीताशाही के कारण नहर का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है. जंगल में तब्दील नहर को कोई देखने वाला नहीं है. इतना ही नहीं नहर में पानी नहीं आने के कारण लोग अब धीरे-धीरे नहर को अतिक्रमण करके उस पर घर बना रहे हैं. ग्रामीण नहर पर केले समेत अन्य फसलों की खेती धड़ल्ले से कर रहे हैं.

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20-25 साल से नहरें बदहाल

पम्प सेट से पटवन करने को मजबूर
नहर के किनारे बसे लोग अब साग-सब्जी, लहसुन, हल्दी, बैगन आदि की खेती अपनी जमीन में नहीं नहर के किनारे ही करते हैं. सबसे बड़ी बात तो यह है कि नहर में पानी 20-25 साल से नहीं आ रहा है. लेकिन विभागीय अधिकारी कागज में दिखा रहे है कि सभी नहर में समयानुसार पानी छोड़ा जाता है. किसान नहर के पानी से खेती भी कर रहे हैं. जबकि पिछले 20-25 साल से नहर में पानी नहीं आने के कारण किसान पम्प सेट से पटवन करके खेती करने को मजबूर हैं.

मधेपुरा की नहरें कई वर्षों से हैं बदहाल

'बिहार की नहरें हैं बदहाल'
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजनीतिक रूप से करीबी कहे जाने वाले जेडीयू के प्रदेश प्रवक्ता निखिल मंडल ने भी स्वीकार करते हुए कहा कि मधेपुरा ही नहीं बल्कि बिहार की सर्वाधिक नहरें बदहाल हैं. जिन्हें जीर्णोद्धार करने की सख्त जरूरत है. वहीं, उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को तुरंत दी जाएगी. किसान हित में नहर को अतिक्रमण मुक्त किया जाएगा और जीर्णोद्धार के बाद समयानुसार पानी छोड़ा जाएगा.

मधेपुरा: मधेपुरा की नहर सुशासन बाबू की नजर से ओझल है. 15 साल से यहां पानी नहीं आ रहा है. लोग नहर पर केले और अन्य फसलों की खेती करते हैं. किसान पम्प सेट से पटवन करने को मजबूर है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब भी किसी विभाग की योजना को लेकर यात्रा कार्यक्रम करते हैं, तब उस विभाग के मंत्री और अधिकारी की नींद खुलती है. इसके बाद ही थोड़ा बहुत जीर्णोद्धार और विकास का कार्य हो पाता है.

नहरों के किनारे होती है खेती
बता दें कि मधेपुरा जिले की सर्वाधिक नहरें पिछले 20-25 साल से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. सरकार और विभागीय अधिकारी की लालफीताशाही के कारण नहर का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है. जंगल में तब्दील नहर को कोई देखने वाला नहीं है. इतना ही नहीं नहर में पानी नहीं आने के कारण लोग अब धीरे-धीरे नहर को अतिक्रमण करके उस पर घर बना रहे हैं. ग्रामीण नहर पर केले समेत अन्य फसलों की खेती धड़ल्ले से कर रहे हैं.

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20-25 साल से नहरें बदहाल

पम्प सेट से पटवन करने को मजबूर
नहर के किनारे बसे लोग अब साग-सब्जी, लहसुन, हल्दी, बैगन आदि की खेती अपनी जमीन में नहीं नहर के किनारे ही करते हैं. सबसे बड़ी बात तो यह है कि नहर में पानी 20-25 साल से नहीं आ रहा है. लेकिन विभागीय अधिकारी कागज में दिखा रहे है कि सभी नहर में समयानुसार पानी छोड़ा जाता है. किसान नहर के पानी से खेती भी कर रहे हैं. जबकि पिछले 20-25 साल से नहर में पानी नहीं आने के कारण किसान पम्प सेट से पटवन करके खेती करने को मजबूर हैं.

मधेपुरा की नहरें कई वर्षों से हैं बदहाल

'बिहार की नहरें हैं बदहाल'
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजनीतिक रूप से करीबी कहे जाने वाले जेडीयू के प्रदेश प्रवक्ता निखिल मंडल ने भी स्वीकार करते हुए कहा कि मधेपुरा ही नहीं बल्कि बिहार की सर्वाधिक नहरें बदहाल हैं. जिन्हें जीर्णोद्धार करने की सख्त जरूरत है. वहीं, उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को तुरंत दी जाएगी. किसान हित में नहर को अतिक्रमण मुक्त किया जाएगा और जीर्णोद्धार के बाद समयानुसार पानी छोड़ा जाएगा.

Intro:मधेपुरा की नहर सुशासन बाबू की नजर से ओझल,पंद्रह साल से नहीं आ रहा है पानी, नहर पर लोग करते हैं केले और अन्य फसल की खेती,किसान पम्प सेट से पटवन करने को मजबूर।


Body:मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब भी किसी विभाग की योजना को लेकर यात्रा कार्यक्रम करते हैं तब उस विभाग के मंत्री और अधिकारी की नींद खुलती है ।इसके बाद ही थोड़ा बहुत जीर्णोद्धार और विकास का कार्य हो पाता है।इसलिए जब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहर जीर्णोद्धार यात्रा नहीं निकालेंगे तब तक सूबे की नहरों का जीर्णोद्धार संभव नहीं है।बता दें कि मधेपुरा ज़िले की सर्वाधिक नहरें पिछले बीस पच्चीस साल से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।सरकार और विभागीय अधिकारी की लालफीताशाही के कारण नहर का अस्तित्व पूर्ण रूपेण समाप्त होने के कगार है।जंगल में तब्दील नहर को कोई देखने बाला नहीं है।इतना ही नहीं नहर में पानी नहीं आने के कारण लोग अब धीरे धीरे नहर को अतिक्रमण करके उस पर घर बना रहा है ,और नहर पर केले समेत अन्य फसल की खेती धड़ल्ले से कर रहे हैं।नहर के किनारे बसे लोग अब साग सब्जी लहसुन,हल्दी ,बैगन आदि की खेती अपनी जमीन में नहीं नहर ही करते हैं। उल्लेखनीय बात तो यह है कि नहर में पानी बीस पच्चीस साल नहीं आ रहा है।लेकिन विभागीय अधिकारी कागज में दिखा रहा है कि सभी नहर में समयानुसार पानी छोड़ा जाता है और किसान नहर के पानी से खेती भी कर रहे हैं।जबकि पिछले बीस पच्चीस साल से नहर में पानी नहीं आने के कारण किसान पम्प सेट से पटवन करके खेती करने को मजबूर हैं। इधर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजनीतिक रूप से करीबी कहे जाने बाले जेडीयू के प्रदेश प्रवक्ता निखिल मंडल ने भी स्वीकार करते हुए कहा कि मधेपुरा ही नहीं बल्कि बिहार के सर्वाधिक नहरें बदहाल है, जिन्हें जीर्णोद्धार करने की सख्त जरूरत है।उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अबिलम्ब दी जाएगी और किसान हित में नहर को अतिक्रमण मुक्त किया जाएगा तथा जीर्णोद्धार के बाद समयानुसार पानी छोड़ा जाएगा।बाइट---1---धर्मेंद्र कुमार---किसान।बाइट---2---निखिल मंडल---प्रदेश प्रवक्ता जेडीयू।


Conclusion:देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहर बचाने के लिए यात्रा पर कब निकलते हैं।
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