मधेपुरा: जिले के शहीद कैप्टन आशुतोष कुमार अपने गांव के युवाओं को प्रेरित किया करते थे. वे कहते थे कि देश की रक्षा करने के लिए हर किसी को सेना में जाना चाहिए. आशुतोष जब भी गांव आते थे तो ज्यादातर समय युवाओं के साथ मिलते हुए बिताते थे. सामाजिक कार्यों में भी उनकी खासी दिलचस्पी थी. आशुतोष हर साल सरस्वती पूजा के अवसर पर घर आते थे और मूर्ति स्थापित करते थे.
छठ पर घर आने का किया था वादा
उनके मित्र सौरव कुमार ने कहा, 'आशुतोष को अहम नहीं था कि वह बड़े अधिकारी हैं. जब भी घर आते थे, सभी के घर जाकर लोगों से मिलते-जुलते थे. 7 नवंबर को बात हुई थी तो उन्होंने छठ में घर आने की बात की थी और दूसरे दिन उनके आतंकी से हुए मुठभेड़ शहीद होने की खबर आई.'
'आशुतोष अमर रहे'
बता दें कि आशुतोष के शहीद होने की खबर आते ही गांव सहित पूरे जिले में सन्नाटा पसर गया. लोगों को आशुतोष की शहादत पर गर्व तो है, लेकिन उन्हें खोने का गम भी सता रहा है. गांव में आशुतोष अमर रहे का नारे लग रहे हैं.