मधेपुरा: दौराम संत के नाम पर मधेपुरा रेलवे स्टेशन का नाम दौराम मधेपुरा रखा गया था. इस इतिहास के बारे में इतिहासविद डॉ. सुरेश कुमार ने जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि अंग्रेज अपने शासनकाल में हिंदुस्तान के संतों की मान मर्यादा का भी ख्याल रखते थे. इसी के चलते अंग्रेजों ने मधेपुरा रेलवे स्टेशन का नाम यहां के जाने माने संत के नाम पर रखा था.
मंदिर बनाने के लिए चालीस एकड़ दी जमीन
इतिहासविद डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि अंग्रेजों की ओर से वर्ष 1905 में जब मधेपुरा तक रेलवे लाईन बिछाई जा रही थी, तो लाईन के बीचों बीच दौराम नाम के संत का मंदिर आ गया था. इसके बाद अंग्रेज अपने रेलवे अधिकारी के साथ दौराम संत के पास पहुंचे और उनसे आग्रह किया कि समाज हित में अपना मंदिर हटा लें. इसके बदले में अंग्रेजों ने संत दौराम को मंदिर बनाने के लिए पथराहा गांव में चालीस एकड़ जमीन दी और उनके नाम पर ही मधेपुरा रेलवे स्टेशन का नाम दौराम मधेपुरा रखा गया.
जमीन को सरकार ने कब्जे में ले लिया
बता दें कि अब भी अंग्रेजों की तरफ से दी गई जमीन पर अर्धनिर्मित पक्का और टीना का मंदिर बना हुआ है. जहां राम और जानकी की मूर्ती स्थापित है. इतिहास विद डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि संत दौराम के कहने पर अंग्रेज ने ही यहां पर राम-जानकी मेला का आयोजन शुरू किया था, जो अब भी जारी है. हालांकि अब मेले का आयोजन हर वर्ष सरकारी स्तर पर किया जाता है. बता दें कि अंग्रेजों की ओर से मंदिर में दी गई सारी जमीन सरकार के कब्जे में चली गई है. इस स्थल को दौरामा डीह भी कहा जाता है.