मधेपुरा: जिले में बाढ़ के कारण हालत भयावह होते जा रहे हैं. तीन सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में बाढ़ त्रासदी को 28 दिन गुजर जाने के बाद भी अब तक पीड़ितों को नाव और राहत सामग्री उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है. जिस कारण बाढ़ पीड़ित दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. वे किसी तरह जिंदा हैं.
आलम यह है कि बाढ़ पीड़ितों को समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे पानी से घिरे घर में भूखे-प्यासे रहें, बाल-बच्चे को क्या खिलाएं, मवेशी को कैसे बचाएं. इन इलाकों में हृदय विदारक दृश्य तब देखने को मिला जब मीडिया की टीम इन पीड़ितों को देखने पहुंची तो पानी से लबालब भरे घर आंगनसे झांक-झांकर लोग देखने लगे. उन्हें लगा कि कोई सरकारी मुलाजिम खाने-पीने का सामान लेकर आया है. मीडिया को अपनी समस्या बताते हुए बाढ़ पीड़ित फफक-फफक कर रोने लगते हैं.
![madhepura](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-madh-01-trahimam-pkg-bh10012_07082020110503_0708f_00496_540.jpg)
लगभग 1 महीने से है ये हाल
जानकारी हो कि पिछले 28 दिन से आलमनगर, चौसा और पुरैनी प्रखंड के सर्वाधिक पंचायत पूर्ण रूप से बाढ़ की चापेट में हैं. मधेपुरा सांसद दिनेशचंद्र यादव ने दो दिनों तक अपने समर्थकों के साथ बाढ़ प्रभावित पंचायतों का नाव से दौरा किया और स्वीकार भी किया था कि इलाका बाढ़ प्रभावित है. फिर भी आज तक सरकारी नाव और राहत सामग्री की व्यवस्था नहीं की गई.
![madhepura](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-madh-01-trahimam-pkg-bh10012_07082020110503_0708f_00496_214.jpg)
किसी तरह जिंदा हैं लोग
इन इलाकों में पीड़ित टिन और केले के पत्तों का नाव बनाकर जान जोखिम में डालकर गांव से बाहर जाते-आते हैं. इतना ही नहीं एक घर से दूसरे घर भी नाव से ही जाना पड़ता है. बाढ़ के 28 दिन गुजर जाने के बाद भी आज तक डीएम या स्थानीय अधिकारियों ने लोगों की सुध नहीं ली. क्षेत्र के विधायक सह बिहार सरकार के विधि मंत्री नरेंद्रनारायण यादव की तबियत खराब रहने के कारण वे भी क्षेत्र अब तक पीड़ित का हालचाल जानने नहीं आ पाए हैं.