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सांप डसे या बिच्छू मारे डंक, इस भगवती मंदिर में आते ही हर दर्द होता है दूर! - बेनीपुर गांव

लखीसराय जिले के अभयपुर के बेनीपुर गांव में एक ऐसा मंदिर है, जिसके प्रांगण में स्थित कुआं का पानी दवा की तरह काम करता है. सांप डसे या बिच्छू डंक मारे. ऐसी मान्यता है कि कुआं का पानी पीने से पीड़ित का हर दर्द दूर हो जाता है.

Tempal lakhisarai
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Published : Dec 17, 2020, 3:47 PM IST

लखीसराय: मेडिकल साइंस आज इतनी तरक्की कर गया है कि सांप डसने के अधिकतर मामलों में समय से डॉक्टर के पास पहुंचने पर पीड़ित की जान बच जाती है. बिहार के हर जिले में सांप और बिच्छू के जहर की दवा उपलब्ध है. इसके बाद भी बहुत से लोग सांप द्वारा डसे जाने पर अस्पताल की जगह मंदिर या दूसरे धार्मिक जगह जाते हैं. आज हम आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में बता रहे हैं. हालांकि ईटीवी भारत अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता.

shiv tempal
मां भगवती मंदिर के परिसर में स्थित शिव मंदिर.

मंदिर के कुआं का पानी पीने से दूर होता है दर्द
लखीसराय जिले के अभयपुर के बेनीपुर गांव में एक ऐसा मंदिर है, जिसके प्रांगण में स्थित कुआं का पानी दवा की तरह काम करता है. सांप डसे या बिच्छू डंक मारे. ऐसी मान्यता है कि कुआं का पानी पीने से पीड़ित का हर दर्द दूर हो जाता है. लोग दूर-दूर से इस मंदिर में आते हैं. करीब 700 साल पुराना यह मंदिर मां भगवती का है. ऐसी मान्यता है कि मां भगवती यहां आने वालों का कष्ट दूर करती हैं.

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भगवती मंदिर

मंदिर के सेवक परमेश्वर यादव ने कहा कि जिसे सांप डस ले वह कहीं कोई इलाज नहीं कराकर अगर यहां आता है तो मंदिर के कुआं का पानी पीने से जिंदा बच जाता है. लोग बेहोशी की हालत में यहां आते हैं और अपने कदमों पर चलकर जाते हैं. मंदिर के पंडित ने कहा कि यहां लोग दूर-दूर से पूजा करने आते हैं. नवरात्र के दौरान अष्टमी को यहां नि:संतान महिलाएं संतान के लिए मन्नत मांगती हैं. माता सभी की मन्नत पूरी करती हैं.

देखें खास रिपोर्ट

700 साल पुराना है मंदिर
स्थानीय लोगों के अनुसार मां भगवती का यह मंदिर करीब 700 साल पुराना है. 1315 में यहां देवी की एक प्रचीन मूर्ति और पिंड था. 1325 में मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ था. इसके बाद से मंदिर का विस्तार होता आया है. इन दिनों यहां भव्य मंदिर बनाने के लिए निर्माण कार्य चल रहा है. कई इमारत और मंदिर की चाहरदीवारी बनाई जा रही है.

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मंदिर परिसर में चल रहा निर्माण कार्य.

मंदिर में निकलता है सांप
ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में एक सांप रहता है. सांप हर नागपंचमी के दिन और यदाकदा मंदिर में निकलता है. सांप मंदिर के पुजारी और दूसरे भक्तों को कभी नुकसान नहीं पहुंचाता. नागपंचमी के दिन सांप शिव मंदिर से निकलता है. वह बिना किसी को हानि पहुंचाए मंदिर में घूमकर और पूजा करने आए लोगों द्वारा दिए गए दूध को पीकर लौट जाता है.

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मंदिर परिसर में स्थित पीपल के पेड़ के पास जुटे श्रद्धालु.

धार्मिक मान्यता अपनी जगह ठीक, दवा का सेवन जरूरी
"मेडिकल साइंस ऐसी किसी बात को स्वीकार नहीं करता. धार्मिक मान्यताएं अपनी जगह हैं. मैं यह नहीं कह सकता कि लोग उसे न मानें, लेकिन मेरी राय है कि धार्मिक मान्यताओं को मानने के साथ ही दवा का सेवन भी जरूर करें. ऐसा नहीं करने पर कई बार हादसे हो जाते हैं."- डॉ. विपिन कुमार

"सांप काटने की स्थिति में तुरंत इलाज जरूरी है. इसमें देर नहीं करनी चाहिए. गैरजरूरी रूप से देर करने पर अच्छे से अच्छे डॉक्टर और अस्पताल भी पीड़ित को बचाने में कामयाब नहीं हो पाते."- डॉ. अधिवेशन कुमार

लखीसराय: मेडिकल साइंस आज इतनी तरक्की कर गया है कि सांप डसने के अधिकतर मामलों में समय से डॉक्टर के पास पहुंचने पर पीड़ित की जान बच जाती है. बिहार के हर जिले में सांप और बिच्छू के जहर की दवा उपलब्ध है. इसके बाद भी बहुत से लोग सांप द्वारा डसे जाने पर अस्पताल की जगह मंदिर या दूसरे धार्मिक जगह जाते हैं. आज हम आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में बता रहे हैं. हालांकि ईटीवी भारत अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता.

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मां भगवती मंदिर के परिसर में स्थित शिव मंदिर.

मंदिर के कुआं का पानी पीने से दूर होता है दर्द
लखीसराय जिले के अभयपुर के बेनीपुर गांव में एक ऐसा मंदिर है, जिसके प्रांगण में स्थित कुआं का पानी दवा की तरह काम करता है. सांप डसे या बिच्छू डंक मारे. ऐसी मान्यता है कि कुआं का पानी पीने से पीड़ित का हर दर्द दूर हो जाता है. लोग दूर-दूर से इस मंदिर में आते हैं. करीब 700 साल पुराना यह मंदिर मां भगवती का है. ऐसी मान्यता है कि मां भगवती यहां आने वालों का कष्ट दूर करती हैं.

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भगवती मंदिर

मंदिर के सेवक परमेश्वर यादव ने कहा कि जिसे सांप डस ले वह कहीं कोई इलाज नहीं कराकर अगर यहां आता है तो मंदिर के कुआं का पानी पीने से जिंदा बच जाता है. लोग बेहोशी की हालत में यहां आते हैं और अपने कदमों पर चलकर जाते हैं. मंदिर के पंडित ने कहा कि यहां लोग दूर-दूर से पूजा करने आते हैं. नवरात्र के दौरान अष्टमी को यहां नि:संतान महिलाएं संतान के लिए मन्नत मांगती हैं. माता सभी की मन्नत पूरी करती हैं.

देखें खास रिपोर्ट

700 साल पुराना है मंदिर
स्थानीय लोगों के अनुसार मां भगवती का यह मंदिर करीब 700 साल पुराना है. 1315 में यहां देवी की एक प्रचीन मूर्ति और पिंड था. 1325 में मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ था. इसके बाद से मंदिर का विस्तार होता आया है. इन दिनों यहां भव्य मंदिर बनाने के लिए निर्माण कार्य चल रहा है. कई इमारत और मंदिर की चाहरदीवारी बनाई जा रही है.

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मंदिर परिसर में चल रहा निर्माण कार्य.

मंदिर में निकलता है सांप
ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में एक सांप रहता है. सांप हर नागपंचमी के दिन और यदाकदा मंदिर में निकलता है. सांप मंदिर के पुजारी और दूसरे भक्तों को कभी नुकसान नहीं पहुंचाता. नागपंचमी के दिन सांप शिव मंदिर से निकलता है. वह बिना किसी को हानि पहुंचाए मंदिर में घूमकर और पूजा करने आए लोगों द्वारा दिए गए दूध को पीकर लौट जाता है.

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मंदिर परिसर में स्थित पीपल के पेड़ के पास जुटे श्रद्धालु.

धार्मिक मान्यता अपनी जगह ठीक, दवा का सेवन जरूरी
"मेडिकल साइंस ऐसी किसी बात को स्वीकार नहीं करता. धार्मिक मान्यताएं अपनी जगह हैं. मैं यह नहीं कह सकता कि लोग उसे न मानें, लेकिन मेरी राय है कि धार्मिक मान्यताओं को मानने के साथ ही दवा का सेवन भी जरूर करें. ऐसा नहीं करने पर कई बार हादसे हो जाते हैं."- डॉ. विपिन कुमार

"सांप काटने की स्थिति में तुरंत इलाज जरूरी है. इसमें देर नहीं करनी चाहिए. गैरजरूरी रूप से देर करने पर अच्छे से अच्छे डॉक्टर और अस्पताल भी पीड़ित को बचाने में कामयाब नहीं हो पाते."- डॉ. अधिवेशन कुमार

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