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लखीसराय में दुष्कर्म के आरोपी को आजीवन कारावास, एक लाख का अर्थदंड

लखीसराय में दुष्कर्म (Rape in Lakhisarai) मामले एक आरोपी को आजीवन करावास की सजा सुनाई गई. पोक्सो कोर्ट में सुनवाई के बाद यह फैसला किया गया. आजीवन कारावास के साथ ही दोषी को एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया.

लखीसराय में दुष्कर्म के आरोपी को आजीवन कारावास
लखीसराय में दुष्कर्म के आरोपी को आजीवन कारावास
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Published : Dec 20, 2022, 11:03 PM IST

लखीसरायः बिहार के लखीसराय में दुष्कर्म मामले में एक आरोपी को आजीवन कारावास की सजा (Life imprisonment to accused of rape in Lakhisarai ) सुनाई गई. आरोपी पर नाबालिग से दुष्कर्म का आरोप था. इस वजह से इस मामले की पोस्को कोर्ट में सुनवाई हो रही थी. आरोपी को कोर्ट ने पोस्को एक्ट के तहत आजीवन कारावास के साथ एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.

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दोषी को अर्थदंड भी लगाया गयाः जानकारी के अनुसार चरखा गांव की एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने का मामला सामने आया था. इस मामले की सुनवाई लखीसराय पोक्सो कोर्ट में की गई. वार्ड नं 18 चरखा गांव के निवासी विष्णुदेव केवट के पुत्र नरेश केवट को आजीवन कारावास की सजा हुई है. इसके आलवा उसे एक लाख रुपये का अर्थ दंड भी लगा है.

बच्चों के साथ यौन अपराध को रोकने के लिए है पाॅक्सो कानूनः पॉक्सो यानी प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट. इस कानून को 2012 में लाया गया था. ये बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन शोषण को अपराध बनाता है. ये कानून 18 साल से कम उम्र के लड़के और लड़कियों, दोनों पर लागू होता है.हिंदी में इसे लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012 कहते हैं. पोक्सो एक्ट-2012; को बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न और यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे जघन्य अपराधों को रोकने के लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने बनाया था. साल 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है.

12 साल तक की बच्ची से रेप के दोषियों को मौत की सजाः देश में बच्चियों के साथ बढ़ती दरिंदगी को रोकने के लिए ‘पाक्सो ऐक्ट-2012’ में बदलाव किया गया है, जिसके तहत अब 12 साल तक की बच्ची से रेप के दोषियों को मौत की सजा मिलेगी. इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में सख्त कार्रवाई की जाती है. वहीं, एक्ट के सेक्शन 35 के अनुसार, अगर कोई विशेष परिस्थिति ना हो तो इसके केस का निपटारा एक साल में किया जाना होता है.

पोक्सो एक्ट के तहत आने वाले मामलों के होती है सुनवाईः पाॅक्सो कोर्ट खास तरीके के कोर्ट होते हैं, जहां पॉक्सो एक्ट के तरह दर्ज किए गए केस ही शामिल किए जाते हैं. इस कोर्ट में एडीजे लेवल के अधिकारियों को ही नियुक्त की जाती है. 18 साल से कम उम्र के बच्चों पर होने वाले यौन शोषण अपराधों के लिए तैयार किए गए पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज केस की सुनवाई की जाती है. साथ ही इस कोर्ट में आईपीसी की तुलना में सजा के प्रावधान ज्यादा कड़े हैं. साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि केंद्र सरकार देश के हर जिले में विशेष पॉस्को कोर्ट बनाएगी, जहां 100 से ज्यादा पॉस्को मामले लंबित हैं. इन अदालतों के लिए फंड केंद्र सरकार देगी. सरकार 60 दिन में ये कोर्ट बनाएगी.

लखीसरायः बिहार के लखीसराय में दुष्कर्म मामले में एक आरोपी को आजीवन कारावास की सजा (Life imprisonment to accused of rape in Lakhisarai ) सुनाई गई. आरोपी पर नाबालिग से दुष्कर्म का आरोप था. इस वजह से इस मामले की पोस्को कोर्ट में सुनवाई हो रही थी. आरोपी को कोर्ट ने पोस्को एक्ट के तहत आजीवन कारावास के साथ एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.

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दोषी को अर्थदंड भी लगाया गयाः जानकारी के अनुसार चरखा गांव की एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने का मामला सामने आया था. इस मामले की सुनवाई लखीसराय पोक्सो कोर्ट में की गई. वार्ड नं 18 चरखा गांव के निवासी विष्णुदेव केवट के पुत्र नरेश केवट को आजीवन कारावास की सजा हुई है. इसके आलवा उसे एक लाख रुपये का अर्थ दंड भी लगा है.

बच्चों के साथ यौन अपराध को रोकने के लिए है पाॅक्सो कानूनः पॉक्सो यानी प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट. इस कानून को 2012 में लाया गया था. ये बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन शोषण को अपराध बनाता है. ये कानून 18 साल से कम उम्र के लड़के और लड़कियों, दोनों पर लागू होता है.हिंदी में इसे लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012 कहते हैं. पोक्सो एक्ट-2012; को बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न और यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे जघन्य अपराधों को रोकने के लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने बनाया था. साल 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है.

12 साल तक की बच्ची से रेप के दोषियों को मौत की सजाः देश में बच्चियों के साथ बढ़ती दरिंदगी को रोकने के लिए ‘पाक्सो ऐक्ट-2012’ में बदलाव किया गया है, जिसके तहत अब 12 साल तक की बच्ची से रेप के दोषियों को मौत की सजा मिलेगी. इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में सख्त कार्रवाई की जाती है. वहीं, एक्ट के सेक्शन 35 के अनुसार, अगर कोई विशेष परिस्थिति ना हो तो इसके केस का निपटारा एक साल में किया जाना होता है.

पोक्सो एक्ट के तहत आने वाले मामलों के होती है सुनवाईः पाॅक्सो कोर्ट खास तरीके के कोर्ट होते हैं, जहां पॉक्सो एक्ट के तरह दर्ज किए गए केस ही शामिल किए जाते हैं. इस कोर्ट में एडीजे लेवल के अधिकारियों को ही नियुक्त की जाती है. 18 साल से कम उम्र के बच्चों पर होने वाले यौन शोषण अपराधों के लिए तैयार किए गए पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज केस की सुनवाई की जाती है. साथ ही इस कोर्ट में आईपीसी की तुलना में सजा के प्रावधान ज्यादा कड़े हैं. साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि केंद्र सरकार देश के हर जिले में विशेष पॉस्को कोर्ट बनाएगी, जहां 100 से ज्यादा पॉस्को मामले लंबित हैं. इन अदालतों के लिए फंड केंद्र सरकार देगी. सरकार 60 दिन में ये कोर्ट बनाएगी.

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