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ये हुई न बात! लखीसराय में किसान दंपति ने हल्दी की खेती कर अपने चार बच्चों की संवार दी जिंदगी

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 21, 2023, 6:17 AM IST

Updated : Nov 21, 2023, 6:38 AM IST

Turmeric Cultivation In Lakhisarai: लखीसराय में किसान दंपति हल्दी की खेती कर रहे हैं. इन्होंने दिन-रात मेहनत कर अपने चारों बच्चों की जिंगदी संवार दी है. आज इनके बच्चे दूसरे प्रदेशों में रहकर काम कर रहे हैं.

लखीसराय में हल्दी की खेती करते किसान
लखीसराय में हल्दी की खेती करते किसान
लखीसराय में हल्दी की खेती कर रहे किसान दंपति

लखीसराय: कहते हैं कि मां-बाप खुद धूप में रहकर अपने बच्चों को छांव में रखते हैं. बच्चों को कोई परेशानी न हो, इसको लेकर हर संभव कोशिश करते हैं. इसका एक जीता-जागता उद्हारण बिहार के लखीसराय जिले से सामने आया है. यहां एक किसान दंपति ने दिन-रात खेतों में मेहनत कर अपने बच्चों की जिंदगी संवार दी है. बच्चों को आने वाले समय में खेतों में हल न जोतना पड़े, इसको लेकर ये मां-बाप पूरी कोशिश कर रहे हैं.

खेती कर बच्चों का बनाया भविष्य: बता दें कि जिला समाहरणालय से महज 12 किलोमीटर दूर महिसोना पंचायत के खैरी गांव में किसान मां-पिता अपने बच्चों का भविष्य बनाने के लिए दिन-रात खेतों में काम करते हैं. इन्होंने हल्दी की खेती कर एक अपने बच्चों के भविष्य को बनाकर गांव में अपना नाम रौशन किया है. आज इनके बच्चे अपने काम को लेकर दूसरे प्रदेशों में रह रहे हैं.

हल्दी की फसल
हल्दी की फसल

लखीसराय में हल्दी की खेती: किसान दंपति अपने घर से 500 मीटर की दुरी पर खेती करने निकलते हैं. इनका करीबन एक बीघा से अधिक जमीन है, जिसमें हल्दी का पौधा लगाये हुए हैं और हर दिन अच्छी उपज हो इसके लिए धूप में भी कड़ी मेहनत करते हैं. इसको लेकर सुष्मा देवी ने बताया कि बच्चों के लिए ये सब करना पड़ता है.

जमीन के अंदर से निकाली गई हल्दी
जमीन के अंदर से निकाली गई हल्दी

एक से दो हजार रुपए का होता है मुनाफा: किसान पिता सिंकदर महतो ने बताया कि लगभग एक कट्ठा जमीन में तीन क्विटंल फसल का उत्पादन होता है. इसको उपजाने में तीन से चार हजार रुपये की लागत होती है, जिससे एक से दो हजार रूपये का फायदा होता है. लेकिन मजदूरी को अगर जोड़ा जाए तो वो भी नहीं बचता.

हल्दी की खेती कर बच्चों का बनाया भविष्य
हल्दी की खेती कर बच्चों का बनाया भविष्य

"खेती करने के लिए सबसे पहले खेतों की जुताई करते हैं, इसके बाद हल्दी का परना बांधना पड़ता है. फिर आलु जैसे ही जमीन में गाड़ा जाता है. इसके बाद कीटनाशक दवा देकर पटवन करते हुए फिर इसे कोड़ते हैं. इस तरह से तीन महीने में इसकी फसल बनकर तैयार हो जाती है."- सिकंदर महतो, किसान पिता

दिन-रात मेहनत कर करते हैं भरण-पोषण
दिन-रात खेती कर करते हैं भरण-पोषण

"हर दिन खेती को लेकर अपने खेत में आते हैं. आलू की तरह हल्दी को रोपना और उखाड़ना पड़ता है. इससे हम अपने बच्चों का परवरिस करते हैं. हल्दी तीन से चार महीने में उपज जाती है."- सुष्मा देवी, किसान मां

पढ़ें: बक्सर में टमाटर की फसल में फैली बीमारी, नकली कीटनाशक से किसान परेशान, लगाए गंभीर आरोप

लखीसराय में हल्दी की खेती कर रहे किसान दंपति

लखीसराय: कहते हैं कि मां-बाप खुद धूप में रहकर अपने बच्चों को छांव में रखते हैं. बच्चों को कोई परेशानी न हो, इसको लेकर हर संभव कोशिश करते हैं. इसका एक जीता-जागता उद्हारण बिहार के लखीसराय जिले से सामने आया है. यहां एक किसान दंपति ने दिन-रात खेतों में मेहनत कर अपने बच्चों की जिंदगी संवार दी है. बच्चों को आने वाले समय में खेतों में हल न जोतना पड़े, इसको लेकर ये मां-बाप पूरी कोशिश कर रहे हैं.

खेती कर बच्चों का बनाया भविष्य: बता दें कि जिला समाहरणालय से महज 12 किलोमीटर दूर महिसोना पंचायत के खैरी गांव में किसान मां-पिता अपने बच्चों का भविष्य बनाने के लिए दिन-रात खेतों में काम करते हैं. इन्होंने हल्दी की खेती कर एक अपने बच्चों के भविष्य को बनाकर गांव में अपना नाम रौशन किया है. आज इनके बच्चे अपने काम को लेकर दूसरे प्रदेशों में रह रहे हैं.

हल्दी की फसल
हल्दी की फसल

लखीसराय में हल्दी की खेती: किसान दंपति अपने घर से 500 मीटर की दुरी पर खेती करने निकलते हैं. इनका करीबन एक बीघा से अधिक जमीन है, जिसमें हल्दी का पौधा लगाये हुए हैं और हर दिन अच्छी उपज हो इसके लिए धूप में भी कड़ी मेहनत करते हैं. इसको लेकर सुष्मा देवी ने बताया कि बच्चों के लिए ये सब करना पड़ता है.

जमीन के अंदर से निकाली गई हल्दी
जमीन के अंदर से निकाली गई हल्दी

एक से दो हजार रुपए का होता है मुनाफा: किसान पिता सिंकदर महतो ने बताया कि लगभग एक कट्ठा जमीन में तीन क्विटंल फसल का उत्पादन होता है. इसको उपजाने में तीन से चार हजार रुपये की लागत होती है, जिससे एक से दो हजार रूपये का फायदा होता है. लेकिन मजदूरी को अगर जोड़ा जाए तो वो भी नहीं बचता.

हल्दी की खेती कर बच्चों का बनाया भविष्य
हल्दी की खेती कर बच्चों का बनाया भविष्य

"खेती करने के लिए सबसे पहले खेतों की जुताई करते हैं, इसके बाद हल्दी का परना बांधना पड़ता है. फिर आलु जैसे ही जमीन में गाड़ा जाता है. इसके बाद कीटनाशक दवा देकर पटवन करते हुए फिर इसे कोड़ते हैं. इस तरह से तीन महीने में इसकी फसल बनकर तैयार हो जाती है."- सिकंदर महतो, किसान पिता

दिन-रात मेहनत कर करते हैं भरण-पोषण
दिन-रात खेती कर करते हैं भरण-पोषण

"हर दिन खेती को लेकर अपने खेत में आते हैं. आलू की तरह हल्दी को रोपना और उखाड़ना पड़ता है. इससे हम अपने बच्चों का परवरिस करते हैं. हल्दी तीन से चार महीने में उपज जाती है."- सुष्मा देवी, किसान मां

पढ़ें: बक्सर में टमाटर की फसल में फैली बीमारी, नकली कीटनाशक से किसान परेशान, लगाए गंभीर आरोप

Last Updated : Nov 21, 2023, 6:38 AM IST
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