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किशनगंज: JNU, JMU और AMU के छात्रों ने CAA और NRC के खिलाफ निकाला विरोध मार्च

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Published : Jan 3, 2020, 9:39 AM IST

विरोध-प्रदर्शन के दौरान जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्राओं ने बताया कि यह देश गांधी और नेहरू का है. लेकिन एनआरसी गांधीजी की नीति के विपरीत है. छात्राओं का कहना था कि सरकार देश के 135 करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात नहीं करती है. लेकिन अंग्रेजों की तरह 'फूट डालो राज करो' की नीति अपना रही है.

CAA और NRC के खिलाफ निकाला गया विरोध-मार्च
CAA और NRC के खिलाफ निकाला गया विरोध-मार्च

किशनगंज: पूरे देश में सीएए और एनआरसी को लेकर विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है. ऐसे में इस राजनीतिक उमस के बीच कई पार्टियां और संगठन अपनी सियासी खीर भी पका रही है.
नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर किशनगंज स्टूडेंट्स कम्युनिटी के बैनर तले जेएनयू, जामिया और एएमयू के छात्र-छात्राओं ने शहर के अंजुमन इस्लामिया के मदरसा से एक शांतिपूर्ण विरोध मार्च निकाला. जिसमें सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राओं ने भाग लिया.

विरोध-मार्च में लोगों को संबोधित करते हुए छात्र नेता
विरोध-मार्च में लोगों को संबोधित करते हुए छात्र नेता

डीएम को सौंपा ज्ञापन
इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व एमयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष मशकुर अहमद उस्मानी कर रहे थे. उन्होंने ईटीवी भारत संवाददाता से बात करते हुए कहा कि किशनगंज की धरती इंकलाब की जमीन रही है. सीएए कानून के खिलाफ हमलोग एकजुट होकर सड़कों पर उतरे हैं. छात्र नेता ने कहा कि ये कानून संविधान से पड़े है, इसलिए केंद्र सरकार इसको वापस ले. विरोध-प्रदर्शन के बाद सैकड़ों छात्र-छात्राओं के समूह ने डीएम से मिलकर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के नाम एक ज्ञापन सौंपा.

विरोध-प्रदर्शन
विरोध-प्रदर्शन में भाग लेते छात्र-छात्राएं

'संविधान की मूल विचारधारा के खिलाफ'
स्थानीय मदरसा अंजुमन इस्लामिया से शुरू हुआ ये विरोध मार्च शांतिपूर्ण तरीके से शहर के वीर कुंवर सिंह बस टर्मिनल होते हुए एनएच-31 के सर्विस रोड पर पहुंचा. जहां छात्र-छात्राओं ने सड़क पर बैठकर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. छात्रों ने नागरिकता कानून को देश के लिए काला कानून बताया. एएमयू के छात्र नेता मशकुर अहमद उस्मानी ने कहा कि यह कानून संविधान के मूल विचारधारा के खिलाफ है. उन्होंने बताया कि यह आर्टिकल 10, 14, 15 और 21 का खुला उल्लंघन है. छात्र नेता ने कहा कि भारत सरकार पूरी दुनिया में प्रताड़ित लोगों को शरण दे लेकिन धर्म के आधार पर शरण देना कहीं से भी न्यायोचित नहीं है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'गांधीजी की नीति के विपरीत'
विरोध-प्रदर्शन के दौरान जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्राओं ने बताया कि यह देश गांधी और नेहरू का है. लेकिन एनआरसी गांधीजी की नीति के विपरीत है. छात्राओं का कहना था कि सरकार देश के 135 करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात नहीं करती है. लेकिन अंग्रेजों की तरह 'फूट डालो राज करो' की नीति अपना रही है. विरोध-मार्च के समापन पर छात्र-छात्राओं ने एक साथ राष्ट्रगान गाकर कार्यक्रम का समापन किया.

किशनगंज: पूरे देश में सीएए और एनआरसी को लेकर विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है. ऐसे में इस राजनीतिक उमस के बीच कई पार्टियां और संगठन अपनी सियासी खीर भी पका रही है.
नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर किशनगंज स्टूडेंट्स कम्युनिटी के बैनर तले जेएनयू, जामिया और एएमयू के छात्र-छात्राओं ने शहर के अंजुमन इस्लामिया के मदरसा से एक शांतिपूर्ण विरोध मार्च निकाला. जिसमें सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राओं ने भाग लिया.

विरोध-मार्च में लोगों को संबोधित करते हुए छात्र नेता
विरोध-मार्च में लोगों को संबोधित करते हुए छात्र नेता

डीएम को सौंपा ज्ञापन
इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व एमयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष मशकुर अहमद उस्मानी कर रहे थे. उन्होंने ईटीवी भारत संवाददाता से बात करते हुए कहा कि किशनगंज की धरती इंकलाब की जमीन रही है. सीएए कानून के खिलाफ हमलोग एकजुट होकर सड़कों पर उतरे हैं. छात्र नेता ने कहा कि ये कानून संविधान से पड़े है, इसलिए केंद्र सरकार इसको वापस ले. विरोध-प्रदर्शन के बाद सैकड़ों छात्र-छात्राओं के समूह ने डीएम से मिलकर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के नाम एक ज्ञापन सौंपा.

विरोध-प्रदर्शन
विरोध-प्रदर्शन में भाग लेते छात्र-छात्राएं

'संविधान की मूल विचारधारा के खिलाफ'
स्थानीय मदरसा अंजुमन इस्लामिया से शुरू हुआ ये विरोध मार्च शांतिपूर्ण तरीके से शहर के वीर कुंवर सिंह बस टर्मिनल होते हुए एनएच-31 के सर्विस रोड पर पहुंचा. जहां छात्र-छात्राओं ने सड़क पर बैठकर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. छात्रों ने नागरिकता कानून को देश के लिए काला कानून बताया. एएमयू के छात्र नेता मशकुर अहमद उस्मानी ने कहा कि यह कानून संविधान के मूल विचारधारा के खिलाफ है. उन्होंने बताया कि यह आर्टिकल 10, 14, 15 और 21 का खुला उल्लंघन है. छात्र नेता ने कहा कि भारत सरकार पूरी दुनिया में प्रताड़ित लोगों को शरण दे लेकिन धर्म के आधार पर शरण देना कहीं से भी न्यायोचित नहीं है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'गांधीजी की नीति के विपरीत'
विरोध-प्रदर्शन के दौरान जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्राओं ने बताया कि यह देश गांधी और नेहरू का है. लेकिन एनआरसी गांधीजी की नीति के विपरीत है. छात्राओं का कहना था कि सरकार देश के 135 करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात नहीं करती है. लेकिन अंग्रेजों की तरह 'फूट डालो राज करो' की नीति अपना रही है. विरोध-मार्च के समापन पर छात्र-छात्राओं ने एक साथ राष्ट्रगान गाकर कार्यक्रम का समापन किया.

Intro:किशनगंज स्टूडेंट्स कम्युनिटी के बैनर तले जेएनयू जामिया और एएमयू के छात्र छात्राओं के अलावा स्थानीय छात्र-छात्राओं ने आज किशनगंज में नागरिकता कानून CAA,NRC और NPR के खिलाफ सड़कों पर उतरे। छात्र-छात्राओं में शहर में रैली निकालकर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और नागरिक संशोधन एक्ट को वापस लेने की मांग की उसके उपरांत छात्र नेताओं का एक शिष्टमंडल किशनगंज जिला पदाधिकारी से मिलकर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के नाम पर एक ज्ञापन सौंपा।

बाइटःमशकुर अहमद उस्मानी, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय
बाइटः छात्राएं, जामिया मिल्लिया इस्लामिया



Body:नागरिकता कानून के खिलाफ गुरुवार को किशनगंज की स्थानीय मदरसा अंजुमन इस्लामिया से सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने अपने हाथों में झंडे व तख्तियां लेकर शहर के मुख्य मार्ग होते हुए एक शांतिपूर्ण विरोध मार्च निकाला शहर के वीर कुंवर सिंह बस टर्मिनल के समीप एनएच 31 के सर्विस रोड पर छात्रों ने बैठकर केंद्र सरकार के खिलाफ हुंकार भरते हुए नागरिकता कानून को देश का काला कानून बताते हुए वापस लेने की मांग किया। छात्र-छात्राओं ने अपने आंदोलन के दौरान देश के संविधान को पढ़ा और राष्ट्रगान गाकर रैली का समापन किया। उसके उपरांत छात्र नेताओं ने जिला प्रशासन को मुख्य न्यायाधीश के नाम अपने मांगों को लेकर एक ज्ञापन पत्र सौंपा। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष मशकुर अहमद उस्मानी ने बताया कि नागरिकता संशोधन कानून जो सरकार लेकर आई है। ये काला कानून है। क्योंकि देश के संविधान के मूल विचारधारा के खिलाफ है। उन्होंने बताया कि यह आर्टिकल 10, 14, 15 और 21 का पूरा पूरी उल्लंघन किया गया है। उन्होंने बताया कि सरकार के घोषणा पत्र में एनआरसी का जिक्र है। सरकार का कहना है कि एनपीआर एनआरसी अलग-अलग है। जिससे पूरी देश के लोग दुविधा में हैं। छात्र नेता ने बताया कि अगर पूरी दुनिया में प्रताड़ित लोगों को भारत में केंद्र सरकार शरण दे लेकिन धर्म के आधार पर शरण नहीं देना है तो सभी धर्मों के लोगों को शरण दे बरना इस एक्ट को वापस ले।


Conclusion:वही जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्राओं ने बताया कि हम एनआरसी बिल के खिलाफ है। क्योंकि ये बिल देश के सेकुलर और गांधीजी के नीति के विपरीत है। उन्होंने बताया कि देश के 135 करोड़ लोगों को रोजगार की बात सरकार नहीं करती है। लेकिन अंग्रेजों की तरह रूल बांटो और राज करो की नीति सरकार अपना रही है। और इस काले बिल को लाकर हमारे देश के संविधान का उल्लंघन कर रही है जो काफी गलत है। छात्राओं ने एनपीआर को खतरनाक बताते हुए कहा कि नागरिकों खुद नागरिकता का प्रमाण देना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि एनआरसी में सरकार की जिम्मेदारी है। जबकि एनपीआर में लोगों की जिम्मेवारी है खुद को नागरिकता प्रमाण देना। उन्होंने बताया कि एनपीआर में जो सवाल मांगा गया है जिसका जवाब एक फीस दी देश के लोग भी नहीं दे पाएंगे ।
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