किशनगंज: पूरे देश में सीएए और एनआरसी को लेकर विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है. ऐसे में इस राजनीतिक उमस के बीच कई पार्टियां और संगठन अपनी सियासी खीर भी पका रही है.
नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर किशनगंज स्टूडेंट्स कम्युनिटी के बैनर तले जेएनयू, जामिया और एएमयू के छात्र-छात्राओं ने शहर के अंजुमन इस्लामिया के मदरसा से एक शांतिपूर्ण विरोध मार्च निकाला. जिसमें सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राओं ने भाग लिया.
डीएम को सौंपा ज्ञापन
इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व एमयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष मशकुर अहमद उस्मानी कर रहे थे. उन्होंने ईटीवी भारत संवाददाता से बात करते हुए कहा कि किशनगंज की धरती इंकलाब की जमीन रही है. सीएए कानून के खिलाफ हमलोग एकजुट होकर सड़कों पर उतरे हैं. छात्र नेता ने कहा कि ये कानून संविधान से पड़े है, इसलिए केंद्र सरकार इसको वापस ले. विरोध-प्रदर्शन के बाद सैकड़ों छात्र-छात्राओं के समूह ने डीएम से मिलकर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के नाम एक ज्ञापन सौंपा.
'संविधान की मूल विचारधारा के खिलाफ'
स्थानीय मदरसा अंजुमन इस्लामिया से शुरू हुआ ये विरोध मार्च शांतिपूर्ण तरीके से शहर के वीर कुंवर सिंह बस टर्मिनल होते हुए एनएच-31 के सर्विस रोड पर पहुंचा. जहां छात्र-छात्राओं ने सड़क पर बैठकर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. छात्रों ने नागरिकता कानून को देश के लिए काला कानून बताया. एएमयू के छात्र नेता मशकुर अहमद उस्मानी ने कहा कि यह कानून संविधान के मूल विचारधारा के खिलाफ है. उन्होंने बताया कि यह आर्टिकल 10, 14, 15 और 21 का खुला उल्लंघन है. छात्र नेता ने कहा कि भारत सरकार पूरी दुनिया में प्रताड़ित लोगों को शरण दे लेकिन धर्म के आधार पर शरण देना कहीं से भी न्यायोचित नहीं है.
'गांधीजी की नीति के विपरीत'
विरोध-प्रदर्शन के दौरान जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्राओं ने बताया कि यह देश गांधी और नेहरू का है. लेकिन एनआरसी गांधीजी की नीति के विपरीत है. छात्राओं का कहना था कि सरकार देश के 135 करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात नहीं करती है. लेकिन अंग्रेजों की तरह 'फूट डालो राज करो' की नीति अपना रही है. विरोध-मार्च के समापन पर छात्र-छात्राओं ने एक साथ राष्ट्रगान गाकर कार्यक्रम का समापन किया.