ETV Bharat / state

किशनगंजः 10 सितंबर को निकाला जाएगा विशाल ताजिया जुलूस, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

मोहर्रम में निकाले जाने वाले ताजिया जुलूस को लेकर प्रशासन ने शहर के मुख्य चौक-चौराहों पर पुलिस बल तैनात कर दिए हैं. इलाके में पुलिस अधिकारी लगातार गश्ती कर रहे हैं.

author img

By

Published : Sep 6, 2019, 6:06 AM IST

Updated : Sep 6, 2019, 8:13 AM IST

किशनगंज

किशनगंजः जिले में मोहर्रम के चौथे दिन से ही ताजिया जुलूस निकाला जा रहा है. यह जुलूस विभिन्न मोहल्लों से होता हुआ कर्बला मैदान ले जाया जाता है. इस दौरान लाठियों और तलवार का करतब दिखाया जाता है. जिसे देखने के लिए सड़कों पर लोगों का हुजूम लगता है. शिया समुदाय के लोग ये मातम जुलूस निकालते हैं.

शिया समुदाय के लिए गम का त्योहार
इस्लाम धर्म में मोहर्रम का महीना मुसलमानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस बार मोहर्रम का महीना 1 सितंबर से शुरू हुआ है. इस महीने का दसवां दिन सबसे अहम होता है. इस दिन को रोज-ए-आशुरा कहते हैं. इस साल रोज-ए-आशुरा यानी मोहर्रम 10 सितंबर को है. शिया मुस्लिम समुदाय इसे गम का महीना के तौर पर मनाते हैं. मुस्लमान समुदाय के लिए मोहर्रम का महीना बेहद खास माना जाता है, उसमें भी दसवें दिन का महत्व सबसे ज्यादा है.

किशनगंज
जुलूस में शामिल लोग

हुई थी इमाम हुसैन की शहादत
किशनगंज में मोहर्रम शिया और सुन्नी दोनों समुदाय मनाते हैं. दोनों के लिए इसे मनाने का तरीका और मान्यताएं अलग-अलग हैं. जिले में मोहर्रम का चांद दिखते ही शिया मुस्लिमों के घरों और इमामबाड़ा में मजलिसों का दौर शुरू हो जाता है. इमाम हुसैन की शहादत के गम में शिया मुस्लिम मातम करते हुए जुलूस निकालते हैं. पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद में मोहर्रम मनाया जाता है.

तजिया का वीडियो

सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था
वहीं, मोहर्रम में निकाले जाने वाले ताजिया जुलूस को लेकर प्रशासन ने शहर के मुख्य चौक-चौराहों पर पुलिस बल तैनात कर दिए हैं. इलाके में पुलिस अधिकारी लगातार गश्ती कर रहे हैं. गुरुवार से ताजिया जुलूस की शुरुआत हो चुकी है. 10 सितंबर को मोहर्रम के दिन विशाल जुलूस निकाला जाएगा. मोहर्रम को लेकर जिला प्रशासन शांति समिति और नागरिक एकता मंच के सदस्यों से भी सहयोग ले रहे हैं. ताकि जिला में शांति और सद्भाव का माहौल बना रहे.

किशनगंजः जिले में मोहर्रम के चौथे दिन से ही ताजिया जुलूस निकाला जा रहा है. यह जुलूस विभिन्न मोहल्लों से होता हुआ कर्बला मैदान ले जाया जाता है. इस दौरान लाठियों और तलवार का करतब दिखाया जाता है. जिसे देखने के लिए सड़कों पर लोगों का हुजूम लगता है. शिया समुदाय के लोग ये मातम जुलूस निकालते हैं.

शिया समुदाय के लिए गम का त्योहार
इस्लाम धर्म में मोहर्रम का महीना मुसलमानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस बार मोहर्रम का महीना 1 सितंबर से शुरू हुआ है. इस महीने का दसवां दिन सबसे अहम होता है. इस दिन को रोज-ए-आशुरा कहते हैं. इस साल रोज-ए-आशुरा यानी मोहर्रम 10 सितंबर को है. शिया मुस्लिम समुदाय इसे गम का महीना के तौर पर मनाते हैं. मुस्लमान समुदाय के लिए मोहर्रम का महीना बेहद खास माना जाता है, उसमें भी दसवें दिन का महत्व सबसे ज्यादा है.

किशनगंज
जुलूस में शामिल लोग

हुई थी इमाम हुसैन की शहादत
किशनगंज में मोहर्रम शिया और सुन्नी दोनों समुदाय मनाते हैं. दोनों के लिए इसे मनाने का तरीका और मान्यताएं अलग-अलग हैं. जिले में मोहर्रम का चांद दिखते ही शिया मुस्लिमों के घरों और इमामबाड़ा में मजलिसों का दौर शुरू हो जाता है. इमाम हुसैन की शहादत के गम में शिया मुस्लिम मातम करते हुए जुलूस निकालते हैं. पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद में मोहर्रम मनाया जाता है.

तजिया का वीडियो

सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था
वहीं, मोहर्रम में निकाले जाने वाले ताजिया जुलूस को लेकर प्रशासन ने शहर के मुख्य चौक-चौराहों पर पुलिस बल तैनात कर दिए हैं. इलाके में पुलिस अधिकारी लगातार गश्ती कर रहे हैं. गुरुवार से ताजिया जुलूस की शुरुआत हो चुकी है. 10 सितंबर को मोहर्रम के दिन विशाल जुलूस निकाला जाएगा. मोहर्रम को लेकर जिला प्रशासन शांति समिति और नागरिक एकता मंच के सदस्यों से भी सहयोग ले रहे हैं. ताकि जिला में शांति और सद्भाव का माहौल बना रहे.

Intro:किशनगंज मैं मोहर्रम को लेकर तैयारी जोरों पर 10 सितंबर को मनाया जाएगा मोहर्रम। जिसे लेकर मुस्लिम बहुल जिला किशनगंज में शाम होते ही मोहर्रम के चौथे दिन से ही ताजिया जुलूस विभिन्न मुस्लिम मोहल्लों से निकाल कर कर्बला मैदान ले जाया जा रहा है। इस दौरान लाठियों और तलवार का करतब दिखाता युवाओं को देखने के लिए सड़कों पर लोगों का हुजूम लग रहा है।वहीं सीया समुदाय के द्वारा मातम जुलूस निकाला जाता है।वहीं शाम से देर रात तक शहर के सड़कों या हुसैन के नारों से गुज रहा है।


Body:इस्लाम धर्म में मोहर्रम का महीना मुसलमानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस बार मोहर्रम का महीना 1 सितंबर से शुरू हुआ है। लेकिन इस महीने का दसवां दिन सबसे अहम होता है इस दिन को रोज-ए-आशुरा कहते हैं। इसबार रोज-ए- आशुरा यानी मोहर्रम 10 सितंबर को है। खासकर शिया मुस्लिम समुदाय इसे गम के महीना के तौर पर मनाते हैं। मुहर्रम का पूरा महीना बेहद खास माना जाता है। लेकिन इस महीने के दसवें दिन सबसे अहम होता है। किशनगंज में मोहर्रम शिया और सुन्नी दोनों समुदाय मनाते हैं ।लेकिन इसे मनाने की तरीका और इसकी मान्यता एक-दूसरे से काफी अलग है जिले में मोहर्रम की चांद दिखते ही शिया मुस्लिमों के घरों और इमामबाड़ा में मजलिसों का दौर शुरू हो जाता है। इमाम हुसैन की शहादत के गम में सिया मुस्लिम मातम करते हुए जुलूस निकालते हैं। पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद में मुहर्रम मनाया जाता है। मोहर्रम कोई त्यौहार नहीं बल्कि एक मातम दिन है। इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद साहब के छोटे नवासे (नाती) इमाम हुसैन और उनके साथियों के शहादत की याद में मुहर्रम मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मोहर्रम एक महीना है। जिसमें शिया मुस्लिम 10 दिन तक इमाम हुसैन की याद में शोक मनाते हैं। इस माह को इस्लाम के 4 पवित्र महीने में शुमार किया जाता है। अल्लाह के रसूल हजरत मोहम्मद (सल्ल) अल्लाह का महीना कहां है।


Conclusion:वहीं पुलिस प्रशासन मोहर्रम के ताजिया जुलूस को लेकर शहर के मुख्य चौक चौराहा और मुस्लिम इलाकों में पुलिस बल तैनात कर दिए हैं। और चप्पे-चप्पे पर पुलिस अधिकारी गस्ती कर रहे हैं। आज से ताजिया जुलूस की शुरुआत हो चुके हैं और 10 सितंबर को मोहर्रम के दिन विशाल जुलूस निकाल कर कर्बला मैदान पर जायेंगे। मोहर्रम को लेकर जिला प्रशासन शांति समिति और नागरिक एकता मंच के सदस्यों से भी मदद ले रहे हैं ताकि जिला में शांति सद्भाव बना रहे।
Last Updated : Sep 6, 2019, 8:13 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.