किशनगंज: नगर परिषद क्षेत्र के रुइधासा मैदान स्थित कारगिल शहीद पार्क एनओसी के चक्कर में जंगल के रुप में तब्दील हो रहा है. शहीद कारगिल पार्क नगर परिषद और आर्मी के विवाद में फंस कर रह गया है. आर्मी की तरफ से एनओसी नहीं मिलने से पार्क का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. आर्मी ने कारगिल युद्ध के बाद अपनी भूमि पर शहीदों के याद में इस पार्क का नींव रखा.
किशनगंज नगर परिषद ने करोड़ो का खर्च कर इस पार्क का निर्माण करवाया. आर्मी की शर्त थी कि इस पार्क को शहीदों के नाम पर रखा जाएगा. नगर परिषद ने पार्क का निर्माण कर शहीद कारगिल पार्क नाम रखा. निर्माण के बाद एक-दो बार इसकी साफ-सफाई करवाई गई. 2004 में बने इस पार्क को लेकर पेंच उस समय फंसा जब निवर्तमान डीएम ने आर्मी से नगर परिषद किशनगंज को एनओसी देने की मांग की.
आकर्षण के केंद्र में वीरानी
एनओसी नहीं मिलने की स्थिति में पार्क का रखरखाव नहीं हो सका. वर्तमान में पार्क जंगल में तब्दील हो चुका है. शहर के बीच इस पार्क में बच्चो के खेलने के लिए तरह-तरह के झूले थे. इसके अलावा रंग-बिरंगे फूल लगाए गए थे. जो जंगल में पूरी तरह से ढक चुके हैं. शहर के लिए आकर्षण का केंद्र रहने वाला खूबसूरत पार्क फिलहाल वीरान है. पार्क जंगली पौधों से ढक गया है वहीं, आवारा पशुओं के लिए चारागाह बन गया है.
जंगल में छिपी नेता जी की मूर्ति
बता दें कि इस पार्क में नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की एक मूर्ति भी बनाई गई है, जिसके चारो तरफ बड़े-बड़े पौधे उगे हुए हैं. मूर्ति जंगल मे छिप चुका हैं. इस पार्क का निर्माण निवर्तमान नगर परिषद अध्यक्ष और वर्तमान उपाध्यक्ष त्रिलोक चंद जैन के कार्यकाल में हुआ. उन्होंने बताया कि इस इस पार्क के निर्माण में करोड़ो रुपये खर्च किये गए.
आर्मी अधिकारियों ने दिया आश्वासन
नगर परिषद उपाध्यक्ष के मुाताबिक आर्मी के शर्त के मुताबिक ही कारगिल के शहीदों के नाम पर पार्क का नामकरण हुआ. लेकिन इस पार्क के लिए आर्मी ने एनओसी नहीं दिया. इसके वजह से नगर परिषद ने इस पर आगे खर्च नहीं किया. आलम यह है कि पार्क जंगल के रुप में तब्दील हो चुका है. हालांकि, इस संबंध में आर्मी के अधिकारियों से बात की गई है. एनओसी देने का आश्वासन मिला है. एनओसी मिलते ही सौंदर्यीकरण का काम शुरू किया जाएगा.