किशनगंज: बिहार के किशनगंज जिले के भारत नेपाल सीमा से सटे एक गांव में दुर्लभ प्रजाति का एक पैंगोलिन (pangolin found in kishanganj) मिला है. मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने पैंगोलिन मिलने की वन विभाग को दी और वन विभाग ने इसे अपने कब्जे में ले लिया है. पैंगोलिन के सैलाब के साथ बहकर आने की आशंका जतायी जा रही है. वहीं जानकारी के मुताबिक इसे अररिया के रानीगंज वाटिका (Araria Raniganj Vatika) में छोड़ा जाएगा.
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किशनगंज से मिला दुर्लभ प्रजाति का पैंगोलिन: दिघलबैंक प्रखंड के धनतोला पंचायत (Digalbank Block Dhantola Panchayat) अंतर्गत सीमावर्ती गांव कजला (Pangolin Found In Kajla Village) में शुक्रवार को इस दुर्लभ पैंगोलिन को देखने के लिए लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई. लोगों की मानें तो यह एक विलुप्त हो रहे प्रजाति का पैंगोलिन है. खेत पर विचरण करते हुए इस पैंगोलिन पर लोगों की नजर पड़ी और उसके बाद ग्रामीणों ने इसे पकड़ लिया. उसके बाद वन विभाग को इसी सूचना दी गई. वन विभाग दुर्लभ प्रजाति के इस जीव को अपने साथ लेकर चली गई है.
ग्रामीणों ने वन विभाग को सौंपा: कहा जाता है कि यह एक विलुप्त हो रही प्रजाति है, जो मानव को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाता है. पैंगोलिन अक्सर रात के समय में ही भोजन की तलाश में बाहर निकलता है. लोगों को आशंका है कि यह दुर्लभ जीव नेपाल के जंगलों से भटक कर खेतों में आ गया होगा. ग्रामीणों से पैंगोलिन को वन विभाग ठाकुरगंज के उप वन परिसर पदाधिकारी मनोज उरांव को सौंप दिया.
भारत में पाया जाता है इंडियन और चीनी पैंगोलिन: इंडियन और चीनी पैंगोलिन भारत में पाया जाता है. इसे सल्लू सांप के नाम से भी पुकारा जाता है. पैंगोलिन जानवर का इस्तेमाल ट्रेडिशनल चाइनीज मेडिसिन में किया जाता है. पैंगोलिन की हड्डियों और मांस की तस्करी अंतरराष्ट्रीय बाजार में होती है. इसका प्रयोग यौनवर्धक दवाओं के साथ कई अन्य तरह की दवाएं बनाने में किया जाता है. इसके एक किलो मांस की कीमत करीब 27 हजार रुपये तक होती है.