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गंगा-जमुनी तहजीब की निशानी रमजान नदी का आस्तित्व खतरे में, छठव्रतियों के लिए प्रबंध नहीं कर पाया प्रशासन

शहर के घरेलू कपड़े और सदर अस्पताल के गंदे चादर सहित होटल व व्यवसायी प्रतिष्ठानों के चादर आदि की रोजाना धुलाई होती है. जिससे पानी और घातक होता जा रहा है. इसबार इसी पानी में छठव्रती भी अर्घ्य देंगे.

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Published : Apr 11, 2019, 9:13 AM IST

रमजान नदी

किशनगंज: जिले की लाइफ लाइन मानी जाने वाले हिंदू और मुस्लिम समुदाय की एकता का प्रतीक रमजान नदी का अस्तित्व इन दिनों खतरे में दिखाई दे रहा है. दरअसल, भू-माफियाओं की नजर नदी की कीमती जमीन पर है. एक साजिश के तहत नदी धारा प्रवाह के मोड़ को बदल कर भू-माफियाओं ने नदी के जमीन पर कब्जा जमा लिया है. रमजान नदी अब नाली में तब्दील हो गई है.

वहीं आज चैती छठ पर्व है लेकिन अब तक नदी की सफाई नहीं हुई है. मजबूरन छठव्रतियों को इसी नदी में चैती छठ के शाम का अर्घ्य देंगे. इससे लोगों में आक्रोश है.

बदहाल स्थिति में रमजान नदी

नदी का भौगोलिक विस्तार
गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक रमजान नदी एक जमाने में स्वच्छ जल धारा को लेकर महानंदा नदी से मिला करती थी. लेकिन, आज जहां-तहां इस नदी के प्रवाह भू-माफियाओं की साजिश के तहत रोक दिया गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि रमजान नदी पर केवल राजनीति हुई है, कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. इसके सौंदर्यीकरण की बात सिर्फ चुनाव के समय होती है. शहर के ढेकसारा से माझिया तक रमजान नदी की 65 एकड़ भूमि अतिक्रमणकारियों के कब्जे में हैं. मगर इस दिशा में किसी का भी ध्यान नहीं जा पा रहा है.
इस नदी की धार आज रुक गई है. इसमें शहर के गंदे नाले के पानी जमा दिखता है. दूर से ही नदी को देखकर उसके विषैले होने का आभास हो जाता है. डे-मार्केट स्थित रमजान पुल के किनारे धोबीघाट भी है. जिसमें शहर के घरेलू कपड़े और सदर अस्पताल के गंदे चादर सहित होटल व व्यवसायी प्रतिष्ठानों के चादर आदि की रोजाना धुलाई होती है. जिससे पानी और घातक होता जा रहा है. इसबार इसी पानी में छठव्रती भी अर्घ्य देंगे.

कई बार सदन में पेश हुआ मुद्दा
रमजान नदी पर अतिक्रमण का मुद्दा लगातार कई सालों से बिहार विधानसभा में कांग्रेस की स्थानीय विधायक और इस बार लोकसभा चुनाव के कांग्रेस प्रत्याशी डॉक्टर जावेद आजाद के तरफ से रखा गया है. बावजूद इसके सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगा.
अब जब उनसे इस मसले पर पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. हालांकि इस मामले एआईएमआईएम लोकसभा प्रत्याशी अख्तरुल इमाम ने बताया कि यदि उनकी पार्टी चुनाव जीतती है तो रमजान नदी के सौंदर्यीकरण के लिए हर सभंव प्रयास करेंगे. वहीं निर्दलीय प्रत्याशी राजेश दुबे ने बताया कि उनका चुनावी एजेंडा रमजान नदी है. नदी को भू-माफियाओं से मुक्त कराना ही उनकी प्राथमिकता है.

किशनगंज: जिले की लाइफ लाइन मानी जाने वाले हिंदू और मुस्लिम समुदाय की एकता का प्रतीक रमजान नदी का अस्तित्व इन दिनों खतरे में दिखाई दे रहा है. दरअसल, भू-माफियाओं की नजर नदी की कीमती जमीन पर है. एक साजिश के तहत नदी धारा प्रवाह के मोड़ को बदल कर भू-माफियाओं ने नदी के जमीन पर कब्जा जमा लिया है. रमजान नदी अब नाली में तब्दील हो गई है.

वहीं आज चैती छठ पर्व है लेकिन अब तक नदी की सफाई नहीं हुई है. मजबूरन छठव्रतियों को इसी नदी में चैती छठ के शाम का अर्घ्य देंगे. इससे लोगों में आक्रोश है.

बदहाल स्थिति में रमजान नदी

नदी का भौगोलिक विस्तार
गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक रमजान नदी एक जमाने में स्वच्छ जल धारा को लेकर महानंदा नदी से मिला करती थी. लेकिन, आज जहां-तहां इस नदी के प्रवाह भू-माफियाओं की साजिश के तहत रोक दिया गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि रमजान नदी पर केवल राजनीति हुई है, कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. इसके सौंदर्यीकरण की बात सिर्फ चुनाव के समय होती है. शहर के ढेकसारा से माझिया तक रमजान नदी की 65 एकड़ भूमि अतिक्रमणकारियों के कब्जे में हैं. मगर इस दिशा में किसी का भी ध्यान नहीं जा पा रहा है.
इस नदी की धार आज रुक गई है. इसमें शहर के गंदे नाले के पानी जमा दिखता है. दूर से ही नदी को देखकर उसके विषैले होने का आभास हो जाता है. डे-मार्केट स्थित रमजान पुल के किनारे धोबीघाट भी है. जिसमें शहर के घरेलू कपड़े और सदर अस्पताल के गंदे चादर सहित होटल व व्यवसायी प्रतिष्ठानों के चादर आदि की रोजाना धुलाई होती है. जिससे पानी और घातक होता जा रहा है. इसबार इसी पानी में छठव्रती भी अर्घ्य देंगे.

कई बार सदन में पेश हुआ मुद्दा
रमजान नदी पर अतिक्रमण का मुद्दा लगातार कई सालों से बिहार विधानसभा में कांग्रेस की स्थानीय विधायक और इस बार लोकसभा चुनाव के कांग्रेस प्रत्याशी डॉक्टर जावेद आजाद के तरफ से रखा गया है. बावजूद इसके सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगा.
अब जब उनसे इस मसले पर पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. हालांकि इस मामले एआईएमआईएम लोकसभा प्रत्याशी अख्तरुल इमाम ने बताया कि यदि उनकी पार्टी चुनाव जीतती है तो रमजान नदी के सौंदर्यीकरण के लिए हर सभंव प्रयास करेंगे. वहीं निर्दलीय प्रत्याशी राजेश दुबे ने बताया कि उनका चुनावी एजेंडा रमजान नदी है. नदी को भू-माफियाओं से मुक्त कराना ही उनकी प्राथमिकता है.

Intro:किशनगंज का लाइफ लाइन माने जाने वाले हिंदू और मुस्लिम समुदाय की एकता का प्रतीक रमजान नदी का अस्तित्व इन दिन खतरे में पड़ गया है। भू माफियाओं की नजर रमजान नदी की कीमती जमीन पर गढ़ी हुई है। एक साजिश के तहत नदी के धारा प्रवाह का मोड़ को बदल कर भू माफिया नदी के जमीन पर कब्जा जमा लिया है। रमजान नदी अब नाली मे तब्दील हो गया है।वही आज चैती छठ पर्व है लेकिन अब तक नदी की सफाई नहीं हुआ है।नदी नाली मे तब्दील है और मजबूरन इसी नदी मे आज शाम को चैती छठ का शाम का अर्घ छठ व्रतियों देंगे। लेकिन अबतक जिला प्रशासन चैती छठ को लेकर घाट का सफाई नहीं करवाया।जिससे छठ व्रतियों मे आक्रोश है।


Body:रमजान नदी एक जमाने में स्वच्छ जल धारा को लेकर महानंदा नदी से मिला करता था। लेकिन आज जहां तहां इस नदी के प्रवाह भू माफिया एक साजिश के तहत रोक दिया है।और भूमाफिया इस कीमती जमीन को कब्जा कर लिया है कि इस नदी की धारा नाले के शक्ल में भी नहीं बह सकती है। मानो आज यह नदी सिसक-सिसक कह रही हो कि कोई तो मेरा अस्मिता की रक्षा मे सामने आए। खैर रमजान नदी पर सिर्फ राजनीति हुई है। कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। इसके सौदर्यीकरण की बात सिर्फ चुनाव के समय होती है। शहर के ढेकसारा से माझिया तक रमजान नदी की 65 एकड़ भूमि अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है। मगर इस दिशा में किसी का भी ध्यान नहीं जा पा रहा है।
इस नदी की धारा का बहाव रुका पड़ा है। जिसमें शहर के गंदे नाले के पानी जमा दिखता है। दूर से ही जल को कोई भी देखकर उसे विषैला समझने में जरा भी संकोच नहीं करेगे। डे मार्केट स्थित रमजान पुल के किनारे धोबीघाट भी है। जिसमें शहर के घरेलू कपड़े और सदर अस्पताल के गंदे बेडशीट आदि सहित होटल व व्यवसाई प्रतिष्ठानों के चादर आदि को रोजाना धुलाई रमजान नदी के जल से होता रहा है। जो विभिन्न प्रकार की बीमारी के मरीज के सदर अस्पताल के बेडशीट की धुलाई में निकलने वाले घातक जीवाणु आज शहर को अस्वस्थ बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। ऐसे में स्वच्छ और स्वस्थ शहर की कल्पना करना बेईमानी होगी। इतने ही नहीं हिंदुओं का लोक आस्था का पर्व चैती छठ पूजा भी आज इसी विषैली जल में करने पर मजबूर है छठ व्रती।


Conclusion:किशनगंज शहरी क्षेत्र में विकास में सबसे बड़ा अवरोधक शहर की लाइफ लाइन कहे जाने बाली रमजान नदी के अतिक्रमण के मुद्दा लगातार कई सालों से बिहार विधानसभा में कांग्रेस की स्थानीय विधायक और इस बार लोकसभा चुनाव के कांग्रेस प्रत्याशी डॉक्टर जावेद आजाद ने विधानसभा सत्र के दौरान रमजान नदी को अतिक्रमण मुक्त करने की मांग जोरदार तरीके से कई बार सदन में रखे थे साथ ही नदी के जमीन पर अतिक्रमण करने वाले और भूमाफिया के विरोध सख्त कार्रवाई की भी मांग भी कर रहे थे। लेकिन अब तक सरकार के कान में जू तक नहीं रेंगा है। वहीं किशनगंज विधायक अब सांसद के चुनाव लड़ रहे कांग्रेस प्रत्याशी डॉक्टर जावेद आजाद कई बार रमजान नदी को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराने की बात करते थी लेकिन अव इस मामले में पूछने पर लोकसभा चुनाव का हवाला देते हुए कैमरे में कुछ भी कहने से इंकार कर रहे हैं।
किशनगंज के रमजान नदी किसानों के लिए वरदान है। साथ ही
जिले को भी स्वच्छ और सुंदर रखने में अहम रोल अदा कर रही है ।ऐसे में देखने की ये बात होगी की जिला प्रशासन कब तक रमजान नदी के अस्तित्व को बचा पाएंगे या फिर लोकसभा चुनाव का मुद्दा ही बनकर रह जायेगा।
हालांकि इस मामले एआईएमआईएम लोकसभा प्रत्याशी अख्तरुल इमाम ने बताया की यदि उनके पाटी चुनाव जीतता है तो रमजान नदी के सोर्यदीकरण के लिए हर सभंव प्रयास करंगे।वहीं निर्दलीय प्रत्याशी राजेश दुबे ने बताया की उनका चुनावी एजैंडा है रमजान नदी।रमजानी नदी को भूमाफियाओं से मुक्त कर जल प्रवाह को चालू करना उनका पहला प्रथमिकता होगा।
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