किशनगंज: जिले की लाइफ लाइन मानी जाने वाले हिंदू और मुस्लिम समुदाय की एकता का प्रतीक रमजान नदी का अस्तित्व इन दिनों खतरे में दिखाई दे रहा है. दरअसल, भू-माफियाओं की नजर नदी की कीमती जमीन पर है. एक साजिश के तहत नदी धारा प्रवाह के मोड़ को बदल कर भू-माफियाओं ने नदी के जमीन पर कब्जा जमा लिया है. रमजान नदी अब नाली में तब्दील हो गई है.
वहीं आज चैती छठ पर्व है लेकिन अब तक नदी की सफाई नहीं हुई है. मजबूरन छठव्रतियों को इसी नदी में चैती छठ के शाम का अर्घ्य देंगे. इससे लोगों में आक्रोश है.
नदी का भौगोलिक विस्तार
गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक रमजान नदी एक जमाने में स्वच्छ जल धारा को लेकर महानंदा नदी से मिला करती थी. लेकिन, आज जहां-तहां इस नदी के प्रवाह भू-माफियाओं की साजिश के तहत रोक दिया गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि रमजान नदी पर केवल राजनीति हुई है, कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. इसके सौंदर्यीकरण की बात सिर्फ चुनाव के समय होती है. शहर के ढेकसारा से माझिया तक रमजान नदी की 65 एकड़ भूमि अतिक्रमणकारियों के कब्जे में हैं. मगर इस दिशा में किसी का भी ध्यान नहीं जा पा रहा है.
इस नदी की धार आज रुक गई है. इसमें शहर के गंदे नाले के पानी जमा दिखता है. दूर से ही नदी को देखकर उसके विषैले होने का आभास हो जाता है. डे-मार्केट स्थित रमजान पुल के किनारे धोबीघाट भी है. जिसमें शहर के घरेलू कपड़े और सदर अस्पताल के गंदे चादर सहित होटल व व्यवसायी प्रतिष्ठानों के चादर आदि की रोजाना धुलाई होती है. जिससे पानी और घातक होता जा रहा है. इसबार इसी पानी में छठव्रती भी अर्घ्य देंगे.
कई बार सदन में पेश हुआ मुद्दा
रमजान नदी पर अतिक्रमण का मुद्दा लगातार कई सालों से बिहार विधानसभा में कांग्रेस की स्थानीय विधायक और इस बार लोकसभा चुनाव के कांग्रेस प्रत्याशी डॉक्टर जावेद आजाद के तरफ से रखा गया है. बावजूद इसके सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगा.
अब जब उनसे इस मसले पर पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. हालांकि इस मामले एआईएमआईएम लोकसभा प्रत्याशी अख्तरुल इमाम ने बताया कि यदि उनकी पार्टी चुनाव जीतती है तो रमजान नदी के सौंदर्यीकरण के लिए हर सभंव प्रयास करेंगे. वहीं निर्दलीय प्रत्याशी राजेश दुबे ने बताया कि उनका चुनावी एजेंडा रमजान नदी है. नदी को भू-माफियाओं से मुक्त कराना ही उनकी प्राथमिकता है.